हिंदू धर्म में मां काली को आदिशक्ति का रौद्र रूप माना जाता है। वे दुष्टों का संहार करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। उनकी उपासना से भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। भारत में मां काली के ऐसे कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जहाँ आज भी उनके चमत्कारों की गाथाएँ सुनी जाती हैं। इन मंदिरों में भक्तों की अटूट आस्था है, और माना जाता है कि यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है। आइए, जानते हैं कुछ ऐसे ही चमत्कारी और रहस्यमयी काली मंदिरों के बारे में।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल, विशेषकर कोलकाता, काली उपासना का गढ़ है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर यहाँ का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र स्थल है। यह मंदिर हुगली नदी के किनारे स्थित है और रानी रासमणि ने इसका निर्माण 1855 में करवाया था। यह मंदिर इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह महान संत श्री रामकृष्ण परमहंस की साधना स्थली रही है, जिन्होंने यहीं पर मां काली के साक्षात दर्शन किए थे।
- मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा के सामने एक अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित रहती है, जो कई वर्षों से बिना बुझे जल रही है।
- भक्तों का मानना है कि यहां मां काली की प्रतिमा में साक्षात प्राण हैं। कई बार भक्तों ने अनुभव किया है कि मां की आँखों में भाव बदलते हैं या प्रतिमा में हलचल होती है।
- स्वयं रामकृष्ण परमहंस ने यहाँ मां काली से प्रत्यक्ष संवाद किया था और उनके कई चमत्कार इस मंदिर से जुड़े हुए हैं।
- जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से यहाँ आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कोलकाता में ही स्थित कालीघाट काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार, यहाँ देवी सती के दाहिने पैर की अंगुलियां गिरी थीं। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहाँ मां काली की एक अद्वितीय प्रतिमा है, जिसमें उनकी जिह्वा (जीभ) सोने की बनी हुई है।
- शक्तिपीठ होने के कारण यह मंदिर अत्यंत पवित्र और सिद्ध माना जाता है। यहाँ दर्शन मात्र से ही भक्तों को विशेष ऊर्जा का अनुभव होता है।
- कई पुजारियों और भक्तों ने यहाँ अजीबोगरीब ध्वनियाँ और अलौकिक शक्तियों की उपस्थिति महसूस की है।
- माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने और मां की आराधना करने से भक्तों को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित गढ़कालिका मंदिर भी एक प्राचीन और अत्यंत चमत्कारी काली मंदिर है। यह भी 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहाँ देवी सती के ऊपरी ओष्ठ (होंठ) गिरे थे। इस मंदिर का संबंध महाकवि कालिदास से भी जोड़ा जाता है, माना जाता है कि मां काली के आशीर्वाद से ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- यह मंदिर विशेष रूप से ज्ञान और विद्या प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है। छात्र और विद्वान यहाँ आकर मां का आशीर्वाद लेते हैं।
- तंत्र-मंत्र और भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए भी यह मंदिर जाना जाता है।
- यहाँ मां काली की प्रतिमा अद्वितीय है और इसका स्वरूप अत्यंत प्रभावशाली है।
डाट काली मंदिर, देहरादून, उत्तराखंड
उत्तराखंड के देहरादून के पास स्थित डाट काली मंदिर भी अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर देहरादून-सहारनपुर मार्ग पर स्थित है और यहाँ एक अखंड ज्योति है जो लगभग 100 वर्षों से लगातार जल रही है।
- इस ज्योति के निरंतर जलने के पीछे का रहस्य आज भी विज्ञान के लिए एक पहेली है।
- यह मंदिर विशेष रूप से वाहन चालकों और यात्रियों के बीच प्रसिद्ध है। लोग यहाँ यात्रा पर निकलने से पहले मां का आशीर्वाद लेने आते हैं ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित रहे। माना जाता है कि मां सड़क दुर्घटनाओं से रक्षा करती हैं।
- भक्तों का मानना है कि यहां जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है।
जॉय मां शामसुंदरी काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में ही एक और रहस्यमयी मंदिर है – जॉय मां शामसुंदरी काली मंदिर, जिसे “जिबंता काली” (जीवित काली) भी कहा जाता है। इस मंदिर के बारे में कई हैरान कर देने वाले दावे किए जाते हैं।
- स्थानीय लोगों और पुजारियों का कहना है कि रात में मंदिर के अंदर से चलने और पायल की आवाजें आती हैं। सुबह जब मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो देवी मां के चरणों के निशान देखे जाते हैं, जिन्हें रोज़ साफ किया जाता है।
- कुछ भक्तों ने यह भी अनुभव किया है कि मां की मूर्ति में हल्की हलचल होती है।
- ऐसी मान्यता है कि जब कोई भक्त बहुत दुखी होकर माता के सामने आता है, तो मूर्ति की आंखों से आंसू आते देखे गए हैं।
कालीबाड़ी मंदिर, आगरा, उत्तर प्रदेश
आगरा में लगभग 200 साल पुराना एक कालीबाड़ी मंदिर है, जो अपने अनोखे चमत्कार के लिए जाना जाता है।
- इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहाँ पर स्थित एक चमत्कारिक घट का पानी कभी खत्म नहीं होता और न ही इसमें कीड़े पनपते हैं। यह पानी सालों से उसी अवस्था में है।
- स्थानीय भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती और माता सभी की मुरादें पूरी करती हैं।
काली माँ की पूजा के लिए उपयुक्त दिन
- अमावस्या – माँ काली की तांत्रिक शक्तियाँ अमावस्या को प्रबल होती हैं। इस दिन विशेष पूजा का विधान है।
- शनिवार – शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए काली माँ की उपासना की जाती है।
- दीपावली की रात्रि – इसे तांत्रिक दृष्टि से सबसे शक्तिशाली रात्रि माना जाता है। इस दिन की गई साधना विशेष फलदायक होती है।
- नवरात्रि (विशेषकर शारदीय) – नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर काली माँ की विशेष पूजा की जाती है।
काली माँ की पूजा विधि
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें (लाल या काले वस्त्र उत्तम माने जाते हैं)। पूजा स्थल को साफ करें और माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: लाल फूल (गुड़हल, चंपा), धूप, दीपक, घी, सिंदूर, काजल, नींबू की माला (कुछ विशेष पूजाओं में), प्रसाद (खीर, नारियल, इमरती, हलवा), मदिरा या मांस (कुछ तांत्रिक पूजा विधियों में – यह अनिवार्य नहीं है)
- “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” – यह बीज मंत्र का जप करते हुए माँ का ध्यान करें।
- हाथ जोड़कर माँ से निवेदन करें कि वे आपके स्थान पर विराजमान हों। फूल, अक्षत, रोली, धूप-दीप, मिठाई आदि अर्पित करें।
- कम से कम 108 बार “ॐ क्रीं कालीकायै नमः” मंत्र का जप करें। तंत्र साधना करने वाले “काली गायत्री मंत्र” या “महाकाली कवच” का भी पाठ कर सकते हैं।
- “जय काली, जय काली, महाकाली” की आरती गाएं और दीपक दिखाएं। पूजा के पश्चात सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
काली माँ के प्रमुख मंत्र
- ॐ क्रीं कालिकायै नमः
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
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