श्री वामन आरती

|| आरती || ॐ जय वामन देवा, हरि जय वामन देवा बलि राजा के द्वारे, बलि राजा के द्वारे सन्त करे सेवा, || ॐ जय वामन देवा…||  वामन रूप अनुपम छत्र दंड शोभा, हरि छत्र दंड शोभा तिलक भाल की मनोहर भक्तन मन मोहा || ॐ जय वामन देवा…||  आगम निगम पुराण बतावे, मुख मंडल…

श्री कल्कि आरती

|| आरती || ॐ जय जय सुर रक्षक असुर विनाशक, पद्मावत के प्यारे॥ जय जय श्री कल्कि भक्त हितकारी, दुष्टन मारन हारे॥ जय जय खड्गधारी जय असुरारी, गऊ विप्रन के रखवारे॥ क्षीर सागरवासी जय अविनाशी, भूमि भार उतारन हारे॥ अलख निरंजन भव भय भंजन, जय संभल सरकारे॥ भक्त जानो के पालनकर्ता, जय गउन रखवारे॥ जय…

श्री कल्कि चालीसा

॥दोहा॥ कल्कि कल्कि नाम बिनु, मिलता नहीं कल्याण। पूजो जपो भजो नित, श्री कल्कि का नाम॥ युगाचार्य कहते सुनो, इस धरती के लोग। कल्कि भगवत कृपा बिनु, नहीं छूटत भवरोग॥ ॥चोपाई॥ कल्कि नाम है जग उजियारा । भक्तजनों को अतिशय प्यारा॥ जो कल्कि का नाम पुकारे। उसको मिलते सभी सहारे॥ संकट हरे मिटे सब पीरा।…

श्री वामन चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री वामन शरण जो आयके, धरे विवेक का ध्यान । श्री वामन प्रभु ध्यान धर, देयो अभय वरदान ॥ संकट मुक्त निक राखियो, हे लक्ष्मीपति करतार । चरण शरण दे लीजिये, विष्णु बटुक अवतार ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय अमन बलबीरा। तीनो लोक तुम्ही रणधीरा॥ ब्राह्मण गुण रूप धरो जब।…

श्री प्रेतराज चालीसा

॥ दोहा ॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाय। प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।। जय जय भूताधिप प्रबल, हरण सकल दुःख भार। वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार।। ॥ चौपाई ॥ जय जय प्रेतराज जग पावन, महा प्रबल त्रय ताप नसावन। विकट वीर करुणा के सागर, भक्त कष्ट हर सब गुण आगर। रत्न…

श्री गिरिराज चालीसा

।। दोहा ।। बन्दहुँ वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्यान। महाशक्ति राधा, सहित कृष्ण करौ कल्याण। सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार। बरनौ श्रीगिरिराज यश, निज मति के अनुसार। ।। चौपाई ।। जय हो जय बंदित गिरिराजा, ब्रज मण्डल के श्री महाराजा। विष्णु रूप तुम हो अवतारी, सुन्दरता पै जग बलिहारी। स्वर्ण शिखर अति…

श्री महावीर चालीसा

।। दोहा ।। सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त। निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥ मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर। तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥ ।। चौपाई ।। जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर। शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम…

श्री गोपाल चालीसा

।। दोहा ।। श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल। वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।। ।। चौपाई ।। जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी। जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै। श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता। मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन…

श्री रविदास चालीसा

|| दोहा || बन्दौ वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान। मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास। ताते आयों शरण में, पुरवहुं जन की आस। || चौपाई || जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी। राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता।…

श्री यमुना चालीसा

॥ दोहा ॥ प्रियसंग क्रीड़ा करत नित, सुखनिधि वेद को सार। दरस परस ते पाप मिटे, श्रीकृष्ण प्राण आधार॥ यमुना पावन विमल सुजस, भक्तिसकल रस खानि। शेष महेश वदंन करत, महिमा न जाय बखानि॥ पूजित सुरासुर मुकुन्द प्रिया, सेवहि सकल नर-नार। प्रकटी मुक्ति हेतु जग, सेवहि उतरहि पार॥ बंदि चरण कर जोरी कहोँ, सुनियों मातु…

कूष्माण्डा माता व्रत कथा पूजा विधि

।। कूष्माण्डा व्रत कथा ।। कूष्माण्डा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है।…

श्री नवग्रह आरती

|| आरती || आरती श्री नवग्रहों की कीजै । बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै ॥ सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर । जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै ॥ रुप चंद्र शीतलता लायें । शांति स्नेह सरस रसु भीजै ॥ मंगल हरे अमंगल सारा । सौम्य सुधा रस अमृत पीजै ॥ बुद्ध सदा वैभव यश लीये ।…

श्री नवग्रह चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥ जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥ ॥ चौपाई ॥ ॥ श्री सूर्य स्तुति ॥ प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि…

