श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम हिन्दी पाठ अर्थ सहित (विधि – लाभ)

।। गणपति अथर्वशीर्ष पाठ विधि – लाभ ।। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ हमेशा आसन पर बैठ पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। अथर्वशीर्ष स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के जीवन में सर्वांगीण उन्नति होती है। इसके पाठ से सभी प्रकार के विघ्न-बाधाएं दूर होती है। व्यापार या नौकरी…

श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम

|| श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम || ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि त्वमेव केवलं कर्ताऽसि त्वमेव केवलं धर्ताऽसि त्वमेव केवलं हर्ताऽसि त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम् ।। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि ।। अव त्व मां। अव वक्तारं। अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चातात। अव पुरस्तात। अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्। अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।। सर्वतो माँ पाहि-पाहि…

ശ്രീ ഗണപതി അഥർവശീർഷ സ്തോത്രമ

|| ശ്രീ ഗണപതി അഥർവശീർഷ സ്തോത്രമ || ഓം നമസ്തേ ഗണപതയേ. ത്വമേവ പ്രത്യക്ഷം തത്വമസി ത്വമേവ കേവലം കർതാഽസി ത്വമേവ കേവലം ധർതാഽസി ത്വമേവ കേവലം ഹർതാഽസി ത്വമേവ സർവം ഖല്വിദം ബ്രഹ്മാസി ത്വ സാക്ഷാദാത്മാഽസി നിത്യം .. ഋതം വച്മി. സത്യം വച്മി .. അവ ത്വ മാം. അവ വക്താരം. അവ ധാതാരം. അവാനൂചാനമവ ശിഷ്യം. അവ പശ്ചാതാത. അവ പുരസ്താത. അവോത്തരാത്താത. അവ ദക്ഷിണാത്താത്. അവചോർധ്വാത്താത്.. അവാധരാത്താത്.. സർവതോ മാഁ പാഹി-പാഹി…

શ્રી ગણપતિ અથર્વશીર્ષ સ્તોત્રમ

|| શ્રી ગણપતિ અથર્વશીર્ષ સ્તોત્રમ || ૐ નમસ્તે ગણપતયે. ત્વમેવ પ્રત્યક્ષં તત્વમસિ ત્વમેવ કેવલં કર્તાઽસિ ત્વમેવ કેવલં ધર્તાઽસિ ત્વમેવ કેવલં હર્તાઽસિ ત્વમેવ સર્વં ખલ્વિદં બ્રહ્માસિ ત્વ સાક્ષાદાત્માઽસિ નિત્યમ્ .. ઋતં વચ્મિ. સત્યં વચ્મિ .. અવ ત્વ માં. અવ વક્તારં. અવ ધાતારં. અવાનૂચાનમવ શિષ્યં. અવ પશ્ચાતાત. અવ પુરસ્તાત. અવોત્તરાત્તાત. અવ દક્ષિણાત્તાત્. અવચોર્ધ્વાત્તાત્.. અવાધરાત્તાત્.. સર્વતો માઁ પાહિ-પાહિ…

ஶ்ரீ க³ணபதி அத²ர்வஶீர்ஷ ஸ்தோத்ரம

|| ஶ்ரீ க³ணபதி அத²ர்வஶீர்ஷ ஸ்தோத்ரம || ௐ நமஸ்தே க³ணபதயே. த்வமேவ ப்ரத்யக்ஷம்ʼ தத்வமஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ கர்தா(அ)ஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ த⁴ர்தா(அ)ஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ ஹர்தா(அ)ஸி த்வமேவ ஸர்வம்ʼ க²ல்வித³ம்ʼ ப்³ரஹ்மாஸி த்வ ஸாக்ஷாதா³த்மா(அ)ஸி நித்யம் .. ருʼதம்ʼ வச்மி. ஸத்யம்ʼ வச்மி .. அவ த்வ மாம்ʼ. அவ வக்தாரம்ʼ. அவ தா⁴தாரம்ʼ. அவானூசானமவ ஶிஷ்யம்ʼ. அவ பஶ்சாதாத. அவ புரஸ்தாத. அவோத்தராத்தாத. அவ த³க்ஷிணாத்தாத். அவசோர்த்⁴வாத்தாத்.. அவாத⁴ராத்தாத்.. ஸர்வதோ மாம்ˮ பாஹி-பாஹி…

