Parvati Ji

51 Shaktipeeth – सती के अंगों से प्रकट हुए 51 शक्ति पीठ, जानें इनका गूढ़ रहस्य और महिमा

Parvati JiHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोने में रहस्य (Mystery) और आस्था (Faith) का गहरा संगम देखने को मिलता है। यहां के प्राचीन मंदिर और उनकी कथाएं न सिर्फ हमारी संस्कृति (Culture) का हिस्सा हैं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान (Spiritual Knowledge) भी प्रदान करती हैं। इन्हीं में से एक हैं 51 शक्ति पीठ (51 Shakti Peeth)।

क्या आपने कभी सोचा है कि ये शक्ति पीठ कैसे अस्तित्व में आए और इनका क्या महत्व है? आइए, इस रहस्यमयी यात्रा (Mysterious Journey) पर चलते हैं और सती के अंगों से प्रकट हुए इन 51 शक्ति पीठों का गूढ़ रहस्य और महिमा (Glory) को समझते हैं।

सती के आत्मदाह का दुखद प्रसंग – कैसे हुआ शक्ति पीठों का जन्म?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ (Yagna) का आयोजन किया। उन्होंने जानबूझकर अपनी पुत्री सती और उनके पति भगवान शिव (Lord Shiva) को आमंत्रित नहीं किया। सती अपने पिता के घर हो रहे इस आयोजन के बारे में सुनकर वहां बिना बुलाए ही पहुंच गईं।

जब सती वहां पहुंचीं, तो दक्ष ने उनके सामने भगवान शिव का घोर अपमान किया। अपने पति का अपमान सती सहन नहीं कर सकीं। उसी क्षण, क्रोध और अपमान की अग्नि में जलकर उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति (Sacrifice) दे दी।
सती के आत्मदाह की खबर सुनकर भगवान शिव का क्रोध प्रलयंकर (Apocalyptic) हो गया। उन्होंने तांडव करते हुए दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर उठाकर ब्रह्मांड (Universe) में घूमने लगे।

भगवान शिव का यह दुख और क्रोध सृष्टि (Creation) के लिए खतरा बन रहा था। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। ये टुकड़े जहां-जहां गिरे, वहां-वहां एक-एक शक्ति पीठ की स्थापना हुई। हर शक्ति पीठ पर देवी के शरीर का एक अंग और उनके साथ एक भैरव (Bhairava) यानी भगवान शिव का रूप स्थापित हुआ।

51 शक्ति पीठों का गूढ़ रहस्य – क्यों हैं ये इतने महत्वपूर्ण?

ये शक्ति पीठ सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) के केंद्र हैं। हर शक्ति पीठ में देवी का एक विशेष रूप और उससे जुड़ी एक विशेष शक्ति (Power) है। इन पीठों पर जाकर भक्त न सिर्फ देवी के दर्शन करते हैं, बल्कि उनकी दिव्य ऊर्जा को भी महसूस करते हैं।

  • आत्मिक शुद्धि (Spiritual Purification) – माना जाता है कि इन पीठों के दर्शन करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे आत्मिक शांति मिलती है।
  • इच्छा पूर्ति (Fulfillment of Desires) – भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए इन पीठों पर जाते हैं।
  • शक्ति और साहस (Strength and Courage) – ये पीठ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए शक्ति और साहस प्रदान करते हैं।
  • मोक्ष का मार्ग (Path to Moksha) – कई साधक (Spiritual Seekers) इन पीठों को मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन मानते हैं।

कुछ प्रमुख शक्ति पीठ और उनकी महिमा

51 शक्ति पीठ भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में फैले हुए हैं। हर पीठ की अपनी अनूठी कहानी (Unique Story) है। आइए कुछ प्रमुख पीठों के बारे में जानें:

  • कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Kamakhya Temple, Guwahati, Assam) – यह सबसे महत्वपूर्ण शक्ति पीठों में से एक है। यहां देवी सती की योनि गिरी थी। इस पीठ को तंत्र-मंत्र (Tantra-Mantra) का केंद्र माना जाता है।
  • ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (Jwala Devi Temple, Himachal Pradesh) – यहां देवी की जिह्वा (Tongue) गिरी थी। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि नौ ज्वालाएं (Flames) लगातार जलती रहती हैं, जो देवी का प्रतीक हैं।
  • वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू और कश्मीर (Vaishno Devi Temple, Jammu and Kashmir) – यह भी एक प्रमुख शक्ति पीठ है। माना जाता है कि यहां देवी सती का सिर गिरा था।
  • कालीघाट, कोलकाता, पश्चिम बंगाल (Kalighat, Kolkata, West Bengal) – यहां देवी की दाहिनी अंगुली गिरी थी। यह मंदिर देवी काली (Goddess Kali) को समर्पित है और भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय (Popular) है।
  • नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (Naina Devi Temple, Himachal Pradesh) – यहां देवी के नेत्र (Eyes) गिरे थे, इसीलिए इसका नाम नैना देवी पड़ा।

51 शक्ति पीठों के नाम और कहां गिरा कौन सा अंग

यहाँ 51 शक्ति पीठों के नाम और उनसे संबंधित अंग की सूची दी गई है:

