Misc

नाग पंचमी कथा (राजा जनमेजय और नाग यज्ञ की कथा)

Nag Panchami Ki Katha Janmejay Aur Naag Yagya Ka Rahasya

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध चढ़ाया जाता है। इस त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा इस प्रकार है:

नाग पंचमी की पौराणिक कथा (राजा जनमेजय और नाग यज्ञ की कथा)

यह कथा महाभारत काल से जुड़ी है। प्राचीन काल में राजा परीक्षित, जो पांडवों के वंशज थे, एक बार शिकार पर गए थे। वहां उन्हें ऋषि शमीक मिले, जो गहरे ध्यान में लीन थे। ऋषि के बार-बार बुलाने पर भी जब उन्होंने उत्तर नहीं दिया, तो क्रोधित होकर राजा परीक्षित ने ऋषि के गले में एक मृत सर्प डाल दिया।

ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने क्रोध में आकर राजा परीक्षित को शाप दिया कि उन्हें सात दिनों के भीतर तक्षक नाग के काटने से मृत्यु प्राप्त होगी। ऋषि का शाप सत्य हुआ और सातवें दिन तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

राजा परीक्षित के पुत्र का नाम जनमेजय था। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए राजा जनमेजय ने एक विशाल सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ का उद्देश्य सभी नागों को अग्नि में भस्म करना था, ताकि नागों का समूल नाश हो सके। यज्ञ की अग्नि में करोड़ों नाग आकर जलने लगे।

जब नागों का विनाश होने लगा, तो नागों ने अपनी रक्षा के लिए आस्तिक मुनि (जो जरत्कारु मुनि और नाग माता मनसा देवी के पुत्र थे) से प्रार्थना की। आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय के पास जाकर उन्हें इस यज्ञ को रोकने के लिए समझाया। आस्तिक मुनि के ज्ञान और बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर, राजा जनमेजय ने उनके अनुरोध पर यज्ञ को रोक दिया।

जब यज्ञ रुका, तो आस्तिक मुनि ने अग्नि में जलते हुए नागों को बचाने के लिए उन पर ठंडा दूध डाला, जिससे उन्हें शीतलता मिली और उनके प्राण बच गए। जिस दिन यह यज्ञ रुका और नागों को जीवनदान मिला, वह श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी।

नागों के जीवन बचने और आस्तिक मुनि द्वारा उन्हें दिए गए वरदान के कारण, यह माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस पंचमी तिथि को नागों की पूजा करेगा, उसे कभी भी सर्पदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन नाग देवता की पूजा करके लोग अपनी और अपने परिवार की सर्पदंश से रक्षा की कामना करते हैं।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download नाग पंचमी कथा (राजा जनमेजय और नाग यज्ञ की कथा) PDF

नाग पंचमी कथा (राजा जनमेजय और नाग यज्ञ की कथा) PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App