ଶ୍ରୀ ଗଣପତି ଅଥର୍ୱଶୀର୍ଷ ସ୍ତୋତ୍ରମ

|| ଶ୍ରୀ ଗଣପତି ଅଥର୍ୱଶୀର୍ଷ ସ୍ତୋତ୍ରମ || ଓଁ ନମସ୍ତେ ଗଣପତୟେ। ତ୍ୱମେବ ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷଂ ତତ୍ୱମସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ କର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ ଧର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ ହର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ ସର୍ୱଂ ଖଲ୍ୱିଦଂ ବ୍ରହ୍ମାସି ତ୍ୱ ସାକ୍ଷାଦାତ୍ମାଽସି ନିତ୍ୟମ୍ ॥ ଋତଂ ବଚ୍ମି। ସତ୍ୟଂ ବଚ୍ମି ॥ ଅବ ତ୍ୱ ମାଂ। ଅବ ବକ୍ତାରଂ। ଅବ ଧାତାରଂ। ଅବାନୂଚାନମବ ଶିଷ୍ୟଂ। ଅବ ପଶ୍ଚାତାତ। ଅବ ପୁରସ୍ତାତ। ଅବୋତ୍ତରାତ୍ତାତ। ଅବ ଦକ୍ଷିଣାତ୍ତାତ୍। ଅବଚୋର୍ଧ୍ୱାତ୍ତାତ୍॥ ଅବାଧରାତ୍ତାତ୍॥ ସର୍ୱତୋ ମାଁ ପାହି-ପାହି…

ਸ਼੍ਰੀ ਗਣਪਤਿ ਅਥਰ੍ਵਸ਼ੀਰ੍ਸ਼਼ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ

|| ਸ਼੍ਰੀ ਗਣਪਤਿ ਅਥਰ੍ਵਸ਼ੀਰ੍ਸ਼਼ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ || ੴ ਨਮਸ੍ਤੇ ਗਣਪਤਯੇ। ਤ੍ਵਮੇਵ ਪ੍ਰਤ੍ਯਕ੍ਸ਼਼ੰ ਤਤ੍ਵਮਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਕਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਧਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਹਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਸਰ੍ਵੰ ਖਲ੍ਵਿਦੰ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾਸਿ ਤ੍ਵ ਸਾਕ੍ਸ਼਼ਾਦਾਤ੍ਮਾ(ਅ)ਸਿ ਨਿਤ੍ਯਮ੍ ॥ ਰੁਤੰ ਵਚ੍ਮਿ। ਸਤ੍ਯੰ ਵਚ੍ਮਿ ॥ ਅਵ ਤ੍ਵ ਮਾਂ। ਅਵ ਵਕ੍ਤਾਰੰ। ਅਵ ਧਾਤਾਰੰ। ਅਵਾਨੂਚਾਨਮਵ ਸ਼ਿਸ਼਼੍ਯੰ। ਅਵ ਪਸ਼੍ਚਾਤਾਤ। ਅਵ ਪੁਰਸ੍ਤਾਤ। ਅਵੋੱਤਰਾੱਤਾਤ। ਅਵ ਦਕ੍ਸ਼਼ਿਣਾੱਤਾਤ੍। ਅਵਚੋਰ੍ਧ੍ਵਾੱਤਾਤ੍॥ ਅਵਾਧਰਾੱਤਾਤ੍॥ ਸਰ੍ਵਤੋ ਮਾਂ ਪਾਹਿ-ਪਾਹਿ…