  1. कामाख्या शक्ति पीठ – {स्थान: गुवाहाटी, असम, भारत – अंग: योनि}
  2. कालीघाट शक्ति पीठ (कालिका) – {स्थान: कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: दाहिने पैर का अंगूठा}
  3. अम्बाजी शक्ति पीठ – {स्थान: अंबाजी, गुजरात, भारत – अंग: हृदय}
  4. नैना देवी शक्ति पीठ – {स्थान: बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश, भारत – अंग: नेत्र (आँखें)}
  5. ज्वाला देवी शक्ति पीठ – {स्थान: कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश, भारत – अंग: जिह्वा (जीभ)}
  6. हरसिद्धि शक्ति पीठ (अवंती) – {स्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत – अंग: कोहनी या ऊपरी होंठ}
  7. मणिबंध शक्ति पीठ – {स्थान: पुष्कर, राजस्थान, भारत – अंग: कलाई}
  8. विशालाक्षी शक्ति पीठ – {स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत – अंग: कान के कुंडल}
  9. ललिता शक्ति पीठ – {स्थान: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत – अंग: हाथ की उंगलियां}
  10. महामाया शक्ति पीठ – {स्थान: अमरनाथ, जम्मू और कश्मीर, भारत – अंग: गला}
  11. श्री शैल शक्ति पीठ (भ्रमराम्बा) – {स्थान: श्रीसैलम, आंध्र प्रदेश, भारत – अंग: दाहिनी पायल}
  12. त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ – {स्थान: जालंधर, पंजाब, भारत – अंग: बायाँ स्तन}
  13. सावित्री शक्ति पीठ – {स्थान: कुरुक्षेत्र, हरियाणा, भारत – अंग: दाहिने पैर का टखना}
  14. जय दुर्गा शक्ति पीठ – {स्थान: देवघर, झारखंड, भारत – अंग: हृदय (कुछ मान्यताओं के अनुसार) या दाहिना जांघ}
  15. मिथिला शक्ति पीठ – {स्थान: जनकपुर, नेपाल – अंग: बायां कंधा}
  16. गंडकी चंडी शक्ति पीठ – {स्थान: मुक्तिनाथ, नेपाल – अंग: बायां गाल}
  17. महाशिरा शक्ति पीठ – {स्थान: काठमांडू, नेपाल – अंग: कूल्हे}
  18. हिंगलाज शक्ति पीठ – {स्थान: बलूचिस्तान, पाकिस्तान – अंग: सिर (ब्रह्मरंध्र)}
  19. सुगंधा शक्ति पीठ – {स्थान: शिकारपुर, बांग्लादेश – अंग: नासिका (नाक)}
  20. जेसोरेश्वरी शक्ति पीठ – {स्थान: खुलना, बांग्लादेश – अंग: हाथ और पैरों की हथेलियाँ}
  21. अपर्णा शक्ति पीठ – {स्थान: बोगरा, बांग्लादेश – अंग: बाईं पायल}
  22. जयंती शक्ति पीठ – {स्थान: जयंतिया हिल्स, मेघालय, भारत – अंग: बाईं जांघ}
  23. श्री शैल शक्ति पीठ (दाक्षायनी) – {स्थान: तिब्बत, चीन – अंग: दाहिनी हथेली}
  24. त्रिपुरा सुंदरी शक्ति पीठ – {स्थान: त्रिपुरा, भारत – अंग: दाहिना पैर}
  25. विमला शक्ति पीठ – {स्थान: पुरी, ओडिशा, भारत – अंग: नाभि}
  26. नर्मदा शक्ति पीठ – {स्थान: अमरकंटक, मध्य प्रदेश, भारत – अंग: दायां नितंब}
  27. कालमाधव शक्ति पीठ – {स्थान: अमरकंटक, मध्य प्रदेश, भारत – अंग: बायां नितंब}
  28. रामगिरि शक्ति पीठ – {स्थान: चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, भारत – अंग: दायां वक्ष (स्तन)}
  29. नंदिनी शक्ति पीठ – {स्थान: सैंथिया, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: हार}
  30. बहुला शक्ति पीठ – {स्थान: वर्धमान, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: बायां हाथ}
  31. उज्जनि शक्ति पीठ (मंगल चंडिका) – {स्थान: वर्धमान, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: दाहिनी कलाई}
  32. किरीट शक्ति पीठ – {स्थान: मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: मुकुट}
  33. फुलारा शक्ति पीठ – {स्थान: अट्टहास, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: निचला होंठ}
  34. कुमारिका शक्ति पीठ – {स्थान: हुगली, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: कंधा}
  35. महिषमर्दिनी शक्ति पीठ – {स्थान: बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: माथे के बीच का हिस्सा}
  36. देवगर्भा शक्ति पीठ – {स्थान: बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: हड्डी (शरीर की अस्थि)}
  37. रत्नावली शक्ति पीठ – {स्थान: रत्नाकर, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: दायां कंधा}
  38. भ्रामरी शक्ति पीठ – {स्थान: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल, भारत – अंग: बायां पैर}
  39. जयंती शक्ति पीठ – {स्थान: जयंती, मेघालय, भारत – अंग: बायीं जांघ}
  40. श्री पर्वत शक्ति पीठ – {स्थान: लद्दाख, भारत – अंग: दाहिने पैर की पायल}
  41. पंच सागर शक्ति पीठ – {स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत – अंग: निचला दांत}
  42. कात्यायनी शक्ति पीठ – {स्थान: मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत – अंग: बालों का गुच्छा}
  43. गण्डकी शक्ति पीठ – {स्थान: नेपाल – अंग: गाल}
  44. मणिभद्र शक्ति पीठ – {स्थान: पुष्कर, राजस्थान, भारत – अंग: कलाई}
  45. नारायणी शक्ति पीठ – {स्थान: कन्याकुमारी, तमिलनाडु, भारत – अंग: ऊपरी दांत}
  46. शुचि शक्ति पीठ – {स्थान: शुचितीर्थम, तमिलनाडु, भारत – अंग: ऊपरी दांत}
  47. भवानी शक्ति पीठ – {स्थान: चटगांव, बांग्लादेश – अंग: दाहिनी बांह}
  48. यशोरेश्वरी शक्ति पीठ – {स्थान: खुलना, बांग्लादेश – अंग: हाथ की हथेली}
  49. श्री लंका शक्ति पीठ – {स्थान: श्रीलंका – अंग: पायल}
  50. कालमाधव शक्ति पीठ – {स्थान: अमरकंटक, मध्य प्रदेश, भारत – अंग: बायां नितंब}
  51. अंबिका शक्ति पीठ – {स्थान: भरतपुर, राजस्थान, भारत – अंग: बायां पैर}

Found a Mistake or Error? Report it Now

Join WhatsApp Channel Download App