गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

|| गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र || गणेश्वरो गणक्रीडो महागणपतिस्तथा । विश्वकर्ता विश्वमुखो दुर्जयो धूर्जयो जयः ॥ स्वरूपः सर्वनेत्राधिवासो वीरासनाश्रयः । योगाधिपस्तारकस्थः पुरुषो गजकर्णकः ॥ चित्राङ्गः श्यामदशनो भालचन्द्रश्चतुर्भुजः । शम्भुतेजा यज्ञकायः सर्वात्मा सामबृंहितः ॥ कुलाचलांसो व्योमनाभिः कल्पद्रुमवनालयः । निम्ननाभिः स्थूलकुक्षिः पीनवक्षा बृहद्भुजः ॥ पीनस्कन्धः कम्बुकण्ठो लम्बोष्ठो लम्बनासिकः । सर्वावयवसम्पूर्णः सर्वलक्षणलक्षितः॥ इक्षुचापधरः शूली कान्तिकन्दलिताश्रयः । अक्षमालाधरो ज्ञानमुद्रावान्…

गणेश पुराण (Ganesh Puran)

गणेश पुराण (Ganesh Puran)

गणेश पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है, जिसमें भगवान गणेश की महिमा, उनके जीवन की कथाएँ, और उनकी उपासना से संबंधित गूढ़ ज्ञान का वर्णन किया गया है। यह पुराण दो खंडों में विभाजित है: उपासना खंड और क्रीड़ा खंड। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभकर्ता और ज्ञान का प्रतीक माना…

गणेश कवचम्

|| गणेश कवचम् || एषोति चपलो दैत्यान् बाल्येपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ 1 ॥ दैत्या नानाविधा दुष्टास्साधु देवद्रुमः खलाः । अतोस्य कण्ठे किञ्चित्त्यं रक्षां सम्बद्धुमर्हसि ॥ 2 ॥ ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहु माद्ये युगे त्रेतायां तु मयूर वाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । ई द्वापरेतु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुं तुर्ये तु…

Vishwakarma Puja 2024 – जानें विश्वकर्मा जयंती पूजा मुहूर्त, पूजन विधि, व्रत कथा और महत्व

vishwakarma puja

विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिसे लोग प्रायः विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं। जैसे मकर संक्रांति जनवरी में आती है, वैसे ही विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो 16-17 सितंबर के आसपास पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया…

गणेश कवचम्

|| गणेश कवचम् || एषोति चपलो दैत्यान् बाल्येपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ 1 ॥ दैत्या नानाविधा दुष्टास्साधु देवद्रुमः खलाः । अतोस्य कंठे किंचित्त्यं रक्षां संबद्धुमर्हसि ॥ 2 ॥ ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहु माद्ये युगे त्रेतायां तु मयूर वाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । द्वापरेतु गजाननं युगभुजं रक्तांगरागं विभुं तुर्ये तु द्विभुजं…

अनंत चतुर्दशी व्रत उद्यापन कैसे करें? जानिए व्रत की कहानी, पूजा विधि और महत्व

anant bhagwan

अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। इस बार अनन्त चतुर्दशी मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को  है। यह भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन अनंत रूपी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुख,…

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। अनंत चतुर्दशी पूजा विधि ।। इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं। एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, इसमें 14 गांठें लगी होनी चाहिए। इस सूत्रो भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें।…

भगवान श्री विश्वकर्मा की कथा

|| भगवान श्री विश्वकर्मा की कथा || पहला अध्याय कई ऋषि एक दिन धर्मक्षेत्र में इकट्ठे हुए और उन्होंने सूत जी से पूछा, “हे महात्मा, आप हमें यह बताइए कि विष्णु के कई रूपों में से कौन सा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है?” सूत जी बोले, “हे ऋषियो, आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है, जो…

भगवान श्री विश्वकर्मा जी के 108 नाम

|| भगवान श्री विश्वकर्मा जी के 108 नाम || ॐ विश्वकर्मणे नमः ॐ विश्वात्मने नमः ॐ विश्वस्माय नमः ॐ विश्वधाराय नमः ॐ विश्वधर्माय नमः ॐ विरजे नमः ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः ॐ विष्णवे नमः ॐ विश्वधराय नमः ॐ विश्वकराय नमः । ॐ वास्तोष्पतये नमः ॐ विश्वभंराय नमः ॐ वर्मिणे नमः ॐ वरदाय नमः ॐ विश्वेशाधिपतये नमः…

