हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती की पूजा का बहुत बड़ा महत्व हैं। शस्त्रों के अनुसार सरस्वती माँ को ज्ञान, ज्ञान, कला और रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है। वे पवित्रता, अनुग्रह और वाक्पटुता का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी पुजा करने से बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां सरस्वती को शारदा, ब्रह्माचारिणी, जगन्माता आदि नामों से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन लोग ज्ञान प्राप्ति, सुस्ती और आलस्य को दूर करने के लिए मां सरस्वती की पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
- बसंत पंचमी कब है 2025 में: हिन्दू धर्म के अनुसार हर हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। पंचमी तिथि 02 फरवरी 2025 रविवार को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर आरंभ होगी और 03 फरवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।
- बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त- बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहू्र्त सुबह 07 बजकर 08 मिनट से प्रारंभ होगा और दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। बसंत पंचमी मध्याह्न का क्षण दोपहर 12:34 बजे होगा।
- बसंत पंचमी पर भद्रा का साया- बसंत पंचमी पर साल 2025 में भद्रा का साया रहने वाला है। भद्रा सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर आरंभ होगी और सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना गया है।
माँ सरस्वती की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें।
- जिन्हें व्रत करना है, वे लोग सुबह ही व्रत का संकल्प लें।
- सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल पवित्र करें।
- देवी को गंगाजल से स्नान करवाएं।
- उन्हें हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- पीले फूलों की माला अर्पित करें।
- पीली मिठाई और अन्य घर पर बने व्यंजन का भोग लगाएं।
- किताबें, वाद्य यंत्र और अन्य चीजें देवी के सामने रखें।
- मां सरस्वती की चालीसा और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- पूजा का समापन आरती से करें।
- अंत में गलती के लिए क्षमायाचना करें।
- पूजा के बाद घर के अन्य सदस्यों में प्रसाद बांटे।
- तामसिक चीजों से दूर रहें।
बसंत पंचमी सरस्वती पूजन के लिए संकल्प मंत्र
हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।’ इस मंत्र को बोलते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें। अब गणपति की पूजा करें।
बसंत पंचमी गणपति पूजन विधि
फूल लेकर गणपतिजी का ध्यान करें। मंत्र बोलें – गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहकर पात्र में अक्षत रखें।
सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र –
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
मां सरस्वती की पूजा का मंत्र
- पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
- नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।।
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