Download HinduNidhi App
Misc

कामदा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

Kamada Ekadashi Vrat Katha Puja Vidhi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

।। कामदा एकादशी पूजा विधि ।।

  • इस दिन स्नान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और भगवान की पूजा करें।
  • एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए। एकादशी के एक दिन पहले यानी 11 अप्रैल, सोमवार को पूरे दिन और रात्रि में संयम पूर्वक व्यवहार करना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें। इसके बाद किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीविष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि चीजें चढ़ाएं। अंत में कपूर आरती करें और प्रसाद बांट दें।
  • मन ही मन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।
  • समय-समय पर भगवान विष्णु का स्मरण करें और पूजा स्थल के पास जागरण करें।
  • एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी या बारहवें दिन पारण करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के बाद ही भोजन करें।

।। कामदा एकादशी व्रत कथा ।।

यह कथा भोगीपुर नाम के एक नगर की है, जिसके राजा थे पुण्डरीक। भोगीपुर नगर में अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व रहते थे। इसी नगर में अत्यंत वैभवशाली स्त्री पुरुष ललिता और ललित रहते थे। उन दोनों के बीच इतना स्नेह था कि वह कुछ देर के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं रह पाते थे। ललित राजा के दरबार में एक दिन गंधर्वों के साथ गान करने पहुंचा। लेकिन गाते-गाते उसे ललिता की याद आ गई और उसका सुर बिगड़ गया। इस पर क्रोधित राजा पुण्डरीक ने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया और उसी क्षण ललित विशालकाय राक्षस बन गया। उसका शरीर आठ योजन का हो गया।

उसकी पत्नी ललिता को इस बारे में मालूम हुआ तो वह बहुत दुखी हो गई और कोई रास्ता निकालने की कोशिश करने लगी। पति के पीछे-पीछे घूमती ललिता विन्ध्याचल पर्वत जा पहुंची। वहां उसे श्रृंगी ऋषि मिले। ललिता ने सारा हाल बताया और श्रृंगी ऋषि से कुछ उपाय बताने का आग्रह किया। श्रृंगी ऋषि ने ललिता को कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते हैं। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी अवश्यमेव शांत हो जाएगा।

मुनि की यह बात सुनकर ललिता ने चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। द्वादशी के दिन वह ब्राह्मणों को भोजन कराती और दान देती। एकादशी व्रत का फल अपने पति को देती हुई भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करने लगी- हे प्रभो! मैंने जो यह व्रत किया है, इसका फल मेरे पतिदेव को प्राप्त हो जाए, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएं।

एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा। उसके पश्चात वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को चले गए। वशिष्ठ मुनि कहने लगे कि हे राजन्! इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पाप नाश हो जाते हैं और राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है। संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है। इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download कामदा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि PDF

कामदा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि PDF

Leave a Comment