श्री विश्वकर्मा चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान । श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय श्री विश्वकर्म भगवाना । जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥ शिल्पाचार्य परम उपकारी । भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥ अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर । शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥ अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।…

Vishwakarma Aarti

|| Vishwakarma Aarti || Jai Shri Vishvakarma Prabhu, Jai Shri Vishvakarma। Sakal Srashti Ke Karata, Rakshak Stuti Dharma॥ ॥ Jai Shri Vishvakarma…॥ Aadi Srashti Me Vidhi Ko, Shruti Upadesh Diya। Jeev Maatra Ka Jag Me, Gyan Vikas Kiya॥ ॥ Jai Shri Vishvakarma…॥ Dhyan Kiya Jab Prabhu Ka, Sakal Siddhi Aai। Rishi Angeera Tap Se, Shanti…

श्री विश्वकर्मा आरती

॥आरती॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया । जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । ऋषि अंगीरा तप से,…

Shri Vishwakarma Aarti

॥Aarti॥ Jai Shri Vishvakarma Prabhu, Jai Shri Vishvakarma। Sakal Srashti Ke Karata, Rakshak Stuti Dharma॥ ॥ Jai Shri Vishvakarma…॥ Aadi Srashti Me Vidhi Ko, Shruti Upadesh Diya। Jeev Maatra Ka Jag Me, Gyan Vikas Kiya॥ ॥ Jai Shri Vishvakarma…॥ Dhyan Kiya Jab Prabhu Ka, Sakal Siddhi Aai। Rishi Angeera Tap Se, Shanti Nahin Pai॥ ॥…

Shri Vishwakarma Chalisa

॥ Doha ॥ Shri Vishwakarama Prabhune Vandu, Charan Kamal Dhari Dhyan। Shri Shambu Bal Aru Shrip Gun Dije Daya Nidhaan॥ ॥ Chaupai ॥ Jai Jai Shri Vishwakarma Bhagwana। Jai Jai Shri Vishweshwar Krupa Nidhana॥ Shrilpacharya Param Upkari। Bhuwan Putra Naam Gunkari॥ Ashtam Basu Sut Nagar। Shrilp Gnaan Jag Kiawu Ujagar॥ Adbhut Sakal Shrusti Karta। Satya…

परिवर्तिनी एकादशी 2024 मुहूर्त, व्रत कथा और पूजा विधि

bhagwan vishnu

परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इसे भारत के कई क्षेत्रों में पार्श्व एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस एकादशी पर श्री हरि शयन करते हुए करवट लेते हैं इसलिए इसे एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी के नाम से…

ବିଶ୍ୱକର୍ମା ପୂଜା ମନ୍ତ୍ର

।। ବିଶ୍ୱକର୍ମା ପୂଜା ମନ୍ତ୍ର || ଗଣେଶ ଚିନ୍ତନ ଓଁ ଶ୍ରୀ ଗଣେଶାୟ ନମଃ, ଅବିଘ୍ନମସ୍ତ ସୁମୁଖ ଶ୍ଳୋକ ଦନ୍ତଶ୍ଚ, କପିଳୋ ଗଜ କଣ୍ଠକ ଇମ୍ବୋଦରଶ୍ଚ ବିକଟୋ ବିଘ୍ନନାଶେ ବିନାୟକଃ । ୧ । ଧୂମକେତୁ ଗଣାଧ୍ୟକ୍ଷା ଭାଲଚନ୍ଦ୍ରା ଗଜାନନଃ ନାମାନି, ଯଃ ପଠେତ୍ ଶୃଣୁୟାଦପି। ୨ । ବିଦ୍ୟାରମ୍ଭ ବିବାହେବ, ପ୍ରବେଶ ନିର୍ଗମେ ତଥା ସଂଗ୍ରାମେ ସକଟେର୍ଚିବ, ବିଘ୍ନସ୍ତସ୍ୟ ନ ଜାୟତେ ।୩। ବକ୍ରତୁଣ୍ଡ ମହାକାୟ, କୋଟି ସୂର୍ଯ୍ୟ ସମପ୍ରଭ ନିର୍ବିଘ୍ନ କୁରୁମେ ଦେବ, ସର୍ବକାର୍ଯ୍ୟଷୁ…

Parivartini Ekadashi 2024 – परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

lord vishnu

परिवर्तिनी एकादशी, जिसे ‘परिवर्तिनी’ या ‘आश्वयुज एकादशी’ भी कहते हैं, हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्वयुज मास की एकादशी को मनाई जाती है। इस वर्ष, परिवर्तिनी एकादशी 2024 में शनिवार, 14 सितंबर को पड़ रही है। यह एकादशी विशेष रूप से व्रत और पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसके विशेष महत्व को लेकर…

