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महालया पूजा की पौरणिक कथा

Mahalaya Katha Puja Vidhi

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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महालया पितृ पक्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है। इस दिन, पितरों को श्रद्धांजलि देने के बाद, देवी दुर्गा की पूजा की शुरुआत होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों का उत्पात बढ़ गया था, तब देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की थी। महालया के दिन, देवी दुर्गा अपनी दिव्य शक्तियों के साथ कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं। देवी दुर्गा ने असुर राज महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। महालया के दिन, इस पौराणिक घटना को याद किया जाता है।

|| महालया पूजा की पौरणिक कथा ||

महालय पूजा, दुर्गा पूजा से पहले होने वाले महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान का हिस्सा है और इसके पीछे की पौरणिक कथा अत्यंत रोचक है। यह पूजा देवी दुर्गा के आगमन का संकेत मानी जाती है और इसे विशेष रूप से बंगाल में मनाया जाता है।

कथाओं के अनुसार, महिषासुर नामक असुर ने देवताओं और मानवों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। उसकी शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि देवता भी उससे हारने लगे। सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव के पास गए और महिषासुर का संहार करने के लिए एक दिव्य शक्ति का निर्माण किया गया। इस दिव्य शक्ति से देवी दुर्गा का प्रकट होना हुआ। देवी दुर्गा को दस भुजाओं वाली महाशक्ति के रूप में दर्शाया जाता है, जो सभी देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित थीं।

महालय के दिन से देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन माना जाता है। यह दिन पितरों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी विशेष समय होता है। लोग इस दिन अपने पूर्वजों को जल अर्पित करते हैं, जिसे “तर्पण” कहा जाता है, ताकि उनकी आत्माओं को शांति प्राप्त हो। इसके बाद से ही दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं, जो देवी दुर्गा की महिमा और महिषासुर मर्दिनी के रूप में उनकी विजय का उत्सव होता है।

महालय की इस कथा में धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्सव का संगम है, जो इसे हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवसर बनाता है।

महालया कैसे मनाया जाता है?

  • भक्त सुबह जल्दी उठकर चंडीपाठ करते हैं और महिषासुर मर्दिनी जैसे मंत्रों का जाप करते हैं।
  • मूर्तिकार इस दिन देवी दुर्गा की मूर्ति की आंखें बनाते हैं, मानो देवी ने धरती पर दृष्टि डाली हो।
  • महालया अमावस्या की सुबह, भक्त अपने पूर्वजों को विदाई देते हैं और शाम को, देवी दुर्गा का स्वागत करते हैं।
  • बंगाल में, महालया के दिन उत्सव का माहौल होता है। लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

महालया का महत्व

महालया हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। यह बंगाली संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। महालया के दिन, शास्त्रीय संगीत और कला के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संक्षेप में, महालया देवी दुर्गा के आगमन का पर्व है और यह दुर्गा पूजा का शुभारंभ होता है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

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