कितने गुरुवार व्रत रखें? जानिए व्रत की कथा और पूजा विधि, बृहस्पतिवार व्रत के फायदे

brihaspati bhagwan

बृहस्पतिवार का व्रत भगवान बृहस्पति को समर्पित है, जो ज्ञान, धन और बुद्धि के देवता हैं। यह व्रत करने से व्यक्ति को इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है। बृहस्पतिवार व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं। इन कथाओं में भगवान बृहस्पति के भक्तों की भक्ति और उनके द्वारा प्राप्त फल का वर्णन होता है। इन…

श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्रम् – पूर्वपीठिक

|| श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्रम् – पूर्वपीठिक || शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥ १ ॥ यस्य द्विरदवक्त्राद्याः पारिषद्याः परः शतम् । विघ्नं निघ्नन्ति सततं विष्वक्सेनं तमाश्रये ॥ २ ॥ व्यासं वसिष्ठनप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम् । पराशरात्मजं वन्दे शुकतातं तपोनिधिम् ॥ ३ ॥ व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे । नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः…

श्री बृहस्पतिदेव चालीसा

|| श्री बृहस्पतिदेव चालीसा || || दोहा || प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान | श्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आन || अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान | दोषों से मैं भरा हुआ हूं तुम हो कृपा निधान। || चौपाई || जय नारायण जय निखिलेशवर, विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर | यंत्र-मंत्र…

श्री बृहस्पति देव आरती

॥ श्री बृहस्पति देव आरती ॥ जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक…

बुधवार व्रत कथा

हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। ऐसी मान्यता है जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से विघ्नहर्ता गणपति जी की उपासना और उपवास करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है। इस व्रत…

बुधवार व्रत करने की विधि और नियम – जानें क्या खाएं, क्या न खाएं

budhvaar vrat

हिंदू धर्म में, बुधवार का व्रत, जिसे बुधवार व्रत के नाम से जाना जाता है, बुद्धि, धन और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिसे ज्योतिष में बुद्धि, संचार, व्यापार और वाणी का कारक माना जाता है बुधवार व्रत करने से…

श्री बुधवार आरती

|| श्री बुधवार आरती || आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥ ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥ फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥ कंचन थार कपूर की…

नवरात्रों के नौ दिन का पाठ (Navratron Ke Nau Din Ka Path)

नवरात्रों के नौ दिन का पाठ (Navratron Ke Nau Din Ka Path)

नवरात्रों के नौ दिन का पाठ एक ऐसी पुस्तक है जो नवरात्रि के दौरान देवी उपासना और पाठ की विधियों को सरल और व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती है। नवरात्रि, देवी दुर्गा की आराधना का पावन पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक शक्ति की नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पुस्तक भक्तों…

हनुमान जी की व्रत कथा

|| मंगलवार व्रत विधि || सर्व प्रकार के सुख, रक्त विकार, राज्य में सम्मान और पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत अत्यंत उत्तम माना गया है। इस व्रत में केवल गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिए। भोजन दिन या रात में केवल एक बार ही ग्रहण करना उचित है। व्रत को 21…

हनुमान जी आरती

|| हनुमान जी आरती || आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥ आरती कीजै हनुमान लला की। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात…

Chandra Darshan 2025 List – चंद्र दर्शन के दौरान पूजा विधि, जानें चंद्र दर्शन आध्यात्मिक महत्व

Amavasya list

अमावस्या के अगले दिन को चंद्र दर्शन दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा पहली बार अमावस्या के बाद दिखाई देता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से पूरी तरह अदृश्य होता है, उसे अमावस्या कहा जाता है। चंद्र दर्शन दिवस पर सूर्यास्त के तुरंत बाद चंद्रमा थोड़े समय के लिए ही दिखाई देता है।…

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

सुवर्णद्वीपीय रामकथा राजेंद्र मिश्र द्वारा रचित एक अनूठी कृति है, जिसमें रामकथा के उस संस्करण का वर्णन किया गया है जो भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रों में प्रचलित है। यह पुस्तक रामकथा के विविध रूपों और उनकी सांस्कृतिक विविधताओं को समझने के लिए एक अद्वितीय दर्पण है। सुवर्णद्वीपीय रामकथा…

श्रीमहा-गणपति वरिवस्या (Shri Mahaganpati Varivasya)

श्रीमहा-गणपति वरिवस्या (Shri Mahaganpati Varivasya)