শ্ৰী গণপতি অথৰ্ৱশীৰ্ষ স্তোত্ৰম

|| শ্ৰী গণপতি অথৰ্ৱশীৰ্ষ স্তোত্ৰম || ওঁ নমস্তে গণপতয়ে। ত্ৱমেৱ প্ৰত্যক্ষং তত্ৱমসি ত্ৱমেৱ কেৱলং কৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ কেৱলং ধৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ কেৱলং হৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ সৰ্ৱং খল্ৱিদং ব্ৰহ্মাসি ত্ৱ সাক্ষাদাত্মাঽসি নিত্যম্ ॥ ঋতং ৱচ্মি। সত্যং ৱচ্মি ॥ অৱ ত্ৱ মাং। অৱ ৱক্তাৰং। অৱ ধাতাৰং। অৱানূচানমৱ শিষ্যং। অৱ পশ্চাতাত। অৱ পুৰস্তাত। অৱোত্তৰাত্তাত। অৱ দক্ষিণাত্তাৎ। অৱচোৰ্ধ্ৱাত্তাৎ॥ অৱাধৰাত্তাৎ॥ সৰ্ৱতো মাঁ পাহি-পাহি…

শ্রী গণপতি অথর্বশীর্ষ স্তোত্রম

|| শ্রী গণপতি অথর্বশীর্ষ স্তোত্রম || ওঁ নমস্তে গণপতয়ে। ত্বমেব প্রত্যক্ষং তত্বমসি ত্বমেব কেবলং কর্তাঽসি ত্বমেব কেবলং ধর্তাঽসি ত্বমেব কেবলং হর্তাঽসি ত্বমেব সর্বং খল্বিদং ব্রহ্মাসি ত্ব সাক্ষাদাত্মাঽসি নিত্যম্ ॥ ঋতং বচ্মি। সত্যং বচ্মি ॥ অব ত্ব মাং। অব বক্তারং। অব ধাতারং। অবানূচানমব শিষ্যং। অব পশ্চাতাত। অব পুরস্তাত। অবোত্তরাত্তাত। অব দক্ষিণাত্তাৎ। অবচোর্ধ্বাত্তাৎ॥ অবাধরাত্তাৎ॥ সর্বতো মাঁ পাহি-পাহি…

శ్రీ గణపతి అథర్వశీర్ష స్తోత్రమ

|| శ్రీ గణపతి అథర్వశీర్ష స్తోత్రమ || ఓం నమస్తే గణపతయే. త్వమేవ ప్రత్యక్షం తత్వమసి త్వమేవ కేవలం కర్తాఽసి త్వమేవ కేవలం ధర్తాఽసి త్వమేవ కేవలం హర్తాఽసి త్వమేవ సర్వం ఖల్విదం బ్రహ్మాసి త్వ సాక్షాదాత్మాఽసి నిత్యం .. ఋతం వచ్మి. సత్యం వచ్మి .. అవ త్వ మాం. అవ వక్తారం. అవ ధాతారం. అవానూచానమవ శిష్యం. అవ పశ్చాతాత. అవ పురస్తాత. అవోత్తరాత్తాత. అవ దక్షిణాత్తాత్. అవచోర్ధ్వాత్తాత్.. అవాధరాత్తాత్.. సర్వతో మాఀ పాహి-పాహి…

ಶ್ರೀ ಗಣಪತಿ ಅಥರ್ವಶೀರ್ಷ ಸ್ತೋತ್ರಮ

|| ಶ್ರೀ ಗಣಪತಿ ಅಥರ್ವಶೀರ್ಷ ಸ್ತೋತ್ರಮ || ಓಂ ನಮಸ್ತೇ ಗಣಪತಯೇ. ತ್ವಮೇವ ಪ್ರತ್ಯಕ್ಷಂ ತತ್ವಮಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಕರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಧರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಹರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಸರ್ವಂ ಖಲ್ವಿದಂ ಬ್ರಹ್ಮಾಸಿ ತ್ವ ಸಾಕ್ಷಾದಾತ್ಮಾಽಸಿ ನಿತ್ಯಂ .. ಋತಂ ವಚ್ಮಿ. ಸತ್ಯಂ ವಚ್ಮಿ .. ಅವ ತ್ವ ಮಾಂ. ಅವ ವಕ್ತಾರಂ. ಅವ ಧಾತಾರಂ. ಅವಾನೂಚಾನಮವ ಶಿಷ್ಯಂ. ಅವ ಪಶ್ಚಾತಾತ. ಅವ ಪುರಸ್ತಾತ. ಅವೋತ್ತರಾತ್ತಾತ. ಅವ ದಕ್ಷಿಣಾತ್ತಾತ್. ಅವಚೋರ್ಧ್ವಾತ್ತಾತ್.. ಅವಾಧರಾತ್ತಾತ್.. ಸರ್ವತೋ ಮಾಁ ಪಾಹಿ-ಪಾಹಿ…

