कोई जाये जो वृन्दावन मेरा पैगाम ले जाना
तर्ज – जगत के रंग
कोई जाये जो वृन्दावन,
मेरा पैगाम ले जाना,
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ,
मेरा प्रणाम ले जाना ||
ये कहना मुरली वाले से,
मुझे तुम कब बुलाओगे,
पड़े जो जाल माया के,
उन्हे तुम कब छुडाओगे,
मुझे इस घोर दल दल से,
मेरे भगवान ले जाना,
कोई जाये जो वृंदावन,
मेरा पैगाम ले जाना ||
जब उनके सामने जाओ,
तो उनको देखते रहना,
मेरा जो हाल पूछें तो,
जुबाँ से कुछ नहीं कहना,
बहा देना कुछ एक आँसू,
मेरी पहचान ले जाना,
कोई जाये जो वृंदावन,
मेरा पैगाम ले जाना ||
जो रातें जाग कर देखें,
मेरे सब ख्वाब ले जाना,
मेरे आँसू तड़प मेरी,
मेरे सब भाव ले जाना,
न ले जाओ अगर मुझको,
मेरा सामान ले जाना,
कोई जाये जो वृंदावन,
मेरा पैगाम ले जाना ||
मैं भटकूँ दर-ब-दर प्यारे,
जो तेरे मन में आये कर,
मेरी जो साँसे अंतिम हो,
वो निकलें तेरी चौखट पर,
हरिदासी हूँ मैं तेरी,
मुझे बिन दाम ले जाना,
कोई जाये जो वृंदावन,
मेरा पैगाम ले जाना ||
कोई जाये जो वृन्दावन,
मेरा पैगाम ले जाना,
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ,
मेरा प्रणाम ले जाना ||
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