श्रीमहागणपति वरिवस्या भारतीय तांत्रिक और वैदिक परंपरा का एक अद्भुत ग्रंथ है, जिसकी रचना दत्तात्रेय जी ने की है। यह पुस्तक भगवान श्रीमहागणपति (गणेश जी) की उपासना और साधना की गूढ़ विधियों को उजागर करती है। इसमें भगवान गणपति के तांत्रिक स्वरूप और उनकी विशेष उपासना पद्धतियों का विस्तार से वर्णन है, जो साधकों को…

स्रष्टा का अस्तित्व सृष्टि के कण – कण से प्रमाणित (Srastha Ka Astitva Srishti Ke Kan Kan Se Pramanit)

स्रष्टा का अस्तित्व सृष्टि के कण - कण से प्रमाणित (Srastha Ka Astitva Srishti Ke Kan Kan Se Pramanit)

स्रष्टा का अस्तित्व सृष्टि के कण-कण से प्रमाणित पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित एक गहन और प्रेरणादायक पुस्तक है, जो ईश्वर के अस्तित्व और सृष्टि के रहस्यों को विज्ञान और अध्यात्म के संगम के माध्यम से प्रस्तुत करती है। इस ग्रंथ में लेखक ने यह समझाने का प्रयास किया है कि ब्रह्मांड का हर…

2024 में इष्टि एवं अन्वाधान व्रतों की विस्तृत सूची, महत्व और विधि सहित

Ishti and anvdhan

वेदिक परंपरा में यज्ञों का विशेष महत्व है, और इष्टि एवं अन्वाधान ऐसे ही दो महत्वपूर्ण यज्ञ हैं। आइए इन दोनों को समझते हैं। अन्वाधान हमेशा पहले किया जाता है। इसे यज्ञ की तैयारी माना जा सकता है, जहां देवता को आमंत्रित किया जाता है। अगले दिन, वास्तविक इष्टि अनुष्ठान होता है, जहां देवता को…

श्री पवनसुत हनुमान आरती

॥ श्री पवनसुत हनुमान आरती ॥ जयति मंगलागार, संसार, भारापहर, वानराकार विग्रह पुरारी। राम-रोषानल, ज्वालमाला मिषध्वान्तचर-सलभ-संहारकारी॥ जयति मरुदन्जनामोद-मन्दिर, नतग्रीवसुग्रीव-दुःखैकबन्धो। यातुधानोद्धत-क्रुद्ध-कालाग्निहर, सिद्ध-सुर-सज्जनानन्दसिन्धो॥ जयति मंगलागार, संसार… जयति रुद्राग्रणी, विश्ववन्द्याग्रणी, विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती। सामगाताग्रणी, कामजेताग्रणी, रामहित, रामभक्तानुवर्ती॥ जयति मंगलागार, संसार… जयति संग्रामजय, रामसन्देशहर, कौशला-कुशल-कल्याणभाषी। राम-विरहार्क-संतप्त-भरतादि नर-नारि-शीतलकरणकल्पशाषी॥ जयति मंगलागार, संसार… जयति सिंहासनासीन सीतारमण, निरखि निर्भर हरष नृत्यकारी। राम संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा…

श्री हनुमान अष्टक

|| हनुमान अष्टक || बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों । ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो । देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो । को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ बालि की त्रास कपीस…

अखुरठा संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

|| अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और पार्वती ने चौसर खेलने का निर्णय लिया। हालांकि, खेल की निगरानी करने वाला कोई नहीं था, इसलिए भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से एक छोटे लड़के को उत्पन्न किया और उसे रेफरी बनने के लिए कहा।…

राशियों के इष्टदेव के मंत्र

|| राशियों के इष्टदेव मंत्र || Mesha (Aries) ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ।। Om Hirng Shring Lakshmi Narayanabhyam Namah|| Vrishabha (Taurus) ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नमः ।। Om Gopalay Utterdhvajay Namah || Mithuna (Gemini) ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।। Om Kling Krishnay Namah|| Karka (Cancer) ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरुपिणे नमः ।। Om HiranyaGarbhay Avyaktrupine Namah…

जानें कुंभ संक्रांति 2025 का आपकी राशि पर असर और सफलता के उपाय

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कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण खगोलीय और धार्मिक पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह दिन दान, पुण्य, और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में कुंभ संक्रांति 13 फरवरी, गुरुवार के दिन पड़ेगी। कुंभ…

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

॥ श्री अन्नपूर्णा स्तोत्र पाठ विधि ॥ मां अन्नपूर्णा की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। उनके समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें और अन्न का अर्पण करें। अर्पित किए जाने वाले अन्न में चावल, गेहूं, या धान का उपयोग किया जा सकता है। इसके पश्चात श्रद्धा और भक्ति भाव से अन्नपूर्णा स्तोत्र का…