श्री बुधवार आरती

|| आरती || आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥ ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥ फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥ कंचन थार कपूर की बाती। हरि…

श्री यमराज जी की आरती

|| आरती || धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी । पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी ॥ ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥ धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो । जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो ॥ अंत समय में सब ही…

श्री धर्मराज जी की आरती

|| आरती || धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी । पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी ॥ ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥ धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो । जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो ॥ अंत समय में सब ही…

श्री गरुड़ देव आरती

|| आरती || जय देव जय देव जय वैनातेय ल आरती ओवलु तुज पक्षीवर्य ll ध्रु.ll हरिवाहनस्मृथर्न कश्यपवंदना ल दिनकर सारथिबन्धो खगकुलमन्दन ल कंचनमय बाहु नाम सुपर्णा ल नारायण सन्निध्ये वन्ध त्रिभुवना ll जय ll त्वय्यारूढ हौनि विष्णुन्चे गमन ल मुनिन्द्रवचने केले सागरझडपन ल जलचारी वार्ता एकांत जान एल विन्तेपयोब्धिने केले संतवन ll जय ll…

श्री हिंगलाज देवी आरती

|| आरती || ॐ जय हिंगलाज माता, मैया जय हिंगलाज माता । जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ॥ ॐ जय हिंगलाज माता… हीरा पन्ना मंडित, शीश मुकुट सोहे । भाल सिन्दुरी टीका, भक्तन मन मोहे ॥ ॐ जय हिंगलाज माता… कर्णफूल अति उज्जवल, झिलमिल सा चमके । गजमोतिन की माला, कण्डन पर दमके…

कूष्मांडा माता आरती

॥ आरती ॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिंगला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोलीभाली॥ लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचाती हो मां अंबे॥ तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ मां…

स्कंद माता आरती

॥ आरती ॥ जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥ सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥ तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं॥ कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥ कहीं पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥ हर मंदिर में तेरे…

श्री तारा देवी चालीसा

|| दोहा || जय तारा जगदम्ब जै जय कृपाद्रष्टि की खान। कृपा करो सुरेश्वरि मोहि शरण तिहारी जान।। || चौपाई || माता तुम ही जगत की पालन हारी तुम ही भक्तन कि भयहारी। तुम ही आदिशक्ति कलिका माइ तुम ही सन्त जनों की सुखदायी। तारणी तरला तन्वी कहलाती निज जनो की मंगलदाता कहलाती। तारा तरुणा…

श्री तारा देवी आरती

|| आरती || जय तारा तुम जग विख्यात, ब्रह्माणी रूप सुन्दर भात। चंद्रमा कोहनी भ्राजत, हंस रूप बन माँ तुम आई। कनकवाले केशों में, धूप-दीप फिर सजे। कंबल नीला, वस्त्र सुंदर, चरणों में अंगूर सजे। चन्दन बासम बिलोचन पर, बेल पत्रानि मला धरू। भक्तों के काज राखो, शंकर मन्दिर विशेष आयूं। जय तारा तुम जग…

श्री उमा देवी आरती

|| आरती || देवी दुर्गा उमा, विश्व जननी रमा, मात तारा, एक जगदम्बा तेरा सहारा, देवि दुर्गा उमा, विश्व जननी रमा, मात तारां, एक जगदम्बा तेरा सहारा, तू ही वैष्णवी मोह माया, तूने सारे जग को बनाया, चरण कमलों में माँ, रहता मस्तक नवाँ, यह हमारा, एक जगदम्बा तेरा सहारा, देवी दुर्गा उमा, विश्व जननी…

श्री इंद्र बाईसा चालीसा

II दोहा II नमो नमो गज बदन ने, रिद्ध-सिद्ध के भंडार। नमो सरस्वती शारदा, माँ करणी अवतार II इन्द्र बाईसा आपरो, खुड़द धाम बड़ खम्भ। संकट मेटो सेवगा, शरण पड़या भुज लम्ब II II चौपाई II आवड़जी अरु राजा बाई। और देशाणे करणी माई II चौथो अवतार खुड़द में लीनो। चारण कुल उज्जवल कर दीहो…

श्री इन्द्र बाईसा की आरती

|| आरती || ॐ जय जय इन्द्राणी, माँ जय जय इन्द्राणी। मरूधर में माँ प्रगटिया, जग सारे जाणी॥ ॐ जय जय इन्द्राणी…. सागर सुता सुलोचनी, मोचिनी दुःख माता। धापू कोख जनमिया, धनि-धनि धनदाता ॥ ॐ जय जय इन्द्राणी…. महा शक्ति जग मानो, पुरुष प्रकृति रूपा । सावंल वदन सुकोमल, सेवत भव भूपा॥ ॐ जय जय…

श्री बद्रीनाथजी आरती

॥ आरती ॥ पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम् । जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्…