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान की आरती करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान को भोग लगाएं। इस…

ਚਨ੍ਦ੍ਰ ਕਵਚੰ

|| ਚਨ੍ਦ੍ਰ ਕਵਚੰ || ਅਸ੍ਯ ਸ਼੍ਰੀ ਚਨ੍ਦ੍ਰ ਕਵਚ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰ ਮਹਾ ਮਨ੍ਤ੍ਰਸ੍ਯ | ਗੌਤਮ ਰੁਸ਼਼ਿਃ | ਅਨ਼ੁਸ਼਼੍ਟੁਪ੍ ਛਨ੍ਦਃ | ਸ਼੍ਰੀ ਚਨ੍ਦ੍ਰੋ ਦੇਵਤਾ | ਚਨ੍ਦ੍ਰ ਪ੍ਰੀਤ੍ਯਰ੍ਥੇ ਜਪੇ ਵਿਨਿਯੋਗਃ || ਧ੍ਯਾਨ਼ਮ੍ ਸਮੰ ਚਤੁਰ੍ਭੁਜੰ ਵਨ੍ਦੇ ਕੇਯੂਰ ਮਕੁਟੋਜ੍ਵਲਮ੍ | ਵਾਸੁਦੇਵਸ੍ਯ ਨਯਨ਼ੰ ਸ਼ਙ੍ਕਰਸ੍ਯ ਚ ਭੂਸ਼਼ਣਮ੍ || ਏਵੰ ਧ੍ਯਾਤ੍ਵਾ ਜਪੇੰਨਿਤ੍ਯੰ ਸ਼ਸ਼ਿਨ਼ਃ ਕਵਚੰ ਸ਼ੁਭਮ੍ || ਅਥ ਚਨ੍ਦ੍ਰ ਕਵਚੰ ਸ਼ਸ਼ਿ: ਪਾਤੁ ਸ਼ਿਰੋ ਦੇਸ਼ੰ ਫਾਲੰ…

ચન્દ્ર કવચં

|| ચન્દ્ર કવચં || અસ્ય શ્રી ચન્દ્ર કવચ સ્તોત્ર મહા મન્ત્રસ્ય | ગૌતમ ઋષિઃ | અન઼ુષ્ટુપ્ છન્દઃ | શ્રી ચન્દ્રો દેવતા | ચન્દ્ર પ્રીત્યર્થે જપે વિનિયોગઃ || ધ્યાન઼મ્ સમં ચતુર્ભુજં વન્દે કેયૂર મકુટોજ્વલમ્ | વાસુદેવસ્ય નયન઼ં શઙ્કરસ્ય ચ ભૂષણમ્ || એવં ધ્યાત્વા જપેન્નિત્યં શશિન઼ઃ કવચં શુભમ્ || અથ ચન્દ્ર કવચં શશિ: પાતુ શિરો દેશં ફાલં…

ಚಂದ್ರ ಕವಚಂ

|| ಚಂದ್ರ ಕವಚಂ || ಅಸ್ಯ ಶ್ರೀ ಚಂದ್ರ ಕವಚ ಸ್ತೋತ್ರ ಮಹಾ ಮಂತ್ರಸ್ಯ | ಗೌತಮ ಋಷಿಃ | ಅನುಷ್ಟುಪ್ ಛಂದಃ | ಶ್ರೀ ಚಂದ್ರೋ ದೇವತಾ | ಚಂದ್ರ ಪ್ರೀತ್ಯರ್ಥೇ ಜಪೇ ವಿನಿಯೋಗಃ || ಧ್ಯಾನಂ ಸಮಂ ಚತುರ್ಭುಜಂ ವಂದೇ ಕೇಯೂರ ಮಕುಟೋಜ್ವಲಂ | ವಾಸುದೇವಸ್ಯ ನಯನಂ ಶಂಕರಸ್ಯ ಚ ಭೂಷಣಂ || ಏವಂ ಧ್ಯಾತ್ವಾ ಜಪೇನ್ನಿತ್ಯಂ ಶಶಿನಃ ಕವಚಂ ಶುಭಂ || ಅಥ ಚಂದ್ರ ಕವಚಂ ಶಶಿ: ಪಾತು ಶಿರೋ ದೇಶಂ ಫಾಲಂ…

