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Surya Dev

सूर्य देव व्रत कथा एवं पूजा विधि

Surya Dev Vrat Katha Avm Pooja Vidhi Hindi

Surya DevVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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|| सूर्य देव पूजा विधि ||

  • रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए.
  • स्नान के बाद साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें. फिर सूर्य देव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें.
  • तांबे के लोटे में लाल फूल, अक्षत, जल, शक्कर, लाल चंदन या रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर पूजा की तैयारी करें.
  • घर के मंदिर या पूजा स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
  • सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर पर रोली, अक्षत, सुपारी, फूल और फल चढ़ाएं और धूप दीप दिखाएं.
  • फिर रविवार व्रत कथा का पाठ करें.
  • सूर्य देव की आरती करें.

|| सूर्य देव व्रत नियम ||

  • रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए.
  • रविवार के दिन नमक का त्याग करें.
  • इस दिन मांस-मदिरा से दूर रहें.
  • रविवार के दिन बाल-दाढ़ी न कटवाएं.
  • इस दिन बदन में तेल मालिश भी नहीं करनी चाहिए,
  • आज के दिन तांबा धातु से जुड़ी चीजों की खरीद-बिक्री न करें.
  • दूध को जलाने से संबंधित जैसे (घी निकालना आदि) काम न करें.
  • आज के दिन ग्रे, काला, नीला और गहरे रंग के कपड़े न पहनें.

|| सूर्य देव व्रत कथा ||

प्राचीन काल की बात है। एक बुढ़िया थी जो नियमित तौर पर रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर अपने आंगन को गोबर से लीपती थी जिससे वो स्वच्छ हो सके। इसके बाद वो सूर्य देव की पूजा-अर्चना करती थी। साथ ही रविवार की व्रत कथा भी सुनती थी। इस दिन वो एक समय भोजन करती थी और उससे पहले सूर्य देव को भोग भी लगाती थी। सूर्य देव उस बुढ़िया से बेहद प्रसन्न थे। यही कारण था कि उसे किसी भी तरह का कष्ट नहीं था और वो धन-धान्य से परिपूर्ण थी।

जब उसकी पड़ोसन ने देखा की वो बहुत सुखी है तो वो उससे जलने लगी। बढ़िया के घर में गाय नहीं थी इसलिए वो अपनी पड़ोसन के आंगन गोबर लाती थी। क्योंकि उसके यहां गाय बंधी रहती थी। पड़ोसन ने बुढ़िया को परेशान करने के लिए कुछ सोचकर गाय को घर के अंदर बांध दिया। अगले रविवार बुढ़िया को आंगन लीपने के लिए बुढ़िया को गोबर नहीं मिला। इसी के चलते उसने सूर्य देवता को भोग भी नहीं लगाया। साथ ही खुद भी भोजन नहीं किया और पूरे दिन भूखी-प्यासी रही और फिर सो गई।

अगले दिन जब वो सोकर उठी को उसने देखा की उसके आंगन में एक सुंदर गाय और एक बछड़ा बंधा था। बुढ़िया गाय को देखकर हैरान रह गई। उसने गाय को चारा खिलाया। वहीं, उसकी पड़ोसन बुढ़िया के आंगन में बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखकर और ज्यादा जलने की। तो वह उससे और अधिक जलने लगी। पड़ोसन ने उसकी गायब के पास सोने का गोबर पड़ा देखा तो उसने गोबर को वहां से उठाकर अपनी गाय के गोबर के पास रख दिया।

सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिन में धनवान हो गई। ये कई दिन तक चलता रहा। कई दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता नहीं था। ऐसे में बुढ़िया पहले की ही तरह सूर्यदेव का व्रत करती रही। साथ ही कथा भी सुनती रही। इसके बाद जिस दिन सूर्यदेव को पड़ोसन की चालाकी का पता चला। तब उन्होंने तेज आंधी चला दी। तेज आंधी को देखकर बुढ़िया ने अपनी गाय को अंदर बांध दिया। अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसने सोने का गोबर देखा। तब उसे बेहद आश्चर्य हुआ।

तब से लेकर आगे तक उसने गाय को घर के अंदर ही बांधा। कुछ दिन में ही बुढ़िया बहुत धनी हो गई। बुढ़िया की सुखी और धनी स्थिति देख पड़ोसन और जलने लगी। पड़ोसने उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेजा। जब राजा ने उस सुंदर गाय को देखा तो वो बहुत खुश हुआ। सोने के गोबर को देखकर तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहउसे नगर के राजा के पास भेज दिया। सुंदर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

वहीं, बुढ़िया भूखी-प्यासी रहकर सूर्य भगवान से प्रार्थना कर रही थी। सूर्यदेव को उस पर करुणा आई। उसी रात सूर्यदेव राजा के सपने में आए और उससे कहा कि हे राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत वापस कर दो। अगर ऐसा नहीं किया तो तुम पर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। सूर्यदेव के सपने ने राजा को बुरी तरह डरा दिया। इसके बाद राजा ने बुढ़िया को गाय और बछड़ा लौटा दिया।

राजा ने बुढ़िया को ढेर सारा धन दिया और क्षमा मांगी। वहीं, राजा ने पड़ोसन और उसके पति को सजा भी दी। इसके बाद राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई की रविवार को हर कोई व्रत किया करे। सूर्यदेव का व्रत करने से व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। साथ ही घर में खुशहाली भी आती है।

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