श्री त्रिपुरारि स्तोत्रम्

॥ श्रीत्रिपुरारिस्तोत्रम् ॥ नमामोऽसुरारेस्सुरारेर्गणाग्र्यं नमामोऽन्धकारिं मखारिं निजारेः । शिरो गाङ्गवारिप्रचारक्षमोऽस्य नमामः पुरारिम् मुरारेः प्रियं तम् ॥ मुखैः पञ्चभिः पञ्चभिः पञ्चषष्ठं त्रयीसाङ्ख्ययोगाङ्गमारण्यकानि । जगौ भक्तिकाण्डं हरेस्सौख्यभाण्डं नमामः पुरारिं मुरारेः प्रियं तम् ॥ हरेरङ्घ्रितो गाङ्गवारि प्रसूतं कपर्दे कपर्दे कपर्द्दीचकार । अखर्वं च गर्वं हरन् जह्नुजाया नमामः पुरारिं मुरारेः प्रियं तम् ॥ गुरूणां गुरुर्यो मतो नारदेन उपज्ञोऽपि शिष्यः…

श्री त्रिपुरसुन्दरी स्तोत्रम्

|| श्री त्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम् || श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् । वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥ शैलाधिराजतनयां शङ्करप्रियवल्लभाम् । तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥ सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् । सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥ पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् । पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥ पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् । पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥ षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् । षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥…

माँ अन्नपूर्णा चालीसा

|| माँ अन्नपूर्णा चालीसा || ॥ दोहा ॥ विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय । अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय । ॥ चौपाई ॥ नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥ जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥ श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव…

अन्नपूर्णा माता आरती

॥ अन्नपूर्णा माता आरती ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम । सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥ बारम्बार प्रणाम,…

गोपनीय गायत्री तंत्र (Gopniya Gayatri Tantra)

गोपनीय गायत्री तंत्र (Gopniya Gayatri Tantra)

गोपनीय गायत्री तंत्र पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित एक अद्वितीय ग्रंथ है, जो गायत्री साधना के गूढ़ रहस्यों और उसके तांत्रिक स्वरूप को उजागर करता है। यह पुस्तक उन साधकों के लिए मार्गदर्शक है, जो गायत्री महामंत्र की शक्ति को गहराई से समझना और अपने जीवन में आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त करना चाहते हैं। पं….

अन्नपूर्णा माता व्रत कथा

|| अन्नपूर्णा माता व्रत कथा || एक समय की बात है, काशी निवासी धनंजय की पत्नी सुलक्षणा थी। उसे सभी सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का एकमात्र कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता रहता था। एक दिन सुलक्षणा ने अपने पति से कहा, “स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम…

रामायण आठो काण्ड (Ramayan Aatho Kand)

रामायण आठो काण्ड (Ramayan Aatho Kand)

रामायण आठो काण्ड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य “श्रीरामचरितमानस” का संपूर्ण रूप है। यह ग्रंथ भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन, उनके आदर्श चरित्र और लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। श्रीरामचरितमानस को सात काण्डों में विभाजित किया गया है, लेकिन इसे “आठो काण्ड” के रूप…

प्राचीन भारत में लक्ष्मी – प्रतिमा (Prachin Bharat Mein Laxmi Pratima)

प्राचीन भारत में लक्ष्मी - प्रतिमा (Prachin Bharat Mein Laxmi Pratima)

प्राचीन भारत में लक्ष्मी-प्रतिमा डॉ. राय गोविंदचंद्र द्वारा लिखित एक गहन शोधपरक ग्रंथ है, जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति में माता लक्ष्मी की प्रतीकात्मकता, प्रतिमाओं और उनके स्वरूप के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं का विश्लेषण करता है। यह पुस्तक प्राचीन भारत के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक संदर्भ में लक्ष्मी की महत्ता को उजागर करती है।…

कुंभ संक्रांति कथा एवं पूजा विधि

|| कुंभ संक्रांति की पूजा विधि || कुंभ संक्रांति एक पवित्र और शुभ अवसर है, जो सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूजा विधि इस प्रकार है: कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें। स्नान…

ग्रहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा (Gruhlakshmi Ki Pratistha)

ग्रहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा (Gruhlakshmi Ki Pratistha)

ग्रहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक पुस्तक है। यह ग्रंथ गृहस्थ जीवन में लक्ष्मी (धन, समृद्धि और शांति) की सही भूमिका, उसकी पूजा, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उसके महत्व को उजागर करता है। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, जो कि युग निर्माण योजना और अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक हैं,…

