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हनुमान चालीसा कब, क्यों और कैसे पढ़ें? जानिए हनुमान चालीसा के लाभ और सही समय

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हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक बहुत ही प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करता है बल्कि मन को शांत और आत्मविश्वास से भर देता है।

हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र है, जिसमें भगवान हनुमान के गुणों और महिमा का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा पाठ करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इसे पढ़ने का सही समय, विधि और कारण जानने से यह और भी प्रभावशाली हो जाता है।

हनुमान चालीसा के अद्भुत लाभ

हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह माना जाता है कि इस चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। आइए इन लाभों को विस्तार से समझते हैं:

  • बुरी शक्तियों से मुक्ति: हनुमान जी को बुरी शक्तियों के नाशक माना जाता है। उनके चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत, बुरी नजर और अन्य नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
  • बाधाओं का निवारण: भगवान हनुमान व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं। चाहे वह कोई व्यक्तिगत समस्या हो या व्यावसायिक बाधा, हनुमान चालीसा का पाठ करने से इन सबका समाधान मिलता है।
  • तनाव मुक्ति और खुशी: हनुमान चालीसा का पाठ मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है। यह व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और पूरे दिन खुश रहने में मदद करता है।
  • यात्रा में सुरक्षा: यात्रा करने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सुरक्षित यात्रा का आशीर्वाद मिलता है। यह यात्रा के दौरान होने वाली किसी भी दुर्घटना या अप्रिय घटना से बचाता है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: हनुमान जी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले देवता हैं। उनके चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • शनि दोष का निवारण: शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी शनि देव को वश में रखने वाले हैं। शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति को हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है।
  • घर में सुख-शांति: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ घर में सकारात्मक वातावरण बनाता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और भाईचारा बढ़ाता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।

हनुमान चालीसा कब पढ़ें?

हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष समय नहीं होता, लेकिन कुछ विशेष समय पर इसे पढ़ने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • सुबह-सुबह स्नान करने के बाद पवित्र मन से हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • शाम को सूर्यास्त के समय इसका पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • मंगलवार और शनिवार के दिनों को हनुमान जी को समर्पित माना जाता है। इन दिनों हनुमान चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  • किसी भी संकट या मुसीबत के समय हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और समस्या का समाधान निकलता है।
  • रोजाना नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा सदैव बनी रहती है।

हनुमान चालीसा कैसे पढ़ें?

  • हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • अपने पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर उनका ध्यान करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें।
  • शुद्ध मन और ध्यानपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के बाद हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ शांत और एकांत जगह पर करें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • लाल रंग का आसन बिछाकर बैठें।
  • अधिक लाभ के लिए हनुमान चालीसा को सात बार पढ़ें।

।। श्री हनुमान चालीसा ।।

।। दोहा ।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेस बिकार।।

।। चौपाई ।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गय अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

।। दोहा ।।

पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप।।

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