नागा सन्यासियों का इतिहास (Naga Sanyasiyon Ka Itihas)

नागा सन्यासियों का इतिहास (Naga Sanyasiyon Ka Itihas)

‘नागा सन्यासियों का इतिहास’ अशोक त्रिपाठी द्वारा लिखित एक अद्भुत और गहन शोधपूर्ण पुस्तक है, जो भारत के नागा सन्यासियों के अद्वितीय इतिहास, परंपराओं और धार्मिक योगदानों पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक भारतीय सनातन धर्म और इसकी तपस्वी परंपरा के महत्वपूर्ण पक्ष को समझने का एक अनमोल माध्यम है। नागा सन्यासियों का इतिहास पुस्तक…

प्रथम दीक्षा (Pratham Diksha)

प्रथम दीक्षा (Pratham Diksha)

‘प्रथम दीक्षा’ सतीसर फाउंडेशन द्वारा रचित एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो आत्मज्ञान, जीवन की आंतरिक यात्रा और आध्यात्मिकता के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। यह पुस्तक विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो आध्यात्मिक मार्ग पर पहला कदम रखना चाहते हैं और जीवन के गहरे रहस्यों को समझने की इच्छा रखते हैं। प्रथम…

श्री गंगा स्तोत्रम्

॥ श्री गंगा स्तोत्रम् ॥ देवि! सुरेश्वरि! भगवति! गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे । शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥ भागीरथिसुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः । नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे । दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम् । मातर्गंगे त्वयि…

Vedant Darshan (वेदांत दर्शन)

Vedant Darshan (वेदांत दर्शन)

वेदांत दर्शन पुस्तक भारतीय दार्शनिक परंपरा के महत्वपूर्ण पहलू वेदांत के सिद्धांतों और शिक्षाओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। वेदांत दर्शन भारतीय दर्शन का एक प्रमुख अंग है, जो वेदों के अंतिम भाग, उपनिषदों, पर आधारित है। यह पुस्तक उन सभी के लिए एक मार्गदर्शिका है जो वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों को समझना चाहते…

Chanakya Sutrani (चाणक्य सूत्राणी)

Chanakya Sutrani (चाणक्य सूत्राणी)

चाणक्य सूत्राणी महान विद्वान और राजनीतिज्ञ चाणक्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार थे। उनकी रचनाएँ, विशेष रूप से चाणक्य सूत्राणी और अर्थशास्त्र, राजनीति, अर्थव्यवस्था और राज्य प्रशासन के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण…

नित्य पारायण स्तोत्रम्

॥ नित्य पारायण स्तोत्रम् ॥ प्रभात श्लोकः कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी प्रभाते करदर्​शनम् ॥ करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्​शनम् ॥ प्रभात भूमि श्लोकः समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं, पादस्पर्​शं क्षमस्वमे ॥ सूर्योदय श्लोकः ब्रह्मस्वरूप मुदये मध्याह्नेतु महेश्वरम् । साहं ध्यायेत्सदा विष्णुं त्रिमूर्तिं च दिवाकरम् ॥ स्नान…

श्री रामचन्द्राष्टकम्

॥ श्री रामचन्द्राष्टकम् ॥ चिदाकारो धातापरमसुखदः पावन- तनुर्मुनीन्द्रैर्यो-गीन्द्रैर्यतिपतिसुरेन्द्रैर्हनुमता। सदा सेव्यः पूर्णोजनकतनयाङ्गः सुरगुरू रमानाथो रामो रमतुमम चित्ते तु सततम्॥ मुकुन्दो गोविन्दोजनकतनयालालितपदः पदं प्राप्तायस्याधमकुलभवा चापि शबरी। गिरातीतोऽगम्योविमलधिषणैर्वेदवचसा रमानाथो रामो रमतुमम चित्ते तु सततम्॥ धराधीशोऽधीशःसुरनरवराणां रघुपतिः किरीटी केयूरीकनककपिशः शोभितवपुः। समासीनः पीठेरविशतनिभे शान्तमनसो रमानाथो रामो रमतुमम चित्ते तु सततम्॥ वरेण्यः शारण्यःकपिपतिसखश्चान्तविधुरो ललाटे काश्मीरोरुचिरगतिभङ्गः शशिमुखः। नराकारो रामोयतिपतिनुतः संसृतिहरो रमानाथो रामो…

