Download HinduNidhi App
Vaishno Devi

माता वैष्णो देवी चालीसा

Mata Vashno Devi Chalisa Hindi

Vaishno DeviChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
Share This

॥ दोहा ॥

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी
त्रिकुटा पर्वत धाम |

काली, लक्ष्मी, सरस्वती,
शक्ति तुम्हें प्रणाम || 

॥ चौपाई ॥

नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल मे शुभ कल्याणी।

मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी॥

देवी देवता अंश दियो है,
रत्नाकर घर जन्म लियो है।

करी तपस्या राम को पाऊं,
त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥

कहा राम मणि पर्वत जाओ,
कलियुग की देवी कहलाओ।

विष्णु रूप से कल्कि बनकर,
लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥

तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,
गुफा अंधेरी जाकर पाओ।

काली-लक्ष्मी-सरस्वती मां,
करेंगी पोषण पार्वती मां॥

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,
हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।

रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,
कलियुग-वासी पूजत आवें॥

पान सुपारी ध्वजा नारीयल,
चरणामृत चरणों का निर्मल।

दिया फलित वर मॉ मुस्काई,
करन तपस्या पर्वत आई॥

कलि कालकी भड़की ज्वाला,
इक दिन अपना रूप निकाला।

कन्या बन नगरोटा आई,
योगी भैरों दिया दिखाई॥

रूप देख सुंदर ललचाया,
पीछे-पीछे भागा आया।

कन्याओं के साथ मिली माँ,
कौल-कंदौली तभी चली माँ॥

देवा माई दर्शन दीना,
पवन रूप हो गई प्रवीणा।

नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर आई॥

योगिन को भण्डारा दीनी,
सबने रूचिकर भोजन कीना।

मांस, मदिरा भैरों मांगी,
रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥

बाण मारकर गंगा निकली,
पर्वत भागी हो मतवाली।

चरण रखे आ एक शीला जब,
चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥

पीछे भैरों था बलकारी,
चोटी गुफा में जाय पधारी।

नौ मह तक किया निवासा,
चली फोड़कर किया प्रकाशा॥

आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,
कहलाई माँ आद कुंवारी।

गुफा द्वार पहुँची मुस्काई,
लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥

भागा-भागा भैंरो आया,
रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।

पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,
किया क्षमा जा दिया उसे वर॥

अपने संग में पुजवाऊंगी,
भैंरो घाटी बनवाऊंगी।

पहले मेरा दर्शन होगा,
पीछे तेरा सुमिरन होगा॥

बैठ गई मां पिंडी होकर,
चरणों में बहता जल झर झर।

चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत,
सप्तऋषि आ करते सुमरन॥

घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,
गुफा निराली सुंदर लागे।

भक्त श्रीधर पूजन कीन,
भक्ति सेवा का वर लीन॥

सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना,
ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।

सिंह सदा दर पहरा देता,
पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥

जम्बू द्वीप महाराज मनाया,
सर सोने का छत्र चढ़ाया ।

हीरे की मूरत संग प्यारी,
जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी॥

सेवक’ कमल’ शरण तिहारी,
हरो वैष्णो विपत हमारी॥

|| दोहा ||

कलियुग में महिमा तेरी,
है मां अपरंपार |

धर्म की हानि हो रही,
प्रगट हो अवतार ||

॥ इति श्री वैष्णो देवी चालीसा ॥

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download माता वैष्णो देवी चालीसा PDF

माता वैष्णो देवी चालीसा PDF

Leave a Comment