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विवाह पंचमी की कथा

Vivah Panchami Katha Hindi

Shri RamVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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|| विवाह पंचमी की कथा ||

विवाह पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विशेष रूप से मनाया जाता है। यह कथा त्रेतायुग की उस महत्वपूर्ण घटना का स्मरण कराती है जब अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम का विवाह मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ था।

प्राचीन काल में मिथिला के राजा जनक बहुत ही धर्मपरायण और ज्ञानी राजा थे। एक बार मिथिला में कई वर्षों तक वर्षा नहीं हुई और राज्य में अकाल पड़ गया। इसे दूर करने के लिए ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को यज्ञ करने की सलाह दी। यज्ञ के लिए भूमि जोतते समय राजा जनक को भूमि से एक सुंदर कन्या प्राप्त हुई। उस कन्या को राजा ने अपनी पुत्री के रूप में अपनाया और उसका नाम सीता रखा।

सीता जी बचपन से ही अत्यंत तेजस्वी और बलशाली थीं। एक बार राजा जनक ने एक यज्ञ में भगवान शिव का धनुष (पिनाक) पाया था। यह धनुष बहुत ही भारी और दिव्य था, जिसे साधारण मनुष्य उठाने की भी क्षमता नहीं रखता था। राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा की कि जो भी इस धनुष को तोड़ेगा, वही सीता का वर होगा।

अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे – राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा करने हेतु वन में गए थे। उसी समय ऋषि विश्वामित्र राम-लक्ष्मण को लेकर मिथिला पहुंचे, जहां राजा जनक का धनुष यज्ञ आयोजित था।

धनुष यज्ञ में विश्व के अनेक वीर और राजा आए थे, लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला तक नहीं सका। जब भगवान राम ने धनुष को देखा, तो गुरु विश्वामित्र के आदेश पर उन्होंने इसे उठाया और उसकी प्रत्यंचा चढ़ाते हुए धनुष को तोड़ दिया। इस प्रकार राजा जनक की प्रतिज्ञा पूरी हुई।

शिव धनुष टूटने पर राजा जनक ने भगवान राम को अपनी पुत्री सीता का वर स्वीकार किया। इसके बाद राजा दशरथ को निमंत्रण भेजा गया। राजा दशरथ अपने पूरे परिवार और बारात के साथ मिथिला पहुंचे। विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विधिपूर्वक विवाह संपन्न हुआ। साथ ही, श्रीराम के तीनों भाइयों – लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह भी क्रमशः सीता की बहनों – उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति के साथ हुआ।

विवाह पंचमी का पर्व वैवाहिक जीवन के महत्व को दर्शाता है। यह प्रेम, समर्पण और कर्तव्य के आदर्शों का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह को स्मरण करते हुए श्रद्धालु व्रत रखते हैं, कथा सुनते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। नेपाल के जनकपुर और अयोध्या में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

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