श्री राम प्रेमाष्टकम्

॥ श्री रामप्रेमाष्टकम् ॥ श्यामाम्बुदाभमरविन्दविशालनेत्रं बन्धूकपुष्पसदृशाधरपाणिपादम्। सीतासहायमुदितं धृतचापबाणं रामं नमामि शिरसा रमणीयवेषम्॥ पटुजलधरधीरध्वानमादाय चापं पवनदमनमेकं बाणमाकृष्य तूणात्। अभयवचनदायी सानुजः सर्वतो मे रणहतदनुजेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः॥ दशरथकुलदीपोऽमेयबाहुप्रतापो दशवदनसकोपः क्षालिताशेषपापः। कृतसुररिपुतापो नन्दितानेकभूपो विगततिमिरपङ्को रामचन्द्रः सहायः॥ कुवलयदलनीलः कामितार्थप्रदो मे कृतमुनिजनरक्ष रक्षसामे कहन्ता। अपहृतदुरितोऽसौ नाममात्रेण पुंसामखिल- सुरनृपेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः॥ असुरकुलकृशानुर्मानसाम्भोजभानुः सुरनरनिकराणामग्रणीर्मे रघूणाम्। अगणितगुणसीमा नीलमेघौघधामा शमदमितमुनीन्द्रो रामचन्द्रः सहायः॥ कुशिकतनययागं रक्षिता लक्ष्मणाढ्यः…

श्री रामाष्टकम्

॥ श्री रामाष्टकम् ॥ कृतार्तदेववन्दनंदिनेशवंशनन्दनम्। सुशोभिभालचन्दनंनमामि राममीश्वरम्॥ मुनीन्द्रयज्ञकारकंशिलाविपत्तिहारकम्। महाधनुर्विदारकंनमामि राममीश्वरम्॥ स्वतातवाक्यकारिणंतपोवने विहारिणम्। करे सुचापधारिणंनमामि राममीश्वरम्॥ कुरङ्गमुक्तसायकंजटायुमोक्षदायकम्। प्रविद्धकीशनायकंनमामि राममीश्वरम्॥ प्लवङ्गसङ्गसम्मतिंनिबद्धनिम्नगापतिम्। दशास्यवंशसङ्क्षतिंनमामि राममीश्वरम्॥ विदीनदेवहर्षणंकपीप्सितार्थवर्षणम्। स्वबन्धुशोककर्षणंनमामि राममीश्वरम्॥ गतारिराज्यरक्षणंप्रजाजनार्तिभक्षणम्। कृतास्तमोहलक्षणंनमामि राममीश्वरम्॥ हृताखिलाचलाभरंस्वधामनीतनागरम्। जगत्तमोदिवाकरंनमामि राममीश्वरम्॥ इदं समाहितात्मनानरो रघूत्तमाष्टकम्। पठन्निरन्तरं भयंभवोद्भवं न विन्दते॥ ॥ इति श्री रामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

श्री सीताराम आरती

॥ श्री सीताराम आरती ॥ आसपास सखियाँ सुख दैनी, सजि नव साज सिन्गार सुनैनी, बीन सितार लिएँ पिकबैनी, गाइ सुराग सुनाओ॥ गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ। अनुपम छबि धरि दन्पति राजत, नील पीत पट भूषन भ्राजत, निरखत अगनित रति छबि लाजत, नैनन को फल पाओ॥ गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ। नीरज…

मंत्र शक्ति के अद्भुत चमत्कार (Mantra Shakti Ke Adbhut Chamatkar)

