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गंगा सप्तमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

Ganga Saptami Vrat Katha Avm Pooja Vidhi Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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|| गंगा सप्तमी पूजा विधि ||

  • गंगा सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं।
  • फिर गंगा नदी में स्नान करें और अगर नदी में संभव न हो तो गंगाजल (कहां करना चाहिए गंगाजल का इस्तेमाल) घर के पानी में मिलाएं।
  • गंगा नदी में स्नान के समय सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें।
  • सूर्य अर्घ्य के बाद भगवान शिव का ध्यान कर उनके मंत्रों का जाप करें।
  • फिर ‘हर हर गंगे’ का उच्चारण करते हुए नदी में क्षमता अनुसार डुबकी लगाएं।
  • संभव हो तो तीन डुबकी अवश्य मारें। इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

|| गंगा सप्तमी व्रत कथा ||

पौराणिक काल में भागीरथ नामक एक पराक्रमी राजा हुआ करता था। भागीरथ के चौसठ हजार पूर्वज महर्षि कपिल की क्रोध की ज्वाला में जलकर भस्म हो गए थे और उन्हें कभी भी मुक्ति नहीं मिल पाई। उनके पूर्वजों को गंगा के जल से ही मुक्ति मिल सकती थी, जिसके लिए देवी गंगा को धरती पर लाना ज़रूरी था।

देवी गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए भागीरथ ने कठोर तपस्या की, जिसे देखकर मां गंगा प्रसन्न हुईं और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने मां से धरती पर आने का आग्रह किया, जिससे उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल पाए। मां गंगा धरती पर आने के लिए मान गईं। लेकिन उन्होंने भागीरथ को बताया कि अगर वह स्वर्ग से सीधा पृथ्वी पर आएंगी तो पृथ्वी उनके वेग और गति को सहन नहीं कर पाएगी।

इस समस्या के समाधान के लिए देवी गंगा ने भागीरथ को भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा। भागीरथ शिव भक्ति में पूरी तरह लीन हो गए और इससे प्रसन्न होकर स्वयं महादेव ने उन्हें दर्शन दिए। जब शिव जी ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा तो उन्होंने अपनी समस्या के बारे में बताया।

भागीरथ की समस्या सुनकर महादेव ने इसका समाधान निकाला और गंगा जी को अपनी जटाओं में कैद कर लिया। फिर जटा से एक लट को खोल दिया जिससे देवी गंगा सात धाराओं में पृथ्वी पर प्रवाहित हुईं। इस प्रकार भागीरथ मां गंगा को धरती पर लाने में और अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने में सफल रहे।

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