गणेश पूजा विधि मंत्र सहित – गणेश चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त (Ganpati Sthapana – Visarjan Vidhi)

bhagwan ganesh

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत खास स्थान है। वैसे तो हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो 10 दिनों तक चलता…

गणेश चतुर्थी पूजन 2024- बप्पा को प्रसन्न करने के लिए पूजन सामग्री की सूची

ganesh chaturthi

गणेश पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो हर शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभकार्य का प्रतीक माना जाता है। यहां हम गणेश पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों की सूची, उपयोग, और महत्व का विस्तार से वर्णन…

नानापरिमळ दूर्वा – गणपतीची आरती

॥ नानापरिमळ दूर्वा – गणपतीची आरती ॥ नानापरिमळ दूर्वा शमिपत्रे । लाडू मोदक अन्ने परिपूरित पाते ॥ ऐसे पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रे । अष्टहि सिद्धी नवनिधि देसी क्षणमात्रे ॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती । तुझे गुण वर्णाया मज कैची स्फूर्ती ॥ तुझे ध्यान निरंतर जे कोणी करिती । त्यांची सकलहि पापे विघ्नेही हरती ॥…

श्री गणपति आरती

॥ आरती ॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं। धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। गुड़ के मोदक भोग लगत…

शेंदुर लाल चढायो – गणपतीची आरती

॥ शेंदुर लाल चढायो – गणपतीची आरती ॥ शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ॥ हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको ॥ जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता । धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी । विघ्नविनाशन मंगलमूरत…

हरतालिकेची आरती

|| हरतालिकेची आरती || जय देवी हरितालिके। सखी पार्वती अंबिके ॥ आरती ओवाळीते। ज्ञानदीप कळिके ॥ जय देवी हरितालिके॥ हर अर्धांगी वससी। जासी यज्ञा माहेरासी॥ तेथे अपमान पावसी। यज्ञकुंडी गुप्त होसी॥ जय देवी हरितालिके॥ रिघसी हिमाद्रिच्या पोटी। कन्या होसी तूं गोमटी॥ उग्र तपश्चर्या मोठी। आचरसी उठाउठी॥ जय देवी हरितालिके॥ तपपंचाग्निसाधने। धुम्रपाने अघोवदने। . केली बहु…

तू सुखकर्ता – गणपतीची आरती

॥ तू सुखकर्ता – गणपतीची आरती ॥ तू सुखकर्ता तू दुःखकर्ता विघ्नविनाशक मोरया । संकटी रक्षी शरण तुला मी, गणपतीबाप्पा मोरया ॥ मंगलमूर्ति तू गणनायक । वक्रतुंड तू सिद्धिविनायक ॥ तुझिया द्वारी आज पातलो । नेई स्थितिप्रति राया ॥ संकटी रक्षी शरण तुला मी.. तू सकलांचा भाग्यविधाता । तू विद्येचा स्वामी दाता ॥ ज्ञानदीप उजळून…

हरतालिकेची कहाणी व्रताची कथा

।। हरतालिकेची कहाणी कथा (हरतालिका तीज व्रत कथा मराठी) ।। एके दिवशी शंकरपार्वती कैलास पर्वतावर बसली होती. पार्वतीनं शंकराला विचारलं, महाराज सर्व व्रतात चांगलं असं व्रत कोणते? श्रम थोडे आणि फळ पुष्कळ असं एखादं व्रत असलं तर मला सांगा. मी कोणत्या पुण्याईनं आपले पदरी पडले हेही मला सांगा. तेव्हा शंकर म्हणाले, जसा नक्षत्रांत चंद्र श्रेष्ठ,…

हरतालिका तीज व्रत कथा

|| हरतालिका तीज व्रत कथा || एक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही…