চন্দ্র কবচং

|| চন্দ্র কবচং || অস্য শ্রী চন্দ্র কবচ স্তোত্র মহা মন্ত্রস্য | গৌতম ঋষিঃ | অনুষ্টুপ্ ছন্দঃ | শ্রী চন্দ্রো দেবতা | চন্দ্র প্রীত্যর্থে জপে বিনিয়োগঃ || ধ্যানম্ সমং চতুর্ভুজং বন্দে কেয়ূর মকুটোজ্বলম্ | বাসুদেবস্য নয়নং শঙ্করস্য চ ভূষণম্ || এবং ধ্যাত্বা জপেন্নিত্যং শশিনঃ কবচং শুভম্ || অথ চন্দ্র কবচং শশি: পাতু শিরো দেশং ফালং…

சந்த்³ர கவசம்ʼ

|| சந்த்³ர கவசம்ʼ || அஸ்ய ஶ்ரீ சந்த்³ர கவச ஸ்தோத்ர மஹா மந்த்ரஸ்ய | கௌ³தம ருʼஷி꞉ | அனுஷ்டுப் ச²ந்த³꞉ | ஶ்ரீ சந்த்³ரோ தே³வதா | சந்த்³ர ப்ரீத்யர்தே² ஜபே விநியோக³꞉ || த்⁴யானம் ஸமம்ʼ சதுர்பு⁴ஜம்ʼ வந்தே³ கேயூர மகுடோஜ்வலம் | வாஸுதே³வஸ்ய நயனம்ʼ ஶங்கரஸ்ய ச பூ⁴ஷணம் || ஏவம்ʼ த்⁴யாத்வா ஜபேந்நித்யம்ʼ ஶஶின꞉ கவசம்ʼ ஶுப⁴ம் || அத² சந்த்³ர கவசம்ʼ ஶஶி: பாது ஶிரோ தே³ஶம்ʼ பா²லம்ʼ…

ചന്ദ്ര കവചം

|| ചന്ദ്ര കവചം || അസ്യ ശ്രീ ചന്ദ്ര കവച സ്തോത്ര മഹാ മന്ത്രസ്യ | ഗൗതമ ഋഷിഃ | അനുഷ്ടുപ് ഛന്ദഃ | ശ്രീ ചന്ദ്രോ ദേവതാ | ചന്ദ്ര പ്രീത്യർഥേ ജപേ വിനിയോഗഃ || ധ്യാനം സമം ചതുർഭുജം വന്ദേ കേയൂര മകുടോജ്വലം | വാസുദേവസ്യ നയനം ശങ്കരസ്യ ച ഭൂഷണം || ഏവം ധ്യാത്വാ ജപേന്നിത്യം ശശിനഃ കവചം ശുഭം || അഥ ചന്ദ്ര കവചം ശശി: പാതു ശിരോ ദേശം ഫാലം…

ଚନ୍ଦ୍ର କବଚଂ

|| ଚନ୍ଦ୍ର କବଚଂ || ଅସ୍ୟ ଶ୍ରୀ ଚନ୍ଦ୍ର କବଚ ସ୍ତୋତ୍ର ମହା ମନ୍ତ୍ରସ୍ୟ | ଗୌତମ ଋଷିଃ | ଅନ଼ୁଷ୍ଟୁପ୍ ଛନ୍ଦଃ | ଶ୍ରୀ ଚନ୍ଦ୍ରୋ ଦେବତା | ଚନ୍ଦ୍ର ପ୍ରୀତ୍ୟର୍ଥେ ଜପେ ବିନିୟୋଗଃ || ଧ୍ୟାନ଼ମ୍ ସମଂ ଚତୁର୍ଭୁଜଂ ବନ୍ଦେ କେୟୂର ମକୁଟୋଜ୍ୱଲମ୍ | ବାସୁଦେବସ୍ୟ ନୟନ଼ଂ ଶଙ୍କରସ୍ୟ ଚ ଭୂଷଣମ୍ || ଏବଂ ଧ୍ୟାତ୍ୱା ଜପେନ୍ନିତ୍ୟଂ ଶଶିନ଼ଃ କବଚଂ ଶୁଭମ୍ || ଅଥ ଚନ୍ଦ୍ର କବଚଂ ଶଶି: ପାତୁ ଶିରୋ ଦେଶଂ ଫାଲଂ…

जन्म-जीवन-मृत्यु (Janam Jivan Mrityu)

जन्म-जीवन-मृत्यु (Janam Jivan Mrityu)

