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महालक्ष्मी व्रत कथा

Mahalakshmi Vrat Katha Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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|| महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि ||

  • सबसे पहले एक चौकी पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें। ध्यान रखें की मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें।
  • इसके बाद थोड़ा से चावल डालकर लक्ष्मी जी के पास कलश की स्थापना करें।
  • कलश के ऊपर एक नारियल में कपड़ा बांधकर रखें।
  • इसके बाद गणेशजी की और चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह और षोडश मातृका के बीच स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
  • साथ ही ग्यारह दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर, कुमकुम, सुपारी, पान, फूल,,,, दूर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर, कपूर, हल्दी, धूप, अगरबत्ती।
  • इसके बाद विधा विधान के साथ पूजन करें।
  • सबसे पहले कथा का पाठ करें अंत में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आरती करें।

|| महालक्ष्मी व्रत कथा ||

प्राचीन काल की बात है, एक गाँव में एक ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमानुसार भगवान विष्णु का पूजन प्रतिदिन करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिये और इच्छा अनुसार वरदान देने का वचन दिया।

ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी का वास अपने घर मे होने का वरदान मांगा। ब्राह्मण के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने कहा यहाँ मंदिर मैं प्रतिदिन एक स्त्री आती है और वह यहाँ गोबर के उपले थापति है। वही माता लक्ष्मी हैं, तुम उन्हें अपने घर में आमंत्रित करो। देवी लक्ष्मी के चरण तुम्हारे घर में पड़ने से तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा।

ऐसा कहकर भगवान विष्णु अदृश्य हो गए। अब दूसरे दिन सुबह से ही ब्राह्मण देवी लक्ष्मी के इंतजार मे मंदिर के सामने बैठ गया। जब उसने लक्ष्मी जी को गोबर के उपले थापते हुये देखा, तो उसने उन्हे अपने घर पधारने का आग्रह किया।

ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गयीं कि यह बात ब्राह्मण को विष्णुजी ने ही कही है। तो उन्होने ब्राह्मण को महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी। लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि तुम 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करो और व्रत के आखिरी दिन चंद्रमा का पूजन करके अर्ध्य देने से तुम्हारा व्रत पूर्ण होजाएगा।

ब्राह्मण ने भी महालक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और देवी लक्ष्मी ने भी उसकी मनोकामना पूर्ण की। उसी दिन से यह व्रत श्रद्धा से किया जाता है।

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