Durga Ji

श्री दुर्गा चालीसा

Durga Chalisa Marathi Lyrics

Durga JiChalisa (चालीसा संग्रह)मराठी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहू लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥

तुम संसार शक्ति लय कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुयि जग पाला ।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावेम् ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावेम् ॥

रूप सरस्वती का तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरा रूप नरसिंह को अंबा ।
परगट भयि फाड के खंबा ॥

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीम् ।
श्री नारायण अंग समाहीम् ॥

क्षीरसिंधु में करत विलासा ।
दयासिंधु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खडग विराजे ।
जाको देख काल डर भाजे ॥

तोहे कर में अस्त्र त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोटि में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँ लोक में डंका बाजत ॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

पडी भीढ संतन पर जब जब ।
भयि सहाय मातु तुम तब तब ॥

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब कहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नर नारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावेम् ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवेम् ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लायि ।
जन्म मरण ते सौं छुट जायि ॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न होयि बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीत सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप को मरम न पायो ।
शक्ति गयी तब मन पछतायो ॥

शरणागत हुयि कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदंब भवानी ॥

भयि प्रसन्न आदि जगदंबा ।
दयि शक्ति नहिं कीन विलंबा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावेम् ।
रिपु मूरख मॊहि अति दर पावैम् ॥

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥

जब लगि जियू दया फल पावू ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनावू ॥

दुर्गा चालीसा जो गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥

देवीदास शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदंब भवानी ॥

Read in More Languages:

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
श्री दुर्गा चालीसा PDF

Download श्री दुर्गा चालीसा PDF

श्री दुर्गा चालीसा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App