णमोकार महामंत्र चालीसा

|| णमोकार महामंत्र चालीसा || ।।  दोहा  ।। वंदूँ श्री अरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार। सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार ।। इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र। अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र ।। णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार। चालीसा पढ़कर लहूँ, स्वात्मधाम साकार ।। ।। चौपाई ।। हो…

श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

|| बृहस्पतिवार व्रत का महत्व || बृहस्पतिवार का व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा के लिए किया जाता है। इसे गुरु वार व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का पालन करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है और उनके जीवन…

महाकुंभ मेला 2025 की संपूर्ण जानकारी – जानें आरंभ तिथि, शाही स्नान की तिथियां, तैयारियां और महत्व

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आज से दो दिन बाद महाकुंभ मेला 2025 का आरंभ होने जा रहा है। आइए जानते हैं महाकुंभ की संपूर्ण जानकारी। महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज (प्रयाग) में होने जा रहा है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन…

श्री मीनाक्षी द्वादश स्तोत्रम्

|| श्री मीनाक्षी द्वादश स्तोत्रम् || या देवी जगतां कर्त्री शङ्करस्यापि शङ्करी । नमस्तस्यै सुमीनाक्ष्यै देव्यै मङ्गलमूर्तये ॥ सकृदाराध्य यां सर्वमभीष्टं लभते नरः । नमस्तस्यै मुमीनाक्ष्यै देव्यै मङ्गलमूर्तये ॥ यस्याः प्रसादलेशेन भोरामोक्षौ न दुर्लभौ । नमस्तस्यै सुमीनाक्ष्यै देव्यै मङ्गलमूर्तये ॥ यया शिवोऽपि युक्तः सन् पञ्चकृत्यं करोति हि । नमस्तस्यै सुमीनाक्ष्यै देव्यै मङ्गलमूर्तये ॥ यस्याः प्रीत्यर्थमनिशं…

अग्नि सूक्तम्

|| अग्नि सूक्तम् || अ॒ग्निमी॑ले पु॒रोहि॑तं य॒ज्ञस्य॑ दे॒वमृ॒त्विज॑म् । होता॑रं रत्न॒धात॑मम् ॥ १ अ॒ग्निः पूर्वे॑भि॒रृषि॑भि॒रीड्यो॒ नूत॑नैरु॒त । स दे॒वा।ण् एह व॑क्षति ॥ २ अ॒ग्निना॑ र॒यिम॑श्नव॒त्पोष॑मे॒व दि॒वेदि॑वे । य॒शसं॑ वी॒रव॑त्तमम् ॥ ३ अग्ने॒ यं य॒ज्ञम॑ध्व॒रं वि॒श्वत॑: परि॒भूरसि॑ । स इद्दे॒वेषु॑ गच्छति ॥ ४ अ॒ग्निर्होता॑ क॒विक्र॑तुः स॒त्यश्चि॒त्रश्र॑वस्तमः । दे॒वो दे॒वेभि॒रा ग॑मत् ॥ ५ यद॒ङ्ग दा॒शुषे॒ त्वमग्ने॑ भ॒द्रं…

श्री इंद्र बाईसा चालीसा पाठ

|| श्री इंद्र बाईसा चालीसा पाठ || II दोहा II नमो नमो गज बदन ने, रिद्ध-सिद्ध के भंडार। नमो सरस्वती शारदा, माँ करणी अवतार II इन्द्र बाईसा आपरो, खुड़द धाम बड़ खम्भ। संकट मेटो सेवगा, शरण पड़या भुज लम्ब II II चौपाई II आवड़जी अरु राजा बाई। और देशाणे करणी माई II चौथो अवतार खुड़द…

चित्रगुप्त कथा व पूजा विधि

|| चित्रगुप्त पूजा कथा || एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले- हे पितामह! आपकी कृपा से मैंने धर्मशास्त्र सुने, परन्तु यमद्वितीया का क्या पुण्य है, क्या फल है यह मैं सुनना चाहता हूँ। आप कृपा करके मुझे विस्तारपूर्वक कहिए। भीष्मजी बोले- तूने अच्छी बात पूछी। मैं उस उत्तम व्रत को विस्तारपूर्वक बताता हूँ। कार्तिक मास…