मंत्र शक्ति के अद्भुत चमत्कार (Mantra Shakti Ke Adbhut Chamatkar)

‘मंत्र शक्ति के अद्भुत चमत्कार’ एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक पुस्तक है, जिसे प्रख्यात लेखक डॉ. चमनलाल गौतम ने लिखा है। यह पुस्तक मंत्रों की शक्ति, उनकी उपयोगिता और उनके चमत्कारिक प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करती है। यह ग्रंथ उन पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो आध्यात्मिक साधना, मंत्र विज्ञान…

मध्यसिद्धान्तकौमुदी (Madhyasiddhantakaumudi)

मध्यसिद्धान्तकौमुदी (Madhyasiddhantakaumudi)

‘मध्यसिद्धान्तकौमुदी’ संस्कृत व्याकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे प्रख्यात विद्वान श्री विष्णुनाथ ने रचा है। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा के व्याकरणिक सिद्धांतों को सहज और सरल रूप में प्रस्तुत करता है। यह पाणिनि के अष्टाध्यायी और भट्टोजि दीक्षित की सिद्धान्तकौमुदी के बीच एक सेतु का कार्य करता है, जिससे जटिल व्याकरणिक नियमों…

रहस्य लीलाएं (Rahasya Leelaa)

रहस्य लीलाएं (Rahasya Leelaa)

‘रहस्य लीलाएं’ पुस्तक, लेखिका राजेश्वरी शंकर द्वारा रचित एक अद्भुत और रहस्यमयी कृति है। यह पुस्तक मानव जीवन के गूढ़ पहलुओं और ब्रह्मांडीय रहस्यों पर प्रकाश डालती है। इसमें रहस्यमय घटनाओं, अदृश्य शक्तियों और अद्भुत अनुभवों को रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को गहराई तक प्रभावित करती है। रहस्य लीलाएं पुस्तक…

मंत्रअनुष्ठानपद्धति (Mantra Anushthan Paddhati)

मंत्रअनुष्ठानपद्धति (Mantra Anushthan Paddhati)

‘मंत्र प्रयोग’ पुस्तक मंत्र विद्या के रहस्यों और उसके प्रभावी उपयोग पर केंद्रित एक गहन और उपयोगी ग्रंथ है। सिद्ध बाबा औघड़नाथ द्वारा लिखित यह पुस्तक प्राचीन भारतीय तंत्र-मंत्र शास्त्र की अमूल्य धरोहरों को सरल और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शिका है जो मंत्र शक्ति का…

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (मार्गशीर्ष संकष्टी गणेश चतुर्थी) व्रत कथा

|| मार्गशीर्ष (गणाधिप) संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार माता पार्वती ने भगवान गणेश से पूछा, “हे गणेश! मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। उस दिन किस प्रकार से आपकी पूजा की जानी चाहिए?” भगवान गणेश ने कहा, “हे मां! मार्गशीर्ष माह की…

मंत्र प्रयोग (Mantra Prayog)

मंत्र प्रयोग (Mantra Prayog)

“मंत्र प्रयोग” पुस्तक मंत्र विद्या के रहस्यों और उसके प्रभावी उपयोग पर केंद्रित एक गहन और उपयोगी ग्रंथ है। सिद्ध बाबा औघड़नाथ द्वारा लिखित यह पुस्तक प्राचीन भारतीय तंत्र-मंत्र शास्त्र की अमूल्य धरोहरों को सरल और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शिका है जो मंत्र शक्ति का…

पशुपति व्रत का महत्व, विधि, नियम, कथा, पूजन सामग्री, मंत्र, उद्यापन, और इसके लाभ

pashupati vrat

पशुपति व्रत भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, को समर्पित एक विशेष व्रत है। यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है जो जीवन में अनेक कठिनाइयों और परेशानियों से जूझ रहे हैं। जब आप निराश और हताश महसूस कर रहे हों, जब आपको अपनी समस्याओं का…