काक भुशुण्डि रामायण (Kak Bhushundi Ramayan)

काक भुशुण्डि रामायण (Kak Bhushundi Ramayan)

काक भुशुण्डि रामायण एक पवित्र और लोकप्रिय ग्रंथ है, जो भगवान श्रीराम की कथा को अनूठे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ का प्रकाशन रंधीर बुक सेल्स, हरिद्वार द्वारा किया गया है। काकभुशुण्डि जी, जो कि एक अद्वितीय भक्त और ज्ञानी पक्षी हैं, उनके माध्यम से रामायण की कथा को सरल, सुलभ और भावपूर्ण…

श्री हरि स्तुतिः (हरिमीडे स्तोत्रम्)

|| श्री हरि स्तुतिः (हरिमीडे स्तोत्रम्) || स्तोष्ये भक्त्या विष्णुमनादिं जगदादिं यस्मिन्नेतत्संसृतिचक्रं भ्रमतीत्थम् । यस्मिन् दृष्टे नश्यति तत्संसृतिचक्रं तं संसारध्वान्तविनाशं हरिमीडे ॥ १ ॥ यस्यैकांशादित्थमशेषं जगदेत- -त्प्रादुर्भूतं येन पिनद्धं पुनरित्थम् । येन व्याप्तं येन विबुद्धं सुखदुःखै- -स्तं संसारध्वान्तविनाशं हरिमीडे ॥ २ ॥ सर्वज्ञो यो यश्च हि सर्वः सकलो यो यश्चानन्दोऽनन्तगुणो यो गुणधामा । यश्चाव्यक्तो व्यस्तसमस्तः…

श्री दत्तात्रेयाष्टकम्

|| श्री दत्तात्रेयाष्टकम् || श्रीदत्तात्रेयाय नमः । आदौ ब्रह्ममुनीश्वरं हरिहरं सत्त्वं-रजस्तामसं ब्रह्माण्डं च त्रिलोकपावनकरं त्रैमूर्तिरक्षाकरम् । भक्तानामभयार्थरूपसहितं सोऽहं स्वयं भावयन् सोऽहं दत्तदिगम्बरं वसतु मे चित्ते महत्सुन्दरम् ॥ विश्वं विष्णुमयं स्वयं शिवमयं ब्रह्मामुनीन्द्रोमयं ब्रह्मेन्द्रादिसुरागणार्चितमयं सत्यं समुद्रोमयम् । सप्तं लोकमयं स्वयं जनमयं मध्यादिवृक्षोमयं सोऽहं दत्तदिगम्बरं वसतु मे चित्ते महत्सुन्दरम् ॥ आदित्यादिग्रहा स्वधाऋषिगणं वेदोक्तमार्गे स्वयं वेदं शास्त्र-पुराणपुण्यकथितं ज्योतिस्वरूपं…

दत्तात्रेय अजपाजप स्तोत्रम्

|| दत्तात्रेय अजपाजप स्तोत्रम् || ॐ तत्सत् ब्रह्मणे नमः । ॐ मूलाधारे वारिजपत्रे चतरस्रे वंशंषंसं वर्ण विशालं सुविशालम् । रक्तंवर्णे श्रीगणनाथं भगवन्तं दत्तात्रेयं श्रीगुरुमूर्तिं प्रणतोऽस्मि ॥ स्वाधिष्ठाने षट्दल पद्मे तनुलिङ्गं बंलांतं तत् वर्णमयाभं सुविशालम् । पीतंवर्णं वाक्पति रूपं द्रुहिणन्तं दत्तात्रेयं श्रीगुरुमूर्तिं प्रणतोऽस्मि ॥ नाभौ पद्मंयत्रदशाढां डंफं वर्णं लक्ष्मीकान्तं गरुडारुढं नरवीरम् । नीलंवर्णं निर्गुणरूपं निगमान्तं दत्तात्रेयं…

दत्तात्रेय के 24 गुरु कौन थे? जानिए इनसे मिली शिक्षाएं

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भगवान दत्तात्रेयजी हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर) का अवतार माना जाता है। वे एक सिद्ध पुरुष, योगी और संत के रूप में भी पूजित हैं। वे प्रकृति से सीखने के प्रबल समर्थक थे। उनके जीवन में 24 गुरु थे, जिनमें से अधिकांश प्राकृतिक तत्व थे। इनमें से…