श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ विधि व लाभ

|| श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें || हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए। सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण का आवाहन करें और उन्हें आसन अर्पित करें। उनके चरण धोने के लिए जल…

शिव जी स्तुति

॥ शिव स्तुति ॥ आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥ निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,…

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम पाठ

|| श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र || ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः। भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः । संभवो…

रामभद्राचार्य हनुमान चालीसा पाठ

॥ हनुमान चालीसा पाठ रामभद्राचार्य ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।। ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित…

पुत्रदा एकादशी (वैकुण्ठ एकादशी) व्रत कथा और पूजा विधि

॥ पुत्रदा एकादशी (वैकुण्ठ एकादशी) व्रत पूजा विधि ॥ प्रातः काल पति – पत्नी संयुक्त रूप से विष्णु की उपासना करें। उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें। अगर इस दिन…

कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि

|| कूर्म द्वादशी पौराणिक कथा || पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने अहंकार में आकर दुर्वासा ऋषि द्वारा दी गई बहुमूल्य माला का अपमान कर दिया। इससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया कि वे अपनी सारी शक्तियां और बल खो देंगे। इस श्राप का प्रभाव समस्त देवताओं पर…

हवन मन्त्राः (Hawan Mantras)

हवन मन्त्राः (Hawan Mantras)

हवन मंत्र पुस्तक एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार हवन करने के लिए उपयोगी मंत्रों और विधियों का संग्रह किया गया है। इस पुस्तक के लेखक पं. वजीरचंद्र शर्मा ने हवन की महत्ता, उसके उद्देश्य, और उसके द्वारा प्राप्त होने वाले आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय लाभों को सरल और सुबोध भाषा में…

श्री गौराङ्ग महाप्रभु (Shri Gauranga Mahaprabhu)

श्री गौराङ्ग महाप्रभु (Shri Gauranga Mahaprabhu)

श्री गौराङ्ग महाप्रभु पुस्तक भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन, व्यक्तित्व और शिक्षाओं का गहन वर्णन प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के लेखक शिवनंदन सहाय ने श्री चैतन्य महाप्रभु के भक्तिमय जीवन और उनके द्वारा प्रचारित भक्ति आंदोलन को सरल और प्रेरणादायक भाषा में प्रस्तुत किया है। यह ग्रंथ श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन की…

Mahakumbh 2025 – पहला महाकुंभ कब और क्यों हुआ आयोजन, जानिए इतिहास, तथ्य और छुपे रहस्य

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महाकुंभ, एक ऐसा धार्मिक आयोजन जो आस्था, परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम है, 2025 में फिर से प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है। कुंभ मेला चार स्थानों – प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगता है। प्रत्येक स्थान पर यह मेला 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। जब 12 पूर्ण…

मकर संक्रांति व्रत कथा

|| मकर संक्रांति व्रत कथा || पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार और पुण्य कर्मों के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे। चारों ओर उनकी ही प्रशंसा हो रही थी। यह देख देवताओं के राजा इंद्र चिंतित हो गए कि कहीं राजा सगर स्वर्ग के राजा न बन जाएं। इसी दौरान…

वीरभद्र गायत्री मंत्र विधि और लाभ

॥ वीरभद्र मंत्र का जाप विधि ॥ सुबह सूर्योदय के साथ या सूर्यास्त बाद करें। बस्त्र रंग – लाल काधारण करे। दक्षिण दिशा के और बैठे सबसे पहले गणेश जी को अर्घ्य दें। घी का दीपक जलाएं। मन में वीरभद्र स्वामी का मानसिक चित्र बनाएं। रुद्राक्ष माला के सहारे मंत्र का 108 बार जाप करें।…

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं श्लोक (अर्थ सहित)

॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक ॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥ हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं।जो समस्त गुणों के स्वामी…

बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित

॥ बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित ॥ बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम् अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता…

अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक अर्थ सहित

॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है,…

एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक अर्थ सहित

॥ एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक ॥ एकोनविंशे विंशतिमे वृष्णिषु प्राप्य जन्मनी । रामकृष्णाविति भुवो भगवानहरद्भरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वृष्णिवंशी कुल में उन्नीसवें तथा बीसवें अवतारों में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और इस तरह उन्होंने संसार के भार को दूर किया। Ekona-vinse vinsatim vrsnisu…

कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक अर्थ सहित

॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक ॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च । नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण को, और देवकी नंदन है अर्थात देवकी के पुत्र को, ग्वाल नंद के पुत्र को, जो स्वयं भगवान श्री गोविंद…

अर्हत पुराण (Arhat Puran)

अर्हत पुराण (Arhat Puran)

अर्हत पुराण जैन धर्म के धार्मिक और दार्शनिक मूल्यों पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे स्वतन्त्र जैन ने रचा है। यह ग्रंथ जैन धर्म के तीर्थंकरों, उनकी शिक्षाओं, और उनके जीवन के प्रेरक प्रसंगों का विस्तृत वर्णन करता है। इसके माध्यम से पाठकों को जैन धर्म की गहरी समझ और उसके आदर्शों को अपनाने…

अर्हत रामायण (Arhat Ramayan)

अर्हत रामायण (Arhat Ramayan)

अर्हत रामायण एक विशेष ग्रंथ है, जो रामायण की कथा को जैन धर्म के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक के लेखक स्वतन्त्र जैन ने भगवान राम के चरित्र को अहिंसा, धर्म, और संयम के आदर्शों के साथ जोड़ा है। यह ग्रंथ रामायण की कथा का एक अनूठा और प्रेरक रूप है, जिसमें जैन…

पवनपुत्र हनुमान (Pavanputra Hanuman)

पवनपुत्र हनुमान (Pavanputra Hanuman)

पवनपुत्र हनुमान ग्रंथ भगवान हनुमान की अद्भुत शक्तियों, उनकी भक्ति, और उनके जीवन की प्रेरक कथाओं को समर्पित है। इस पुस्तक के लेखक स्वतन्त्र जैन ने भगवान हनुमान के चरित्र और उनके अलौकिक गुणों को इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि यह हर पाठक के मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार करता है। इस…

सुबोध – बाल भागवत (Subodh – Baal Bhagvat)

सुबोध - बाल भागवत (Subodh - Baal Bhagvat)

सुबोध – बाल भागवत श्रीमद्भागवत महापुराण का सरल और सुबोध रूपांतरण है, जिसे रूपनारायण पाण्डेय जी ने विशेष रूप से बालकों और सामान्य पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है। यह ग्रंथ भागवत कथा के गूढ़ और गहन तत्वों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास है, ताकि हर उम्र का व्यक्ति इससे लाभान्वित हो सके।…

कृष्णाश्रयस्तोत्रम् (Krishnashrayastotram)

कृष्णाश्रयस्तोत्रम् (Krishnashrayastotram)

कृष्णाश्रयस्तोत्रम् महान वैष्णव संत और आचार्य वल्लभाचार्य द्वारा रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण भक्ति और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वल्लभाचार्य ने इसे अपनी भावनाओं और भक्ति को व्यक्त करने के लिए लिखा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप, गुण, और कृपा का सुंदर वर्णन किया गया है।…

षट्खंडागम (Shatkhandagam)

षट्खंडागम (Shatkhandagam)

षट्खंडागम जैन धर्म के दिगंबर परंपरा का एक अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसकी रचना महान जैन आचार्यों पुष्पदंत और भूतबली ने की है। यह ग्रंथ जैन धर्म के दर्शन, सिद्धांतों, और कर्म सिद्धांत का विस्तृत वर्णन करता है। षट्खंडागम को जैन धर्म के आगम साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे द्रव्य…

हिन्दू कैलंडर फरवरी 2025 में कौन-कौन से हिन्दू त्यौहार और व्रत आएंगे? जानिए यहाँ

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फरवरी 2025 में कई महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार और व्रत मनाए जाएंगे। इस महीने में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और व्रतों का महत्व है। यह माह धार्मिक दृष्टि से बहुत खास होता है क्योंकि इसमें श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुसार देवताओं की उपासना करते हैं। महीने की शुरुआत माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) से होगी, जो स्नान…

आर्यासप्तशती (Aaryasaptashati)

आर्यासप्तशती (Aaryasaptashati)

