।। बृहस्पतिस्तोत्रम् ।।
श्री गणेशाय नमः ।
अस्य श्रीबृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, छन्दः,
बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
गुरुर्बृहस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः ।
वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥
सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः ।
दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुङ्मलद्युतिः ॥
लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः ।
तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥
भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् ।
अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः ॥
जीवेद्वर्षशतं मर्त्यो पापं नश्यति नश्यति ।
यः पूजयेद्गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ॥
पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम् ।
ब्राह्मणान्भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेद्गुरोः ॥
॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे बृहस्पतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
।। बृहस्पति स्तोत्र पाठ की विधि ।।
- सबसे पहले गुरुवार के दिन प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
- एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर श्री गुरु बृहस्पति देव का छायाचित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद केले के वृक्ष या पत्ते से बृहस्पति देव के लिए छत्र का निर्माण करें।
- फिर गुरुदेव को धूप, दीप, नैवेद्य, पीले पुष्प और केले का भोग अर्पित करें।
- तत्पश्चात शुद्ध उच्चारण के साथ पूर्ण भक्तिभाव से बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ समाप्त होने पर आरती करें और फिर देव गुरु बृहस्पति से आशीर्वाद प्राप्त करें।
॥ बृहस्पति स्तोत्र पाठ के लाभ ॥
- बृहस्पति स्तोत्र के पाठ से अविवाहित जातकों के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- इसके प्रभाव से कुंडली में चल रही गुरु की महादशा और अंतर्दशा में लाभ मिलता है।
- बृहस्पति देव की उपासना से सामाजिक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।
- यदि आप अपने जीवन में समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो इसका पाठ अवश्य करें।
- श्री गुरु बृहस्पति देव की उपासना से श्री हरि विष्णु भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है।
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