|| मकर संक्रांति व्रत कथा ||
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार और पुण्य कर्मों के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे। चारों ओर उनकी ही प्रशंसा हो रही थी। यह देख देवताओं के राजा इंद्र चिंतित हो गए कि कहीं राजा सगर स्वर्ग के राजा न बन जाएं। इसी दौरान राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इंद्रदेव ने यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया।
जब घोड़े के चोरी होने की सूचना मिली, तो राजा सगर ने अपने 60,000 पुत्रों को उसे खोजने भेजा। खोजते-खोजते वे कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने घोड़ा देखा। उन्होंने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया। इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी पुत्रों को श्राप देकर भस्म कर दिया।
यह सुनकर राजा सगर कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उनसे अपने पुत्रों को क्षमा दान देने का निवेदन किया। तब कपिल मुनि ने कहा कि उनके पुत्रों को मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र उपाय यह है कि गंगा को पृथ्वी पर लाया जाए। राजा सगर के पोते अंशुमान ने यह प्रण लिया कि जब तक मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाया जाएगा, तब तक उनके वंश का कोई राजा चैन से नहीं बैठेगा।
राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भगीरथ ने कठिन तपस्या कर मां गंगा को प्रसन्न किया। मां गंगा का प्रवाह इतना तीव्र था कि पृथ्वी पर उतरने से विनाश हो सकता था। तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की। शिवजी ने अपनी जटाओं में गंगा के वेग को रोककर पृथ्वी पर प्रवाहित होने का मार्ग दिया।
मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं और राजा भगीरथ के साथ कपिल मुनि के आश्रम पहुंचीं। वहां गंगा ने राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। जिस दिन यह घटना हुई, वह मकर संक्रांति का दिन था। इसके बाद मां गंगा सागर में समा गईं। जहां गंगा और सागर मिलते हैं, वह स्थान आज गंगासागर के नाम से प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा या गंगासागर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन दान का महत्व
- तिल का दान – तिल दान से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
- गुड़ का दान – गुड़ का दान सूर्यदेव को प्रसन्न करता है।
- पांच प्रकार के अनाज का दान – इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- कंबल का दान – ठंड से पीड़ित लोगों को कंबल दान करने से सुखमय जीवन मिलता है।
- खिचड़ी का दान – इसे दान करने और खाने दोनों का विशेष महत्व है।
- नए कपड़े – जरूरतमंदों को नए कपड़े दान करने से कष्ट दूर होते हैं।
मकर संक्रांति पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान करें। स्नान के पानी में तिल मिलाएं।
- पीले वस्त्र धारण करें और बिना नमक खाए व्रत का संकल्प लें।
- तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, चंदन और तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित करें।
- सूर्य भगवान की पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
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