आर्यासप्तशती भारतीय संस्कृत साहित्य का एक प्रसिद्ध और उत्कृष्ट ग्रंथ है, जिसकी रचना महान कवि गोवर्धनाचार्य ने की है। यह ग्रंथ संस्कृत काव्य परंपरा का एक अद्वितीय उदाहरण है और इसे भारतीय साहित्य के रत्नों में गिना जाता है। गोवर्धनाचार्य संस्कृत साहित्य के महान कवि थे। उनकी लेखनी में गहरी विद्वता और काव्य कला का…

रामायण के रास्ते (Ramayan Ke Raste)

रामायण के रास्ते (Ramayan Ke Raste)

रामायण के रास्ते एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक पुस्तक है, जो भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े आदर्शों और शिक्षाओं को सरल व व्यावहारिक तरीके से प्रस्तुत करती है। यह ग्रंथ रामायण के प्रमुख प्रसंगों और घटनाओं के माध्यम से जीवन के मार्गदर्शन, नैतिकता, और धर्म का संदेश देती है। रामायण के रास्ते पुस्तक की विशेषताएँ…

महाकुंभ 2025 में कितने शाही स्नान है जानें डेट

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हिन्दू धर्म के अनुसार महाकुंभ मेला प्रत्येक 12 वर्ष आयोजित होता है। यह कुंभ मेला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जो उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। इस प्रकर यह मेला इन 4 पवित्र स्थलों पर प्रत्येक 3 वर्षों में लगता है। इस साल 2025 में में यह…

साल 2025 में पोंगल पर्व कब ? जानें तिथि और कहाँ मनाया जाता हैं

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पोंगल पर्व भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसी समय पूरे उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता हैं। इस पर्व के मनाने के लिए तमिलनाडु राज्य के लोग गायों और बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे आभूषणों से सजाते…

सनातन धर्म

सनातन धर्म

सनातन धर्म मूल रूप हिन्दू धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में…

Padma Purana (पद्म पुराण गीता प्रेस गोरखपुर)

Padma Purana (पद्म पुराण गीता प्रेस गोरखपुर)

पद्म पुराण में भगवान् विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ भगवान् श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है। यह हिन्दू धर्म के 18 पुराणों में प्रसिद्ध पुराण है। 18 पुराणों की गिनती में पद्म पुराण दूसरे क्रम में है, और यह पुराण…

Narad Puran Gita Press (नारद पुराण)

Narad Puran Gita Press (नारद पुराण)

नारदपुराण में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष (तथा गणित), और छन्द-शास्त्रों का विशद वर्णन तथा भगवान की उपासना का विस्तृत वर्णन है। यह पुराण इस दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें अठारह पुराणों की अनुक्रमणिका दी गई है। इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी व्यक्ति भी पापमुक्त…

भक्त नामावली (Bhakt Namavami)

भक्त नामावली (Bhakt Namavami)

भक्त नामावली भारतीय धार्मिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसकी रचना व्यास जी ने की है। यह पुस्तक भक्ति मार्ग के उन महान भक्तों का संग्रह है, जिन्होंने अपनी साधना, निष्ठा, और भगवान के प्रति अटूट प्रेम से आध्यात्मिकता की मिसाल पेश की। इस ग्रंथ में प्रसिद्ध भक्तों के नामों के साथ उनके जीवन…

श्रीमहा-गणपति वरिवस्या (Shri Mahaganpati Varivasya)

श्रीमहा-गणपति वरिवस्या (Shri Mahaganpati Varivasya)

श्रीमहागणपति वरिवस्या भारतीय तांत्रिक और वैदिक परंपरा का एक अद्भुत ग्रंथ है, जिसकी रचना दत्तात्रेय जी ने की है। यह पुस्तक भगवान श्रीमहागणपति (गणेश जी) की उपासना और साधना की गूढ़ विधियों को उजागर करती है। इसमें भगवान गणपति के तांत्रिक स्वरूप और उनकी विशेष उपासना पद्धतियों का विस्तार से वर्णन है, जो साधकों को…

चन्द्र दर्शन क्यों है शुभ? चन्द्र दर्शन के समय क्या करें और क्या न करें?

