हिंदू पंचांग में अमावस्या तिथि का विशेष स्थान है, लेकिन क्या आपने कभी ‘दर्श अमावस्या’ (Darsha Amavasya) के बारे में सुना है? धार्मिक दृष्टि से यह तिथि अत्यंत कल्याणकारी मानी गई है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि दर्श अमावस्या क्या है, इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है और इस दिन किस विधि से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
क्या है दर्श अमावस्या? (What is Darsha Amavasya?)
अमावस्या की वह रात जिसमें चंद्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता, उसे दर्श अमावस्या कहा जाता है। ‘दर्श’ शब्द का अर्थ होता है ‘देखना’ या ‘दर्शन’।
शास्त्रों के अनुसार, जब चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में आ जाते हैं और चंद्रमा की कलाएं पूरी तरह समाप्त हो जाती हैं, तब दर्श अमावस्या की स्थिति बनती है। इसे आध्यात्मिक शुद्धि और संकल्प लेने का दिन माना जाता है।
दर्श अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
दर्श अमावस्या केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थ हैं:
- पितरों का आशीर्वाद – इसे पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- चंद्र देव की कृपा – चंद्रमा को मन और औषधि का कारक माना जाता है। दर्श अमावस्या पर चंद्र देव की आराधना करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और स्वभाव में सौम्यता आती है।
- नकारात्मकता का नाश – यह दिन स्वयं के भीतर झांकने और बुरी आदतों को छोड़कर नई सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक है।
चंद्र देव की पूजा का सही तरीका और विधि
दर्श अमावस्या पर चंद्रमा अदृश्य होते हैं, इसलिए उनकी मानसिक पूजा और प्रार्थना का विशेष महत्व है। यहाँ पूजा की सरल विधि दी गई है:
- सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर हाथ में जल लेकर व्रत या विशेष पूजा का संकल्प लें।
- अमावस्या की सुबह सबसे पहले सूर्य देव को तांबे के पात्र से जल अर्पित करें।
- चूंकि चंद्रमा दिखाई नहीं देते, इसलिए भगवान शिव की पूजा करें (क्योंकि शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान हैं)।
- चंद्र देव के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें: “ॐ सों सोमाय नमः”!
- इस दिन सफेद वस्तुओं जैसे दूध, चावल, चीनी या सफेद वस्त्र का दान करना अत्यंत फलदायी होता है।
दर्श अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें?
- पवित्र नदी में स्नान करें। तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस) से बचें।
- पितरों के नाम पर तर्पण या दीपदान करें। किसी भी प्रकार के विवाद या क्रोध से दूर रहें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें। देर तक सोने से बचें; ब्रह्म मुहूर्त में जागें।
- जरूरतमंदों को अन्न और जल का दान दें। पीपल के पेड़ को नुकसान न पहुँचाएं।
क्यों जरूरी है इस दिन चंद्रमा की पूजा?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में ‘चंद्र दोष’ होता है या जिनका मन बहुत अशांत रहता है, उनके लिए दर्श अमावस्या का व्रत और पूजन रामबाण उपाय है। इस दिन प्रार्थना करने से एकाग्रता बढ़ती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
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