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रावण आरती

Ravan Aarti Hindi

MiscAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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॥ आरती ॥

आरती कीजे दशानन जी की।
लंकापति श्री रावण जी की॥

जाके बल से त्रिलोक डरता ।
सुमिरो जो भूखा न मरता॥

कैकसी पुत्र महाबल दायी।
बना दे जो पर्वत को रायी॥

संतो को सदा तुमने मारा।
पृथ्वी का कुछ बोच उतारा॥

बहन की नाक का बदला लीन्हा।
सीता को अगवा कर दीन्हा॥

राम ने धमकी कई भिजवाई।
तुमने सबकी सब ठुकराई॥

सीता की खोज में वानर आया।
पूत तुम्हारा पकड़ उसे लाया॥

तेल में उसकी पूछ जलाई।
फिर पीछे से आग लगाई॥

वानर बोमा बचाए हलका।
उछल कूद में जल गयी लंका॥

फिर भी तुम हिम्मत नही हारी।
लंका इक दिन में बना डारी॥

बिचड़ा पुत प्राणों को देके।
फिर भी न युद्ध में घुटने टेके॥

राम की सेना में आगे आयो।
कितनो को तुम मार गिरायो॥

भ्राता ने जब गद्दारी दिखाई।
वीरगति तब तुमने पाई॥

यदि न करते तुम अहंकार।
गाता यश तुम्हारा ये संसार॥

आरती कीजे दशानन जी की।
लंकापति श्री रावण जी की॥

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