“जन्म-जीवन-मृत्यु” पुस्तक जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों को उजागर करती है और व्यक्ति को एक व्यापक दृष्टिकोण से जीवन को देखने की प्रेरणा देती है। यह पुस्तक जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने, कर्मों की महत्ता को पहचानने और मृत्यु के भय से मुक्त होकर जीवन को जीने का संदेश देती है। इसका अध्ययन…

भर्तृहरि शतक (Bhartrihari Shatak)

भर्तृहरि शतक (Bhartrihari Shatak)

भर्तृहरि शतक एक प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथ है, जिसे महाकवि भर्तृहरि ने रचा है। यह ग्रंथ तीन प्रमुख शतकों (सौ श्लोकों के संग्रह) में विभाजित है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। भर्तृहरि ने अपने अनुभवों, ज्ञान और दृष्टिकोण को अत्यंत सटीक और काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। इस ग्रंथ के श्लोक…

गुरु गीता (Guru Gita)

गुरु गीता (Guru Gita)

गुरु गीता हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो शिव पुराण का हिस्सा मानी जाती है। इसमें भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को गुरु की महिमा और महत्व के बारे में उपदेश दिया गया है। यह ग्रंथ गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित है और इसमें गुरु के महत्व, गुरु की उपासना और गुरु के ज्ञान…

மன்யு ஸூக்தம்ʼ

|| மன்யு ஸூக்தம்ʼ || யஸ்தே ம॒ன்யோ(அ)வி॑த⁴த்³ வஜ்ர ஸாயக॒ ஸஹ॒ ஓஜ॑꞉ புஷ்யதி॒ விஶ்வ॑மானு॒ஷக் . ஸா॒ஹ்யாம॒ தா³ஸ॒மார்யம்॒ʼ த்வயா யு॒ஜா ஸஹ॑ஸ்க்ருʼதேன॒ ஸஹ॑ஸா॒ ஸஹ॑ஸ்வதா .. ம॒ன்யுரிந்த்³ரோ ம॒ன்யுரே॒வாஸ॑ தே³॒வோ ம॒ன்யுர் ஹோதா॒ வரு॑ணோ ஜா॒தவே தா³꞉ . ம॒ன்யும்ʼ-விம்ˮஶ॑ ஈளதே॒ மானு॑ஷீ॒ர்யா꞉ பா॒ஹி நோ மன்யோ॒ தப॑ஸா ஸ॒ஜோஷா꞉ .. அ॒பீ⁴ ஹி மன்யோ த॒வஸ॒ஸ்தவீ யா॒ன் தப॑ஸா யு॒ஜா வி ஜ॑ஹி ஶத்ரூ ந் . அ॒மி॒த்ர॒ஹா வ்ரு॑ʼத்ர॒ஹா த³॑ஸ்யு॒ஹா ச॒…

मन्यु सूक्तं

|| मन्यु सूक्तं || यस्ते म॒न्योऽवि॑धद् वज्र सायक॒ सह॒ ओजः॑ पुष्यति॒ विश्व॑मानु॒षक् । सा॒ह्याम॒ दास॒मार्यं॒ त्वया यु॒जा सह॑स्कृतेन॒ सह॑सा॒ सह॑स्वता ॥ १ ॥ म॒न्युरिंद्रो म॒न्युरे॒वास॑ दे॒वो म॒न्युर् होता॒ वरु॑णो जा॒तवे दाः । म॒न्युं-विँश॑ ईळते॒ मानु॑षी॒र्याः पा॒हि नो मन्यो॒ तप॑सा स॒जोषाः ॥ २ ॥ अ॒भी हि मन्यो त॒वस॒स्तवी या॒न् तप॑सा यु॒जा वि ज॑हि शत्रू न् ।…

