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तुला संक्रान्ति पर क्या करें और क्या न करें? जानें शुभ-अशुभ कर्मों का प्रभाव

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हिन्दू पंचांग में संक्रान्ति (Sankranti) का विशेष महत्व है, जो सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर (Transit) को दर्शाती है। वर्षभर में कुल 12 संक्रान्तियाँ होती हैं, और उनमें से एक है तुला संक्रान्ति। इस दिन सूर्य कन्या राशि से निकलकर तुला राशि (Libra) में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष में, तुला राशि को न्याय, संतुलन और व्यापार का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व न सिर्फ सूर्य की स्थिति में बदलाव का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और हमारे जीवन में नए संतुलन और सद्भाव (Harmony) की शुरुआत का भी संकेत देता है।

यह वह समय है जब मौसम में भी परिवर्तन (Seasonal Change) होता है, और यह शुभ कर्मों, दान-पुण्य और आत्म-चिंतन (Self-Reflection) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए, जानते हैं कि तुला संक्रान्ति पर हमें क्या करना चाहिए और किन कार्यों से बचना चाहिए, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और संतुलन बना रहे।

तुला संक्रान्ति पर क्या करें? (What to Do on Tula Sankranti?)

तुला संक्रान्ति का पुण्य काल (Auspicious Time) दान, स्नान और पूजा-पाठ के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इन कार्यों को करने से शुभ कर्मों (Good Deeds) का प्रभाव बढ़ता है।

पवित्र स्नान (Holy Bath) और सूर्य पूजा

  • नदी स्नान – इस दिन किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा, कावेरी आदि) में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शरीर व मन शुद्ध होता है। यदि नदी में जाना संभव न हो, तो घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • सूर्य को अर्घ्य – स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें। जल में लाल फूल, रोली और गुड़ मिलाकर अर्पित करें।
  • मंत्र जाप – सूर्य देव के मंत्रों जैसे ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ का जाप करें। यह आपको सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और करियर में सफलता दिलाता है।

दान-पुण्य (Charity) और तर्पण

  • दान का महत्व – संक्रान्ति के दिन दान करना सबसे बड़ा पुण्य कर्म माना गया है। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार अन्न (चावल, गेहूं, गुड़), वस्त्र, तिल और तांबे के बर्तन का दान करें।
  • ज़रूरतमंदों को भोजन – इस दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को भोजन कराना या उन्हें भोजन सामग्री दान करना बहुत शुभ होता है, जिससे आपके जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
  • पितृ तर्पण – यह समय पितरों को याद करने और उनके लिए तर्पण (Ancestral Rituals) करने के लिए भी उत्तम है। ऐसा करने से पितृ दोष (Pitra Dosh) शांत होता है और घर में सुख-शांति आती है।

माँ लक्ष्मी और कृषि का पूजन

  • धन की देवी का पूजन – विशेष रूप से ओडिशा और कर्नाटक में, इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। किसानों के लिए यह ‘गर्भाना संक्रान्ति’ भी है, जब धान के खेत लहलहाते हैं। देवी लक्ष्मी को नए चावल के दाने और धान की बालियाँ (Paddy) अर्पित की जाती हैं।
  • संतुलन पर ध्यान – तुला राशि संतुलन की राशि है। इसलिए इस दिन जीवन के सभी क्षेत्रों (काम, परिवार, स्वास्थ्य, आध्यात्मिक उन्नति) में संतुलन (Balance) बनाने का संकल्प लें।

शुभ कर्मों का आरंभ

  • सकारात्मक विचार – मन में सकारात्मक विचार (Positive Thoughts) रखें और सभी के प्रति प्रेम व सद्भावना का भाव रखें।
  • कार्तिक स्नान – इस दिन से कई स्थानों पर कार्तिक मास के पवित्र स्नान की शुरुआत भी होती है, जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

तुला संक्रान्ति पर क्या न करें? (What Not to Do on Tula Sankranti?)

शुभ कर्मों के साथ-साथ, कुछ ऐसे कर्म भी हैं जिनसे इस दिन बचना चाहिए। ये कार्य अशुभ कर्मों (Negative Deeds) की श्रेणी में आते हैं और संक्रान्ति के सकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं।

  • मांस और मदिरा का सेवन (Consumption of non-veg and alcohol) – यह धार्मिक शुद्धता को भंग करता है और नकारात्मकता लाता है।
  • झगड़ा या विवाद (Fighting or Disputes) – संतुलन की राशि में सूर्य के गोचर के दौरान वाद-विवाद से बचना चाहिए। यह मानसिक शांति भंग करता है।
  • अन्न का अपव्यय (Wasting Food) – अन्न को देवता का रूप माना गया है। इसका अपमान करने से घर की बरकत (Prosperity) रुकती है।
  • अनैतिक कार्य (Immoral Activities) – जैसे झूठ बोलना, चोरी करना या किसी को धोखा देना। संक्रान्ति के समय ऐसे कार्य पुण्य को नष्ट कर देते हैं।
  • बाल या नाखून काटना (Cutting hair or nails) – संक्रान्ति के दिन बाल या नाखून काटना शास्त्रों के अनुसार वर्जित माना गया है।
  • देर तक सोना (Sleeping Late) – सूर्योदय के समय स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन देर तक सोना शुभ नहीं माना जाता।

शुभ-अशुभ कर्मों का प्रभाव (Impact of Good and Bad Deeds)

ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, संक्रान्ति का समय ऊर्जा के एक बड़े संक्रमण (Transition) का होता है। इस काल में किए गए कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है:

  • शुभ कर्मों का प्रभाव – यदि आप इस दिन पवित्र स्नान, दान, सूर्य पूजा और सात्विक जीवन जीते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव आपके स्वास्थ्य (Health), करियर (Career), आर्थिक स्थिति (Financial Status) और आध्यात्मिक उन्नति पर पड़ता है। यह सूर्य देव की कृपा से आपको रोगमुक्त करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • अशुभ कर्मों का प्रभाव – यदि आप वर्जित कर्म करते हैं, तो वे नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। यह आपके कार्यों में बाधा, मानसिक अशांति (Mental Stress) और घर में कलह का कारण बन सकता है।

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