तुलसी आरती ‘महारानी नमो-नमो’ भारतीय घरों में रोज़ाना गाई जाने वाली एक अत्यंत प्यारी और पारंपरिक आरती है। यह आरती तुलसी माता को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु की ‘पटरानी’ (मुख्य पत्नी) कहा जाता है।
इस आरती में तुलसी के पवित्र और पूजनीय स्वरूप का गुणगान किया जाता है। भक्त कहते हैं कि ‘धन्य तुलसी पूरण तप कीनो, शालिग्राम बनी पटरानी’, यानी तुलसी ने इतना तप किया कि वे शालिग्राम रूपी भगवान की पटरानी बन गईं। यह भजन बताता है कि छप्पन भोग भी बिना तुलसी दल के भगवान स्वीकार नहीं करते। यह आरती कार्तिक मास और तुलसी विवाह के दौरान विशेष रूप से गाई जाती है, और इसके गायन से घर में सुख-शांति और हरि का आशीर्वाद मिलता है।
|| तुलसी आरती – महारानी नमो-नमो (Tulsi Mata Aarti PDF) ||
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
धन तुलसी पूरण तप कीनो,
शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥
धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥
सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
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