भागवत पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पुराण है। इसे श्रीमद्भागवत या सिर्फ भागवत के नाम से भी जाना जाता है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके अवतारों, विशेषकर श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं का विस्तृत वर्णन करता है। भागवत पुराण में भक्तिभावना, धर्म, और ज्ञान का समृद्ध संगम है, जो इसे हर हिंदू के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।
भागवत पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। यह पुराण संस्कृत में लिखा गया है और इसमें कुल 12 स्कंध (खंड) और 18,000 श्लोक हैं। इसमें भगवान विष्णु के दशावतारों, विशेषकर श्रीकृष्ण की लीलाओं, और भक्तों की कथाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। भागवत पुराण को पुराण साहित्य का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
भागवत पुराण के प्रमुख विषय
- भागवत पुराण में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों का वर्णन है, जिनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि शामिल हैं। हर अवतार की कथा और उसका धार्मिक महत्व इसमें विस्तार से बताया गया है।
- भागवत पुराण का दसवां स्कंध श्रीकृष्ण की लीलाओं को समर्पित है। इसमें श्रीकृष्ण के जन्म, बाल लीलाएँ, मथुरा गमन, गोपियों के साथ रासलीला, कंस वध, और महाभारत के प्रसंगों का वर्णन है।
- भागवत पुराण में प्रह्लाद, ध्रुव, गजेन्द्र, अजातशत्रु, और अम्बरीष जैसे भक्तों की प्रेरणादायक कथाएँ हैं, जो भक्तिभाव और समर्पण का संदेश देती हैं।
- इसमें धार्मिक कर्तव्यों, पूजा विधियों, व्रतों, और नैतिक आचरण के नियमों का वर्णन है। भागवत पुराण के अनुसार, भक्ति मार्ग सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
- भागवत पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्मांड की संरचना, और कालचक्र का भी विस्तृत वर्णन है।