ಮನ್ಯು ಸೂಕ್ತಂ

|| ಮನ್ಯು ಸೂಕ್ತಂ || ಯಸ್ತೇ ಮ॒ನ್ಯೋಽವಿ॑ಧದ್ ವಜ್ರ ಸಾಯಕ॒ ಸಹ॒ ಓಜಃ॑ ಪುಷ್ಯತಿ॒ ವಿಶ್ವ॑ಮಾನು॒ಷಕ್ . ಸಾ॒ಹ್ಯಾಮ॒ ದಾಸ॒ಮಾರ್ಯಂ॒ ತ್ವಯಾ ಯು॒ಜಾ ಸಹ॑ಸ್ಕೃತೇನ॒ ಸಹ॑ಸಾ॒ ಸಹ॑ಸ್ವತಾ .. ಮ॒ನ್ಯುರಿಂದ್ರೋ ಮ॒ನ್ಯುರೇ॒ವಾಸ॑ ದೇ॒ವೋ ಮ॒ನ್ಯುರ್ ಹೋತಾ॒ ವರು॑ಣೋ ಜಾ॒ತವೇ ದಾಃ . ಮ॒ನ್ಯುಂ-ವಿಁಶ॑ ಈಳತೇ॒ ಮಾನು॑ಷೀ॒ರ್ಯಾಃ ಪಾ॒ಹಿ ನೋ ಮನ್ಯೋ॒ ತಪ॑ಸಾ ಸ॒ಜೋಷಾಃ .. ಅ॒ಭೀ ಹಿ ಮನ್ಯೋ ತ॒ವಸ॒ಸ್ತವೀ ಯಾ॒ನ್ ತಪ॑ಸಾ ಯು॒ಜಾ ವಿ ಜ॑ಹಿ ಶತ್ರೂ ನ್ . ಅ॒ಮಿ॒ತ್ರ॒ಹಾ ವೃ॑ತ್ರ॒ಹಾ ದ॑ಸ್ಯು॒ಹಾ ಚ॒…

మన్యు సూక్తం

|| మన్యు సూక్తం || యస్తే మ॒న్యోఽవి॑ధద్ వజ్ర సాయక॒ సహ॒ ఓజః॑ పుష్యతి॒ విశ్వ॑మాను॒షక్ । సా॒హ్యామ॒ దాస॒మార్యం॒ త్వయా యు॒జా సహ॑స్కృతేన॒ సహ॑సా॒ సహ॑స్వతా ॥ మ॒న్యురింద్రో మ॒న్యురే॒వాస॑ దే॒వో మ॒న్యుర్ హోతా॒ వరు॑ణో జా॒తవే దాః । మ॒న్యుం-విఀశ॑ ఈళతే॒ మాను॑షీ॒ర్యాః పా॒హి నో మన్యో॒ తప॑సా స॒జోషాః ॥ అ॒భీ హి మన్యో త॒వస॒స్తవీ యా॒న్ తప॑సా యు॒జా వి జ॑హి శత్రూ న్ । అ॒మి॒త్ర॒హా వృ॑త్ర॒హా ద॑స్యు॒హా చ॒…

മന്യു സൂക്തം

|| മന്യു സൂക്തം || യസ്തേ മ॒ന്യോഽവി॑ധദ് വജ്ര സായക॒ സഹ॒ ഓജഃ॑ പുഷ്യതി॒ വിശ്വ॑മാനു॒ഷക് . സാ॒ഹ്യാമ॒ ദാസ॒മാര്യം॒ ത്വയാ യു॒ജാ സഹ॑സ്കൃതേന॒ സഹ॑സാ॒ സഹ॑സ്വതാ .. മ॒ന്യുരിന്ദ്രോ മ॒ന്യുരേ॒വാസ॑ ദേ॒വോ മ॒ന്യുർ ഹോതാ॒ വരു॑ണോ ജാ॒തവേ ദാഃ . മ॒ന്യും-വിഁശ॑ ഈളതേ॒ മാനു॑ഷീ॒ര്യാഃ പാ॒ഹി നോ മന്യോ॒ തപ॑സാ സ॒ജോഷാഃ .. അ॒ഭീ ഹി മന്യോ ത॒വസ॒സ്തവീ യാ॒ൻ തപ॑സാ യു॒ജാ വി ജ॑ഹി ശത്രൂ ന് . അ॒മി॒ത്ര॒ഹാ വൃ॑ത്ര॒ഹാ ദ॑സ്യു॒ഹാ ച॒…

શાંતિ પ્રાર્થના

|| શાંતિ પ્રાર્થના || હે નાથ જોડી હાથ પાયે પ્રેમથી સૌ માંગીએ શરણ મળે સાચું તમારૂ એ હૃદયથી માંગીએ જે જીવ આવ્યો આપ પાસે ચરણમાં અપનાવજો પરમાત્મા એ આત્માને શાંતિ સાચી આપજો વળી કર્મના યોગે કરી જે કુળમાં એ અવતરે ત્યાં પૂર્ણ પ્રેમે ઓ પ્રભુજી આપની ભક્તિ કરે લખચોરાશી બંધનોને લક્ષમાં લઈ કાપજો પરમાત્મા એ…