जय देव वक्रतुंडा – गणपतीची आरती

॥ जय देव वक्रतुंडा – गणपतीची आरती ॥ जय देव जय देव जय वक्रतुंडा । सिंदुरमंडित विशाल सरळ भुजदंडा ॥ प्रसन्नभाळा विमला करि घेउनि कमळा । उंदिरवाहन दोंदिल नाचसि बहुलीळा ॥ रुणझुण रुणझुण करिती घागरिया घोळा । सताल सुस्वर गायन शोभित अवलीळा ॥ जय देव जय देव जय वक्रतुंडा… सारीगमपधनी सप्तस्वरभेदा । धिमिकिट धिमिकिट मृदंग…

श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

|| बृहस्पतिवार व्रत का महत्व || गुरुवार (बृहस्पतिवार) का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन श्री हरि विष्णुजी की पूजा का विधान है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। केले के पेड़ को हिन्दू धर्मानुसार बेहद पवित्र…

श्री बृहस्पतिदेव चालीसा

|| दोहा || प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान | श्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आन || अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान | दोषों से मैं भरा हुआ हूं तुम हो कृपा निधान। || चौपाई || जय नारायण जय निखिलेशवर, विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर | यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता , भारत…

श्री बृहस्पति देव आरती

॥ आरती ॥ जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता । सकल…

वराह अवतार की कथा

।। वराह अवतार की कथा ।। हिरण्याक्ष नामक एक दश्यू के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु ने वराह रूप में अवतार लिया था। आज हम आपको इसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। जब कश्यप ऋषि की पत्नी दिती की गर्भ से हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप नाम के दो जुड़वां…

Varah Puran (वराह पुराण)

Varah Puran (वराह पुराण)

वराह पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण का नाम भगवान विष्णु के वराह अवतार के नाम पर रखा गया है। वराह पुराण में भगवान विष्णु के इस अवतार की महिमा, उनकी लीलाओं, धर्म, भक्ति, तीर्थ यात्रा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। वराह पुराण की…

श्री वराह कवचम्

॥ श्रीवराहकवचम् ॥ आद्यं रङ्गमिति प्रोक्तं विमानं रङ्गसंज्ञितम् । श्रीमुष्णं वेङ्कटाद्रिं च साळग्रामं च नैमिशम् ॥ तोयाद्रिं पुष्करं चैव नरनारायणाश्रमम् । अष्टौ मे मूर्तयः सन्ति स्वयं व्यक्ता महीतले ॥ श्रीसूतः – श्रीरुद्रमुखनिर्णीतमुरारिगुणसत्कथा । सन्तुष्टा पार्वती प्राह शङ्करं लोकशङ्करम् ॥ श्रीपार्वत्युवाच – श्रीमुष्णेशस्य माहात्म्यं वराहस्य महात्मनः । श्रुत्वा तृप्तिर्न मे जाता मनः कौतूहलायते । श्रोतुं तद्देवमाहात्म्यं…

श्री वराहाष्टोत्तर शतनामावली

|| श्री वराहाष्टोत्तरशतनामावली || ओं श्रीवराहाय नमः । ओं महीनाथाय नमः । ओं पूर्णानन्दाय नमः । ओं जगत्पतये नमः । ओं निर्गुणाय नमः । ओं निष्कलाय नमः । ओं अनन्ताय नमः । ओं दण्डकान्तकृते नमः । ओं अव्ययाय नमः । ९ ओं हिरण्याक्षान्तकृते नमः । ओं देवाय नमः । ओं पूर्णषाड्गुण्यविग्रहाय नमः । ओं लयोदधिविहारिणे…

श्री वराहाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

|| श्री वराहाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् || ध्यानम् । श्वेतं सुदर्शनदराङ्कितबाहुयुग्मं दंष्ट्राकरालवदनं धरया समेतम् । ब्रह्मादिभिः सुरगणैः परिसेव्यमानं ध्यायेद्वराहवपुषं निगमैकवेद्यम् ॥ स्तोत्रम्। श्रीवराहो महीनाथः पूर्णानन्दो जगत्पतिः । निर्गुणो निष्कलोऽनन्तो दण्डकान्तकृदव्ययः ॥ हिरण्याक्षान्तकृद्देवः पूर्णषाड्गुण्यविग्रहः । लयोदधिविहारी च सर्वप्राणिहितेरतः ॥ अनन्तरूपोऽनन्तश्रीर्जितमन्युर्भयापहः । वेदान्तवेद्यो वेदी च वेदगर्भः सनातनः ॥ सहस्राक्षः पुण्यगन्धः कल्पकृत् क्षितिभृद्धरिः । पद्मनाभः सुराध्यक्षो हेमाङ्गो दक्षिणामुखः ॥ महाकोलो…

