गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है। गरुड़ पुराण में मृत्यु, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्म, और मोक्ष के विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसे विशेष रूप से मृत्युकाल में सुनने और पढ़ने का महत्व बताया गया है, जिससे आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त होती है।
गरुड़ पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 19,000 श्लोक हैं और यह दो खंडों में विभाजित है: पूर्वखंड और उत्तरखंड। पूर्वखंड में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के विषयों पर चर्चा की गई है, जबकि उत्तरखंड में मृत्यु और उसके बाद के जीवन का वर्णन है।
गरुड़ पुराण के प्रमुख विषय
- गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा, यमलोक का वर्णन, और पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा किस प्रकार से विभिन्न लोकों की यात्रा करती है और उसे किस प्रकार के कर्मों के आधार पर फल प्राप्त होते हैं।
- इस पुराण में कर्म के सिद्धांत और उसके फल का विस्तृत वर्णन है। इसमें अच्छे और बुरे कर्मों के परिणाम, स्वर्ग और नरक के विवरण, और विभिन्न योनियों में जन्म के नियमों का वर्णन किया गया है।
- गरुड़ पुराण में श्राद्ध और तर्पण की विधियों का विस्तृत वर्णन है। इसमें बताया गया है कि पितरों की शांति और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए कौन-कौन से अनुष्ठान करने चाहिए।
- इस पुराण में धर्म, नैतिकता, और आचार के नियमों का भी विस्तृत वर्णन है। इसमें वर्णाश्रम धर्म, गृहस्थ जीवन, और संन्यास के कर्तव्यों पर चर्चा की गई है।
- गरुड़ पुराण में योग, ध्यान, और साधना के महत्व और विधियों का भी वर्णन है। इसमें आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए गए हैं।
- इस पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, उनकी लीलाओं, और उनके भक्तों की कथाओं का भी वर्णन है। इसमें विष्णु भक्ति के महत्व और उनके पूजन विधियों का विवरण है।