यम पितृ परिचय एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसे प्रसिद्ध विद्वान पं. प्रियरत्न जी ने लिखा है। यह पुस्तक भारतीय धर्मग्रंथों और परंपराओं में यमराज और पितरों के महत्त्व पर केंद्रित है। इसमें यमराज के न्याय, पितृ दोष, और पितरों की पूजा से संबंधित विषयों को विस्तारपूर्वक समझाया गया है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो पितृ दोष निवारण और यमराज के आध्यात्मिक संदर्भ को समझना चाहते हैं।
पं. प्रियरत्न जी भारतीय धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उन्होंने वेद, पुराण, और अन्य धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन किया है। उनकी पुस्तकों में भारतीय परंपराओं और आध्यात्मिकता को सरल और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
यम पितृ परिचय पुस्तक का विषय-वस्तु
“यम पितृ परिचय” पुस्तक में यमराज, पितृलोक, और पितरों की पूजा से संबंधित गहन और विस्तृत जानकारी दी गई है। इसके मुख्य विषय इस प्रकार हैं:
- यमराज कौन हैं और उनका धर्मग्रंथों में क्या स्थान है।
- मृत्यु के देवता के रूप में उनकी भूमिका और दायित्व।
- यमलोक का वर्णन और पाप-पुण्य का लेखा-जोखा।
- पितृ लोक का अर्थ और उसका स्थान।
- पितरों का आशीर्वाद और श्राद्ध कर्म का महत्त्व।
- पितृ दोष क्या है और यह व्यक्ति के जीवन को कैसे प्रभावित करता है।
- पितृ दोष के लक्षण और इसके निवारण के उपाय।
- श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान की विधियाँ।
- धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से पितरों को शांति प्रदान करने के तरीके।
- यमराज के संदेश और उनके न्याय के सिद्धांत।
- धर्म, कर्म, और पुनर्जन्म के संदर्भ में यमराज की भूमिका।
- यमराज और पितरों से जुड़ी रोचक और प्रेरणादायक कथाएँ।
- राजा हरिश्चंद्र और नचिकेता जैसे पात्रों के उदाहरण।