स्कन्द षष्ठी 2024 लिस्ट – पूजा विधि, सामग्री जानिये महत्व और इसकी तैयारियां

lord kartikeya

स्कन्द षष्ठी भगवान स्कन्द, जिन्हें कार्तिकेय और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा का विशेष पर्व है। यह षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो कि भगवान स्कन्द के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। स्कन्द षष्ठी का पर्व विशेष रूप से तमिलनाडु और दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से…

Saundarya Lahari (सौंदर्य लहरी)

Saundarya Lahari (सौंदर्य लहरी)

सौंदर्य लहरी एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ माँ पार्वती (शक्ति) की स्तुति में लिखा गया है और इसमें देवी के सौंदर्य, शक्ति, और कृपा का वर्णन किया गया है। “सौंदर्य लहरी” का शाब्दिक अर्थ है “सौंदर्य की लहरें,” और यह ग्रंथ वास्तव में देवी के…

Guru Charitra (गुरुचरित्र)

Guru Charitra (गुरुचरित्र)

गुरुचरित्र हे श्रीपाद श्रीवल्लभ आणि श्री नरसिंह सरस्वती यांच्या जीवनावरील एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ आहे. या ग्रंथात 53 अध्यायांमध्ये त्यांच्या जीवनातील घटनांचा, त्यांच्या चमत्कारांचा आणि भक्तांना दिलेल्या उपदेशांचा सविस्तर वर्णन केलेला आहे. गुरुचरित्र हे भक्तीमार्गावर चालणाऱ्या प्रत्येक व्यक्तीच्या जीवनात अत्यंत महत्त्वाचे स्थान आहे. गुरुचरित्र ग्रंथाची रचना गुरुचरित्राच्या पहिल्या भागात श्रीपाद श्रीवल्लभ यांच्या जीवनाचे वर्णन आहे. ते…

Garud Puran (ગરુડ પુરાણ)

Garud Puran (ગરુડ પુરાણ)

ગરુડ પુરાણ હિન્દુ ધર્મના 18 મહાપુરાણોમાંથી એક મહત્વપૂર્ણ પુરાણ છે. આ પુરાણનું નામ ભગવાન વિષ્ણુના વાહન, ગરુડના નામ પર રાખવામાં આવ્યું છે, જે આ પુરાણના મુખ્ય વાર્તાકાર છે. ગરુડ પુરાણમાં આત્મા, મૃત્યુ, પિતૃলোক, યમરાજ, નરક, અને પુનર્જન્મ જેવા અનેક વિષયો પર વિશદ માહિતી આપવામાં આવી છે. ગરુડ પુરાણ – મુખ્ય વિષયવસ્તુ ગરુડ પુરાણમાં મૃત્યુ પછી…

Manglacharana (मंगलाचरण)

Manglacharana (मंगलाचरण)

मंगलाचरण का शाब्दिक अर्थ है “मंगल के लिए की गई प्रार्थना”। यह हिंदू धार्मिक और साहित्यिक ग्रंथों की एक प्रारंभिक प्रार्थना होती है, जो किसी शुभ कार्य या ग्रंथ के आरंभ में की जाती है। मंगलाचरण का उद्देश्य भगवान की कृपा प्राप्त करना और आरंभ किए गए कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना होता है। मंगलाचरण…

तुलसी चालीसा

॥ दोहा ॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी । नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥ श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब । जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥ ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तलसी माता । महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥ हरि के प्राणहु से…