सरयु के तट (Sarayu Ke Tat)

सरयु के तट (Sarayu Ke Tat)

‘सरयु के तट’ भारतीय संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो अयोध्या और सरयु नदी की महत्ता, इतिहास, और सांस्कृतिक परंपराओं को खूबसूरती से चित्रित करता है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक राजेंद्र पाण्डेय और हरिनाथ प्रसाद वर्मा ने न केवल अयोध्या की धार्मिक और ऐतिहासिक गाथाओं को प्रस्तुत किया है, बल्कि…

मासिक कार्तिगाई व्रत कथा

|| कार्तिगाई व्रत कथा || कार्तिगाई दीपम का त्योहार दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव की पूजा को समर्पित है और दीपों के प्रज्वलन द्वारा अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। कार्तिगाई दीपम की कथा भगवान मुरुगन (जिन्हें कार्तिकेय…

आत्म रामायण (Aatma Ramayan)

आत्म रामायण (Aatma Ramayan)

आत्म रामायण श्री रामहर्षण दास जी द्वारा रचित एक अनुपम और आध्यात्मिक ग्रंथ है। यह पुस्तक भगवान श्रीराम के जीवन, उनके आदर्शों, और उनके चरित्र की गहन व्याख्या प्रस्तुत करती है। यह रामायण का एक विशेष संस्करण है, जिसमें भगवान राम को न केवल मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में बल्कि आत्मा के परम सत्य और…

श्री यमुनाष्टकम्

॥ श्री यमुनाष्टकम् ॥ नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम । तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुना सुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥ कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वला विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता । सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमा मुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता ॥ भुवं भुवनपावनीमधिगतामनेकस्वनैः प्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः । तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावाकुका- नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम ॥ अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुते…

जानिए नारद मुनि का महत्व, पूजा विधि, कथा और उनके मंत्रों का जादू

narad muni

नारद मुनि हिंदू धर्म के प्रमुख ऋषियों में से एक हैं, जिन्हें देवताओं के दूत और त्रिलोकों में सूचना के वाहक के रूप में जाना जाता है। वे भगवान विष्णु के परम भक्त हैं और उनके कंठ से सदैव “नारायण-नारायण” का उच्चारण होता रहता है। नारद मुनि का प्रमुख कार्य लोक कल्याण और धर्म की…

मदन मोहन अष्टकम

॥ मदन मोहन अष्टकम ॥ जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम् । जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम् ॥ जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम् । जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम सुन्दर देहि पदम् ॥ जय धीरधुरन्धर अद्भुतसुन्दर दैवतसेवित देहि पदम् । जय विश्वविमोहन मानसमोहन संस्थितिकारण देहि पदम् ॥ जय भक्तजनाश्रय नित्यसुखालय अन्तिमबान्धव देहि पदम् ।…

श्री गुरु अष्टकम

॥ श्री गुरु अष्टकम ॥ शरीरं सुरुपं तथा वा कलत्रं यशश्चारू चित्रं धनं मेरुतुल्यम् । मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्वं गृहं बान्धवाः सर्वमेतद्धि जातम् । मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ षडंगादिवेदो मुखे शास्त्रविद्या कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति…

श्री दामोदर अष्टकम

॥ दामोदर अष्टकम ॥ नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥ रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम् कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम् मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम् तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥ वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं सदा…

श्री सूर्य अष्टकम

॥ श्री सूर्य अष्टकम ॥ आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥ सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् । श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम् । महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् । महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु…

जानिए माता लक्ष्मी की अद्भुत कहानी, रहस्य, कथाएं और अनदेखे पहलू

lakshmi mata

देवी लक्ष्मी, धन, समृद्धि, वैभव और सौभाग्य की देवी हैं। हिंदू धर्म में उनका विशेष स्थान है और उनकी पूजा व्यापक रूप से की जाती है। देवी लक्ष्मी की पूजा अनेक अवसरों पर की जाती है, विशेष रूप से दीपावली, धनतेरस और विजयादशमी के दिन। उनकी पूजा के लिए श्री लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा और…