મન્યુ સૂક્તં

|| મન્યુ સૂક્તં || યસ્તે મ॒ન્યોઽવિ॑ધદ્ વજ્ર સાયક॒ સહ॒ ઓજઃ॑ પુષ્યતિ॒ વિશ્વ॑માનુ॒ષક્ . સા॒હ્યામ॒ દાસ॒માર્યં॒ ત્વયા યુ॒જા સહ॑સ્કૃતેન॒ સહ॑સા॒ સહ॑સ્વતા .. મ॒ન્યુરિંદ્રો મ॒ન્યુરે॒વાસ॑ દે॒વો મ॒ન્યુર્ હોતા॒ વરુ॑ણો જા॒તવે દાઃ . મ॒ન્યું-વિઁશ॑ ઈળતે॒ માનુ॑ષી॒ર્યાઃ પા॒હિ નો મન્યો॒ તપ॑સા સ॒જોષાઃ .. અ॒ભી હિ મન્યો ત॒વસ॒સ્તવી યા॒ન્ તપ॑સા યુ॒જા વિ જ॑હિ શત્રૂ ન્ . અ॒મિ॒ત્ર॒હા વૃ॑ત્ર॒હા દ॑સ્યુ॒હા ચ॒…

He Naath Jodi Haath Prarthana

|| Shanti Prarthana || He naath jodi haath paye premthi sau maangiye Sharano male saachu tamaaru ae hrudaythi maangiye Je jiv aavyo aap paase charanmaa apnaavjo Parmaatmaa ae aatmaane shaanti saachi aapjo Vahi karmanaa yoge fari je kudmaa ae avtare Tya poorna preme O prabhuji aapni bhakti kare Lakh choraasi bandhanone lakshmaa lai kaapjo Parmaatmaa…

वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त – जानिए व्रत कथा, पूजा विधि और आसान उपाय

vaikuntha chaturdashi

वैकुण्ठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए परम मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है। वैकुण्ठ, भगवान विष्णु का निवास स्थान है, और यह दिन उन्हीं की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति…

आंवला नवमी (अक्षय नवमी) की व्रत कथा व पूजा विधि

।। आंवला नवमी की पूजा विधि ।। अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। वृक्ष की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करके उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है। पूजा के…

बैकुंठ चतुर्दशीच्या कथा

|| बैकुंठ चतुर्दशीच्या कथा || एकदा भगवान विष्णू काशीला भगवान शिवाची पूजा करण्यासाठी आले. त्यांनी मणिकर्णिका घाटावर स्नान केलं आणि 1000 सुवर्ण कमळाच्या फुलांनी भगवान विश्वनाथाची पूजा करण्याचं ठरवलं. अभिषेकानंतर पूजा सुरू केली, तेव्हा भगवान शिवांनी त्यांच्या भक्तीची परीक्षा घेण्यासाठी एक फूल कमी केलं. भगवान विष्णूला 1000 कमळाची फुलं अर्पण करायची होती. फुलं कमी असल्याचं…

वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा

।।वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा।। पौराणिक मतानुसार एक बार भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव का पूजन करने के लिए काशी आए। वहाँ मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके उन्होंने एक हजार कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के पूजन का संकल्प किया। अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो शिवजी ने उनकी भक्ति की परीक्षा के…

श्री राधा आरती

|| आरती || आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की। त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि। पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥ आरती श्री वृषभानुसुता की। मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि। अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती श्री वृषभानुसुता की।…

Radha Ashtami 2024 – जानिए राधा जी से जुड़े गुप्त रहस्य और विशेष रोचक कथाएं

Radhe Krishna

राधा जी को भगवान कृष्ण की प्रियतमा और गोपियों की रानी माना जाता है। उनका जीवन रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है। राधा जी के गुप्त रहस्य और रोचक कथाओं की विशेषता उनके अनंत भक्तों के दिलों में आज भी अजेय है। उनके साथ जुड़ी गाथाएं और अन्य कथाएं हमें ध्यान और आध्यात्मिकता की…

श्री राधा चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥ जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥ जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥ रास विहारिणी…

देवी राधा सहस्रनामावली

॥ देवी राधा सहस्रनामावली ॥ ॐ अङ्गपरित्यगायै नमः। ॐ अङ्गारपूर्णायै नमः। ॐ अणिमाद्यष्टसिद्धिदायै नमः। ॐ अण्डपरिपालिन्यै नमः। ॐ अण्डबाह्याण्डसंहर्त्र्यै नमः। ॐ अण्डमध्यस्थायै नमः। ॐ अण्डरूपायै नमः। ॐ अतिसुन्दर्यै नमः। ॐ अतीतगमनायै नमः। ॐ अतीतगुणायै नमः। ॐ अनंशायै नमः। ॐ अनङ्गमोहिनीशक्तिरूपायै नमः। ॐ अनङ्गलतायै नमः। ॐ अनुत्तरायै नमः। ॐ अन्धकारभयध्वस्तायै नमः। ॐ अन्नपूर्णायै नमः। ॐ अपराजितायै…