श्री गंगा चालीसा

॥दोहा॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥ ॥चौपाई॥ जय जय जननी हराना अघखानी । आनंद करनी गंगा महारानी ॥ जय भगीरथी सुरसरि माता । कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी । भीष्म की माता जगा जननी ॥ धवल कमल…

कैला देवी चालीसा

॥ दोहा ॥ जय जय कैला मात हे, तुम्हे नमाउ माथ ॥ शरण पडूं में चरण में, जोडूं दोनों हाथ ॥ आप जानी जान हो, मैं माता अंजान ॥ क्षमा भूल मेरी करो, करूँ तेरा गुणगान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय कैला महारानी । नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥ सब जग की हो…

श्री बगलामुखी चालीसा

॥ दोहा ॥ सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूं चालीसा आज ॥ कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय श्री बगला माता । आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥ बगला सम तब आनन माता । एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥ शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी । असतुति करहिं…

विन्ध्येश्वरी चालीसा

॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब । सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता । जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥ कष्ट निवारण जै जगदेवी । जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥ महिमा अमित अपार…

श्री लक्ष्मी चालीसा

॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास । मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस ॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं । सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ तुम समान नहिं कोई…

श्री गायत्री चालीसा

॥ दोहा ॥ हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड । शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥ जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम । प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥ ॥ चालीसा ॥ भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥ अक्षर चौबिस परम पुनीता । इनमें बसें…

श्री सूर्य देव चालीसा

॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु पतंग मरीची भास्कर, सविता हंस सुनूर विभाकर॥ विवस्वान आदित्य विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि खग रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत…

श्री सरस्वती चालीसा

॥ दोहा ॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि । बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि ॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु ॥ ॥ चालीसा ॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी । जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥ जय जय जय वीणाकर…

कुबेर चालीसा

॥ दोहा ॥ जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप…

हलषष्ठी सम्पूर्ण व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| हलषष्ठी व्रत पूजा विधि || भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से ही व्रत का नियम शुरू करें अर्थात् एक समय का भोजन कर हलषष्ठी व्रत करने का संकल्प करें। षष्ठी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। एक बार का धोया अर्थात् नवीन स्वच्छ वस्त्र धारण करें। माताएँ सौभाग्य का सारा…

अजा एकादशी व्रत रखने की विधि, पूजा सामग्री, मंत्र और आरती

aja ekadashi

अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कहते हैं। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में…

अजा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ अजा एकादशी पूजा विधि ॥ अजा एकादशी का व्रत करने वाले जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निपटने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा से पहले घट स्थापना की जाती है, जिसमें घड़े पर लाल रंग का वस्त्र सजाया जाता है और उसकी पूजा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है? इस बार कब बजेगा ‘मटकी फोड़’ का शंख? जानिए शुभ मुहूर्त

krishna janamastmi

हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रति वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024, सोमवार को मनाई जाएगी। कृष्ण जन्माष्टमी 2024 में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से…

लड्डू गोपाल के लिए पसंदीदा भोग लिस्ट, जानें भोग की विधि और सामग्री

krishna bhog

लड्डू गोपाल को भोग लगाना भगवान कृष्ण की पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, और ऐसा माना जाता है कि भगवान स्वादिष्ट भोग ग्रहण करके भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। लड्डू गोपाल के लिए भोग अर्पित करना विशेष महत्वपूर्ण होता है। भोग लगाकर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न…

कृष्णाच्या जन्माची कहाणी

॥ जन्माष्टमीचे व्रत कसे करावे ॥ जन्माष्टमीचे व्रत हे अष्टमीच्या दिवशी एकभुक्त राहून करावे. मध्यरात्री शुचिर्भूत होऊन संकल्प करावा. यानंतर बाळकृष्णाची मूर्ती किंवा प्रतिमा स्थापन करावी. यानंतर सपरिवार श्रीकृष्णाची षोडशोपचार पूजा करावी. धूप, दीप, नैवेद्य दाखवावा. श्रीकृष्णाची आरती करावी. पूजा करून पुरुषसूक्त, विष्णूसूक्ताचे स्तवन करावे. वाद्यांचा घोष, गीतांचे मंगल स्वर, पुराण, इतिहासातील निरनिराळ्या सत्कथा ऐकत…