श्री जगन्नाथ अष्टकम

॥ श्री जगन्नाथ अष्टकम ॥ कदाचित्कालिन्दी तटविपिनसंगीत करबो मुदविरि नारीवदनकमलास्वादमधुपः रमाशम्भुब्रह्माऽमरपतिगणेशाऽर्चितपदो जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिञ्छं कटितटे दुकूलं नेत्रान्ते सहचरकटाक्षं विदधते सदा श्रीमद्बृन्दावनवसतिलीलापरिचयो जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ महाम्भोधेस्तीरे कनकरुचिरे नीलशिखरे वसन्प्रासादान्तः सहजबलभद्रेण बलिना सुभद्रामध्यस्थः सकलसुरसेवावसरदो जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ कृपापारावारः सजलजलदश्रेणिरुचिरो रमावाणीसोमस्फुरदमलपद्मोद्भवमुखैः सुरेन्द्रैराराध्यः श्रुतिगणशिखागीतचरितो जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे…

श्री दक्षिणामूर्ति अष्टकम

॥ श्री दक्षिणामूर्ति अष्टकम ॥ विश्वं दर्पणदृश्यमाननगरीतुल्यं निजान्तर्गतं पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यथा निद्रया । यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयं तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये ॥ बीजस्यान्तरिवाङ्कुरो जगदिदं प्राङ्निर्विकल्पं पुन- र्मायाकल्पितदेशकाल कलनावैचित्र्यचित्रीकृतम् । मायावीव विजृम्भयत्यपि महायोगीव यः स्वेच्छया तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये ॥ यस्यैव स्फुरणं सदात्मकमसत्कल्पार्थगं भासते साक्षात्तत्त्वमसीति वेदवचसा यो बोधयत्याश्रितान् । यत्साक्षात्करणाद्भवेन्न पुनरावृत्तिर्भवाम्भोनिधौ तस्मै श्रीगुरुमूर्तये…

श्री महालक्ष्मी अष्टकम

॥ श्री महालक्ष्मी अष्टकम ॥ नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते । शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी । सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी । सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी । मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती…

श्री चंद्रशेखर अष्टकम

॥ चंद्रशेखर अष्टकम ॥ चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् । चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् । क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम् । देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति…

श्री रुद्राष्टकम्

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्…

लिङ्गाष्टकम्

॥ लिङ्गाष्टकम् ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् । सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं…

श्री शिवमङ्गलाष्टकम्

॥ शिवमङ्गलाष्टकम् ॥ भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने । कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥ वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च । पशूनां पतये तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥ भस्मोद्धूलितदेहाय व्यालयज्ञोपवीतिने । रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मङ्गलम् ॥ सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने । सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥ मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे । त्र्यंबकाय सुशान्ताय त्रिलोकेशाय मङ्गलम् ॥ गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने । उग्राय त्रिपुरघ्नाय…

मधुराष्टकम्

॥ मधुराष्टकम् ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ । नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं…

श्री युगलाष्टकम्

॥ युगलाष्टकम् ॥ कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेम मयो हरिः । जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥ कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः । जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥ कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः । जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥ कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः । जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥ कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः ।…

नर्मदा अष्टकम

॥ श्री नर्मदा अष्टकम ॥ सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥ त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे…

श्री कृष्णाष्टकम्

॥ श्री कृष्णाष्टकम् ॥ भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्, स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्, सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम् , सुनाद वेणु हस्तकम् , अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥ मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्, विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्, करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्, महेन्द्र मान दारणम्, नमामि कृष्ण वारणम् ॥ कदम्ब…

घर पर कैसे करें सत्यनारायण व्रत? श्री सत्यनारायण व्रत कथा, विधि, सामग्री और महत्व

satyanarayan bhagwan

सत्यनारायण व्रत कथा का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा के रूप में किया जाता है। इस व्रत की कथा का श्रवण एवं पूजा से सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण व्रत को पूर्ण विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करने से…

पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें? जानें पूजा सामग्री, मंत्र, नियम और उद्यापन विधि

Pashupatinath

पशुपतिनाथ व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है। यह व्रत 5 सोमवार को किया जाता है और माना जाता है कि इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पशुपतिनाथ व्रत को रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। भगवान शिव का एक विशेष रूप पशुपतिनाथ के…

क्या है रुद्राभिषेक? जानें इसकी विधि, महत्व और लाभ

rudraabhisek

अभिषेक शब्द का अर्थ है “स्नान कराना”। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र, यानी भगवान शिव का अभिषेक करना। यह पवित्र स्नान शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है। रुद्राभिषेक…

किरातार्जुनीयम् (Kiratarjuniyam)

किरातार्जुनीयम् (Kiratarjuniyam)

किरातार्जुनीयम् डॉ. महिमा वसाल द्वारा लिखित एक विशिष्ट पुस्तक है, जो भारतीय महाकाव्य परंपरा के प्रसिद्ध ग्रंथ किरातार्जुनीयम् पर आधारित है। यह संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध कवि महाकवि भारवि का उत्कृष्ट महाकाव्य है, जिसमें अर्जुन और शिव के किरात रूप में संवाद और संघर्ष का वर्णन किया गया है। डॉ. महिमा वसाल ने इस महाकाव्य…

आदि – धर्म सनातन – धर्म (Adi-Dharma Sanatan-Dharma)

आदि - धर्म सनातन - धर्म (Adi-Dharma Sanatan-Dharma)

“आदि – धर्म सनातन – धर्म” स्वामी सनातन श्री द्वारा लिखित एक अद्वितीय पुस्तक है, जो सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों, परंपराओं और आदर्शों पर आधारित है। यह ग्रंथ उन आध्यात्मिक और दार्शनिक सिद्धांतों का विश्लेषण करता है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के आधारभूत स्तंभ हैं। स्वामी सनातन श्री ने इस पुस्तक में सनातन…

चतुर्वेद मन्त्र अनुक्रम सोचि (Chaturveda Mantra Anukram Soochi)

चतुर्वेद मन्त्र अनुक्रम सोचि (Chaturveda Mantra Anukram Soochi)

चतुर्वेद मन्त्र अनुक्रम सोचि – अर्जुन देव द्वारा रचित एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, जो चारों वेदों के मंत्रों के अनुक्रम और उनके सार को समझाने का कार्य करता है। यह पुस्तक वेदों के अद्भुत मंत्रों का क्रमबद्ध संग्रह है और वेदों के अध्ययन में रुचि रखने वाले साधकों एवं विद्वानों के लिए एक अमूल्य साधन…

श्री कालभैरवाष्टक स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र पाठ विधि ॥ प्रात: काल सबसे पहले स्नान आदि करके शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का जाप करें। ॥ कालभैरवाष्टकम् पाठ से लाभ ॥ प्रतिदिन कालभैरवाष्टकम् का जाप करने से जीवन का ज्ञान मिलता…

विश्वेश्वर व्रत कथा और व्रत की पूजा विधि

विश्वेश्वर व्रत की पूजा विधि इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल, दूध, मिठाई और फल अर्पित करें। भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और पूरे दिन उपवास…

वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त – जानिए व्रत कथा, पूजा विधि और आसान उपाय

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वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए परम मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है। वैकुण्ठ, भगवान विष्णु का निवास स्थान है, और यह दिन उन्हीं की कृपा से मोक्ष की…

वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा

।। वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा ।। पौराणिक मतानुसार एक बार भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव का पूजन करने के लिए काशी आए। वहाँ मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके उन्होंने एक हजार कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के पूजन का संकल्प किया। अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो शिवजी ने उनकी भक्ति की…