श्रीराधाष्टकम्

|| श्रीराधाष्टकम् || श्रीश्रीवृन्दावनेश्वर्यै नमः । दिशि दिशि रचयन्ती सञ्चरन्नेत्रलक्ष्मी विलसितखुरलीभिः खञ्जरीटस्य खेलाम् । हृदयमधुपमल्लीं वल्लवाधीशसूनो- रखिलगुणगभीरां राधिकामर्चयामि ॥ पितुरिह वृषभानोरन्ववायप्रशस्तिं जगति किल समस्ते सुष्ठु विस्तारयन्तीम् । व्रजपतिकुमारं खेलयन्तीं सखीभिः सुरभिणि निजकुण्डे राधिकामर्चयामि ॥ शरदुपचितराकाकौमुदीनाथकीर्ति प्रकरदमनदीक्षादक्षिणस्मेरवक्त्राम् । नटदघभिदपाङ्गोत्तुङ्गितानङ्गरङ्गां कलितरुचितरङ्गां राधिकामर्चयामि ॥ विविधकुसुमवृन्दोत्फुल्लधम्मिल्लघाटी विघटितमदघूर्णत्केकिपिच्छप्रशस्तिम् । मधुरिपुमुखबिम्बोद्गीर्णताम्बूलराग स्फुरदमलकपोलां राधिकामर्चयामि ॥ अमलिनललितान्तःस्नेहसिक्तान्तराङ्गां अखिलविधविशाखासख्यविख्यातशीलाम् । स्फुरदघभिदनर्घप्रेममाणिक्यपेटीं धृतमधुरविनोदां राधिकामर्चयामि ॥…

श्री राधिका सहस्रनामावली

।। श्री राधिका सहस्रनामावली ।। श्री राधायै नमः । ॐ राधिकायै नमः ॐ कृष्णवल्लभायै नमः ॐ कृष्णसंयुतायै नमः ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नमः ॐ कृष्णप्रियायै नमः ॐ मदनमोहिन्यै नमः ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नमः ॐ कृष्णनंदप्रदायिन्यै नमः ॐ यशस्विन्यै नमः ॐ यशोगम्यायै नमः ॐ यशोदानंदवल्ल्भायै नमः ॐ दामोदरप्रियायै नमः ॐ गोप्यै नमः ॐ गोपानंदकर्यै नमः ॐ कृष्णाङ्गवासिन्यै नमः…

स्वर विज्ञान (Swar Vigyan)

स्वर विज्ञान (Swar Vigyan)

स्वर विज्ञान एक प्राचीन तांत्रिक और योगिक शास्त्र है, जिसमें श्वास (सांस) और नासिका के माध्यम से व्यक्ति के जीवन और उसके भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति का गहरा संबंध बताया गया है। “स्वर विज्ञान” पुस्तक में श्वास-प्रश्वास की प्रक्रियाओं, नासिकाओं की गतिविधियों और उनके प्रभावों का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह विज्ञान नाड़ी शास्त्र…

मंत्र विज्ञान (Mantra Vigyan)

मंत्र विज्ञान (Mantra Vigyan)

मंत्र विज्ञान एक प्राचीन और रहस्यमय शास्त्र है, जो मंत्रों की शक्ति और उनके प्रयोग पर आधारित है। “मंत्र विज्ञान” पुस्तक में मंत्रों के गूढ़ रहस्यों, उनके सही उच्चारण, विधियों और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी होती है, जो मंत्रों के माध्यम से आत्मिक और भौतिक…

तुकाराम गाथा (Tukaramgatha)

तुकाराम गाथा (Tukaramgatha)

तुकाराम गाथा संत तुकाराम महाराज द्वारा रचित अभंगों का संग्रह है, जो मराठी साहित्य और भक्ति परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। तुकाराम महाराज महाराष्ट्र के एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने भगवान विट्ठल (विठोबा) की भक्ति में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। उनकी गाथा में लगभग 4,500 से अधिक अभंग (भक्ति गीत)…

स्कन्द षष्ठी व्रत कथा व पूजा विधि

।। स्कन्द षष्ठी व्रत पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। ऐसा करने के बाद भगवान कार्तिकेय को चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। फिर उन्हें एक मिष्ठान का भोग लगाएं। आज के दिन माता…