श्री ब्रह्मा जी चालीसा

॥ दोहा ॥ जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल । करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल ॥ तुम सृजक ब्रह्माण्ड के, अज विधि घाता नाम । विश्वविधाता कीजिये, जन पै कृपा ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय कमलासान जगमूला । रहहु सदा जनपै अनुकूला ॥ रुप चतुर्भुज परम सुहावन । तुम्हें अहैं…