कूर्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के कूर्म (कछुआ) अवतार को समर्पित है। कूर्म पुराण में धर्म, आचार, पूजा विधियाँ, तीर्थ यात्रा, और विभिन्न पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कूर्म पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 17,000 श्लोक हैं और यह दो खंडों में विभाजित है: पूर्वखंड और उत्तरखंड। पूर्वखंड में धर्म, नीति, और आध्यात्मिक ज्ञान का वर्णन है, जबकि उत्तरखंड में तीर्थ यात्रा, पूजा विधियाँ, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत विवरण है।
कूर्म पुराण के प्रमुख विषय
- कूर्म पुराण में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का वर्णन है, जिसमें उन्होंने कछुए का रूप धारण कर समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर स्थिर किया था। इस कथा में समुद्र मंथन से उत्पन्न चौदह रत्नों का भी वर्णन है।
- इस पुराण में धर्म, नैतिक आचरण, और जीवन के विभिन्न चरणों के नियमों का विस्तृत वर्णन है। इसमें वर्णाश्रम धर्म, गृहस्थ जीवन, और संन्यास के कर्तव्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- कूर्म पुराण में विभिन्न तीर्थ स्थलों का महत्व, पूजा विधियों, व्रतों, और त्योहारों का विस्तृत वर्णन है। इसमें भगवान विष्णु, शिव, और देवी की पूजा के नियम भी बताए गए हैं।
- कूर्म पुराण में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और धार्मिक उपाख्यान भी शामिल हैं। ये कथाएँ नैतिक और धार्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
- इस पुराण में योग, ध्यान, और साधना के महत्व और विधियों का भी वर्णन है। इसमें आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए गए हैं।
- कूर्म पुराण में राजा-महाराजाओं की शासन प्रणाली, राजनीति के सिद्धांत, और न्याय के नियमों का भी उल्लेख है। यह पुराण धार्मिक और नैतिक शासन प्रणाली का आदर्श प्रस्तुत करता है।