भगवान दत्तात्रेय जन्म कथा

|| भगवान दत्तात्रेय जन्म कथा || भगवान को जब अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है, तो वे नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत का बड़ा अभिमान था। तीनों देवियों के अभिमान को नष्ट करने तथा अपनी परम भक्तिनी पतिव्रता धर्मचारिणी अनसूया के…

श्री रोहिणी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| रोहिणी व्रत कथा || प्राचीन कथा के अनुसार चंपापुरी राज्य में राजा माधवा, और रानी लक्ष्मीपति का राज्य था। उनके सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार राजा ने बेटी रोहिणी के बारे में ज्योतिषी से जानकारी ली तो उसने बताया कि रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ होगा। इस…

श्री दत्तात्रेय स्तोत्रम्

॥ दत्तात्रेय स्तोत्र के लाभ ॥ मंत्र का जाप हमेशा आपके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना सकता है। इसके फायदे कई गुना हैं। पितृषप’ या मृत पूर्वजों के श्राप को हटाना। परिवार में सौहार्द और खुशहाली। मन की शांति और कष्टों से मुक्ति। बच्चों का कल्याण। बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार। कमांडिंग भाषण…

थाईपुसम पौराणिक कथा

|| थाईपुसम पौराणिक कथा || थाईपूसम एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से तमिल समुदाय के लोग बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह त्योहार तमिल सौर मास थाई (जनवरी-फरवरी) में पूर्णिमा के दिन आता है। अन्य हिंदू कैलेंडर में इस माह को सौर मास मकर के नाम से जाना जाता…

भीष्म अष्टमी व्रत कथा

|| भीष्म अष्टमी व्रत कथा || भीष्म पितामह का वास्तविक नाम देवव्रत था। वे हस्तिनापुर के राजा शांतनु और उनकी पटरानी गंगा के पुत्र थे। एक बार राजा शांतनु शिकार करते हुए गंगा तट के पार चले गए। लौटते समय उनकी भेंट हरिदास केवट की पुत्री मत्स्यगंधा (सत्यवती) से हुई। सत्यवती असाधारण रूपवती थी, और…

रथ सप्तमी (अचला सप्तमी) व्रत कथा

|| रथ सप्तमी की व्रत कथा || रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव, जो आरोग्य के देवता हैं, की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने दुर्वासा ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन सूर्य देव की आराधना की थी। इस पर्व को अचला…

कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि

|| कूर्म द्वादशी पौराणिक कथा || पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने अहंकार में आकर दुर्वासा ऋषि द्वारा दी गई बहुमूल्य माला का अपमान कर दिया। इससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया कि वे अपनी सारी शक्तियां और बल खो देंगे। इस श्राप का प्रभाव समस्त देवताओं पर…

सूर्य धनु संक्रांति की कथा (खरमास की कथा)

|| सूर्य धनु संक्रांति की कथा (खरमास की कथा) || ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्यदेव गुरु की राशि धनु या मीन में स्थित होते हैं, तो उस समय को खरमास कहा जाता है। “खर” का अर्थ गधा होता है, और इस समय सूर्यदेव की गति धीमी हो जाती है। आइए, इस संदर्भ में पौराणिक कथा…

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा

|| मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा || पूर्णिमा व्रत कथा के अनुसार, द्वापर युग में माता यशोदा ने अपने पुत्र श्रीकृष्ण से कहा, “हे कृष्ण! तुम सृष्टि के रचयिता और पालनहार हो। कृपया मुझे ऐसा उपाय बताओ, जिससे स्त्रियों को सौभाग्य प्राप्त हो और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएं।” तब श्रीकृष्ण ने कहा, “हे माता!…

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ और श्रवण…

दर्श अमावस्या व्रत कथा

|| दर्श अमावस्या व्रत कथा || हिन्दू कैलेंडर में नए चंद्रमा के दिन को अमावस्या कहा जाता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि कई धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकांड केवल अमावस्या तिथि पर ही संपन्न किए जाते हैं। जब अमावस्या सोमवार को आती है, तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता…

त्रिलता स्तुतिमुक्तावली (Trilata Stutimuktavali)

त्रिलता स्तुतिमुक्तावली (Trilata Stutimuktavali)

त्रिलता स्तुतिमुक्तावली एक उत्कृष्ट आध्यात्मिक कृति है, जिसे पंडित तेजभानु शर्म्मणा ने रचा है। यह पुस्तक देवताओं की स्तुति और प्रार्थनाओं का अनूठा संग्रह है, जिसमें भारतीय संस्कृति और भक्ति परंपरा की गहराई झलकती है। यह ग्रंथ भक्तों के लिए ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम है। पंडित…