श्री दामोदर अष्टकम भगवान श्री कृष्ण के मनमोहक बाल रूप दामोदर को समर्पित एक अत्यंत पवित्र स्तुति है। कार्तिक मास में इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। इस अष्टकम के आठ श्लोक, माँ यशोदा द्वारा बाल कृष्ण को बाँधने की लीला का अद्भुत वर्णन करते हैं, जो भगवान के भक्तों के प्रति असीम प्रेम और अधीनता को दर्शाता है। यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि किस प्रकार सर्वोच्च ईश्वर भी प्रेम के बंधन में बंध जाते हैं। श्री दामोदर अष्टकम PDF के माध्यम से इस पावन स्तुति को प्राप्त कर, इसका नित्य पाठ करने से हृदय में भक्ति और शांति का संचार होता है। यह हमें मोक्ष से भी बढ़कर, भगवान के चरणों में अटल प्रेम की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।
|| दामोदर अष्टकम (Damodar Ashtakam PDF) ||
नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं
लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं
यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं
परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥
रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम्
कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ
स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥
इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे
स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम
पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥
वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह
इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं
सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः ॥
इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैः
वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे
मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः ॥
नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः ॥
कुबेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्
त्वया मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च
तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ
न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह ॥
नमस्तेऽस्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै
नमोऽनन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥
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