chandra darshan

चंद्र दर्शन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है, जिसमें अमावस्या के बाद पहली बार दिखने वाले चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं। इसे बहुत शुभ माना जाता है और इसके कई धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण हैं। चन्द्र दर्शन का भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक महत्व है। चन्द्रमा को शांत, सौम्य और मन…

अनंत चतुर्दशी 2025 – जानिए व्रत की कहानी, पूजा विधि और महत्व, कैसे करें व्रत उद्यापन

anant bhagwan

अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। इस बार अनन्त चतुर्दशी शनिवार, सितम्बर 06, 2025 को  है। यह भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन अनंत रूपी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन…

माँ गंगा के 108 नामों का जाप करने के फायदे

गंगा दशहरा

धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को गंगा नदी में नहाने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि मां गंगा के नाम मात्र स्मरण से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। इसके लिए गंगा दशहरा…

घर में शंख रखने के नियम और जानें इसके फायदे और नुकसान

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हिन्दू शास्त्रों में शंख रखने के नियम के बारे में भी बताय गया है। मंदिर में शंख को श्रीहरि की मूर्ति के दाईं तरफ रखना शुभ माना जाता है। इसके अलावा  उत्तर पूर्व या उत्तर दिशा में भी शंख को रखा जा सकता है। शंख के आसपास साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। तभी पूजा का…

शतपञ्च चौपाई (Shatpanch Chaupai)

शतपञ्च चौपाई (Shatpanch Chaupai)

शतपञ्च चौपाई भारतीय धार्मिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान श्रीराम के जीवन, उनके आदर्शों, और उनकी लीलाओं का संक्षिप्त लेकिन गहन वर्णन प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ विशेष रूप से उन चौपाइयों का संग्रह है जो श्रीरामचरितमानस से प्रेरित हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक भक्ति, धर्म और आध्यात्मिकता से भरी हुई…

मुण्डकोपनिषदि (Mundakopanishadi)

मुण्डकोपनिषदि (Mundakopanishadi)

मुण्डकोपनिषद भारतीय उपनिषदों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जो वेदों के गूढ़ ज्ञान और आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर करता है। यह उपनिषद अथर्ववेद के अंतर्गत आता है और इसका प्रमुख उद्देश्य ब्रह्मज्ञान को स्पष्ट करना है। “मुण्डकोपनिषद” तीन खंडों (मुण्डकों) में विभाजित है, जिनमें प्रत्येक खंड में दो अध्याय हैं। इसे गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक…

प्रश्नोपनिषद् (Prashnopanishad)

प्रश्नोपनिषद् (Prashnopanishad)

प्रश्नोपनिषद् एक महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथ है, जो उपनिषदों में वर्णित गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान को सरल और बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करता है। यह उपनिषद अथर्ववेद के अंतर्गत आता है और इसमें मुख्यतः छह महत्वपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से जीवन, ब्रह्म, और आत्मा के रहस्यों पर चर्चा की गई है। गीता प्रेस गोरखपुर ने इस…

शिवसतसई (Shiv Satsai)

शिवसतसई (Shiv Satsai)

शिवसतसई भारतीय धार्मिक और काव्य परंपरा का एक अद्भुत ग्रंथ है, जिसकी रचना प्रसिद्ध कवि शिवदत्त त्रिपाठी ने की है। यह पुस्तक भगवान शिव की महिमा, उनकी लीलाओं, और उनके उपदेशों का वर्णन करती है। “शिवसतसई” शिव भक्ति पर केंद्रित एक अद्वितीय काव्य संग्रह है, जिसमें भगवान शिव की महत्ता और उनके आशीर्वाद से जीवन…

तैत्तिरीयोपनिषद् (Taittiriyopanishad)

तैत्तिरीयोपनिषद् (Taittiriyopanishad)

तैत्तिरीयोपनिषद् गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो वेदों के गूढ़ और दार्शनिक ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ यजुर्वेद के अंतर्गत आता है और भारतीय दर्शन, अध्यात्म तथा जीवन के उच्चतर लक्ष्यों को समझाने में सहायक है। इसमें ब्रह्मविद्या, आत्मा, और जीवन के उद्देश्य पर गहराई से…

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