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कल्कि जयन्ती 2024 कब है, कैसे मनाएं, क्या महत्व है?

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कल्कि जयंती हिन्दू धर्म के वैष्णव संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, भगवान कल्कि के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

कल्कि जयन्ती भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि, के जन्म का उत्सव है। इसे हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कल्कि अवतार को कलियुग के अंत में पाप और अधर्म का नाश करने वाला अवतार माना गया है। आइए जानते हैं कल्कि जयन्ती 2024 के बारे में विस्तार से।

कल्कि जयन्ती का महत्व इस बात में निहित है कि यह हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब-जब अधर्म और पाप अपने चरम पर पहुँचते हैं, तब-तब भगवान स्वयं अवतरित होकर धर्म की स्थापना करते हैं। कल्कि जयन्ती को मनाकर भक्त भगवान विष्णु के दसवें अवतार की पूजा करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे अपने जीवन से पाप और अधर्म को दूर करें।

कल्कि जयन्ती तिथि और शुभ मुहूर्त

कल्कि जयन्ती इस वर्ष 10 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त

  • पूजा का शुभ समय: सुबह 4:25 PM बजे से 7:05 PM बजे तक।

कल्कि जयन्ती पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • अपने घर या मंदिर में भगवान कल्कि की प्रतिमा स्थापित करें।
  • प्रतिमा को फूलों, मालाओं और दीपों से सजाएं।
  • भगवान कल्कि को भोग लगाएं।
  • धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • भगवान कल्कि की आरती गाएं।
  • भगवान कल्कि की कथा पढ़ें या सुनें।
  • दक्षिणा वितरित करें।
  • दिनभर उपवास रखें या सात्विक भोजन करें।
  • शाम को भगवान कल्कि की आरती गाकर वंदना करें।

कैसे मनाएं कल्कि जयंती

कल्कि जयंती को आप घर पर या किसी मंदिर में जाकर मना सकते हैं।

  • यदि आप घर पर मना रहे हैं, तो आप ऊपर बताई गई पूजा विधि का पालन कर सकते हैं।
  • यदि आप किसी मंदिर में जा रहे हैं, तो आप वहां आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।
  • आप भगवान कल्कि चालीसा सुन सकते हैं या पढ़ सकते हैं।
  • आप धार्मिक पुस्तकों का पाठ कर सकते हैं।
  • आप दान-पुण्य कर सकते हैं।
  • आप जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकते हैं।

भगवान कल्कि की कथा

भगवान विष्णु ने कल्कि के रूप में अवतार लेने का संकल्प लिया था जब पाप और अधर्म ने अपने चरम पर पहुँचकर मानवता को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया था। कहा जाता है कि भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल गाँव में होगा। वे एक सफेद घोड़े पर सवार होंगे और अपने हाथों में तलवार धारण करेंगे। कल्कि का अवतार अधर्म का नाश कर सत्य और धर्म की स्थापना करेगा।

कल्कि अवतार का वर्णन विभिन्न पुराणों जैसे कि भागवत पुराण, विष्णु पुराण और गरुड़ पुराण में मिलता है। इस कथा के अनुसार, कल्कि अवतार का उद्देश्य मानवता को अधर्म और पाप से मुक्त कर एक नए युग की स्थापना करना है।

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