वैष्णो माता आरती

॥ आरती ॥ जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता । हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥ ॥ जय वैष्णवी माता..॥ शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी । गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥ ॥ जय वैष्णवी माता..॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे । सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य…

श्री नैना देवी चालीसा

।। दोहा ।। नैनों में बसती छवि दुर्गे नैना मात। प्रातः काल सिमरन करू हे जग की विख्यात।। सुख वैभव सब आपके चरणों का प्रताप । ममता अपनी दीजिए माई, मैं बालक करूं जाप।। ।। चौपाई ।। नमस्कार हैं नैना माता। दीन दुखी की भाग्य विधाता।। पार्वती ने अंश दिया हैं। नैना देवी नाम किया…

श्री नैना देवी आरती

|| आरती || तेरा अदभुत रूप निराला, आजा ! मेरी नैना माई ए | तुझपै तन मन धन सब वारूं, आजा ! मेरी नैना माई ए || सुन्दर भवन बनाया तेरा, तेरी शोभा न्यारी | नीके नीके खम्भे लागे, अद्-भुत चित्तर करी तेरा रंग बिरंगा द्वारा || आजा ! मेरी नैना माई ए……….. झाँझा और…

श्री चिंतपूर्णी माता चालीसा

॥ दोहा ॥ चित्त में बसो चिंतपूर्णी, छिन्नमस्तिका मात। सात बहनों में लाड़ली, हो जग में विख्यात॥ माईदास पर की कृपा, रूप दिखाया श्याम। सबकी हो वरदायनी, शक्ति तुम्हें प्रणाम॥ ॥ चौपाई ॥ छिन्नमस्तिका मात भवानी, कलिकाल में शुभ कल्याणी। सती आपको अंश दियो है, चिंतपूर्णी नाम कियो है। चरणों की लीला है न्यारी, जिनको…

श्री चिंतपूर्णी माता आरती

|| आरती || चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी, जग को तारो भोली माँ जन को तारो भोली माँ, काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा ॥ ॥ भोली माँ ॥ सिन्हा पर भाई असवार, भोली माँ, चिंतपूर्णी चिंता दूर ॥ ॥ भोली माँ ॥ एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा, तीजे त्रिशूल सम्भालो ॥ ॥ भोली माँ…

श्री होलिका चालीसा ( होली )

|| दोहा || याद करें प्रहलाद को, भले भलाई प्रीत। तजें बुराई मानवी, यही होलिका रीत ।। || चौपाई || हे शिव सुत गौरी के नंदन। करूँ आपका नित अभिनंदन।। मातु शारदे वंदन गाता। भाव गीत कविता में आता।। भारत है अति देश विशाला। विविध धर्म संस्कृतियों वाला।। नित मनते त्यौहार अनोखे। मेल मिलाप,रिवाजें चोखे।।…

श्री होलिका आरती ( होली )

|| आरती || ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे। स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे॥ || ओम जय नरसिंह हरे  || तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी। अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥ || ओम जय नरसिंह हरे  || सबके ह्रदय विदारण,…

श्री साई बाबा आरती

|| आरती || ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे। भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥ शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॥ ॥ ॐ जय…॥ दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे। फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥ कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे…

श्री नर्मदा आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी । ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हर‍ि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥ ॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥ देवी नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी । सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि… शारद पदवाचन्ती । ॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥ देवी धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती। झुमकत-झुमकत-झुमकत,…

अन्नपूर्णा माता आरती

॥ आरती ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम । सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार…

श्री झूलेलाल आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा । पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥ तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली । दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली ॥ ॥ ॐ जय दूलह देवा…॥ अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं । पाए मन जूं मुरादूं,…

श्री चामुण्डा देवी आरती

|| आरती || जय चामुंडा माता मैया जय चामुंडा माता I सरण आए जो तेरे सब कुछ पा जाता II मैया जय चामुंडा माता II चाँद मूंद दो राक्षस हुए है बलसाली I उनको तूने मारा क्रोध दृष्टि डाली II मैया जय चामुंडा माता II चौसठ योगिनी आकर तांडव नृत्य करे I बावन भेरो झूमे…

श्री चामुण्डा देवी चालीसा

|| दोहा || नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड ।। मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी पीड़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। || चौपाई || नमस्कार चामुंडा माता । तीनो लोक मई मई विख्याता ।। हिमाल्या मई पवितरा धाम…

श्री चंडी चालीसा

।। दोहा ।। दुर्गे! दुर्गतिनाशिनी, वासिनी गिरिकैलास! मंदहास ! मृदुभाषिणी!, माॅं! काटौ यमपाश! ।। चौपाई ।। जयति! अंबिका! जयति! भवानी! शिवा ! सांभवी! भवा! मृडानी!! विन्ध्यनिवासिनि! हिमगिरि-गेहा! वपु विराट अति सूक्ष्म सुदेहा! तुंग शृंग अयि!गब्बरवासी! शिव-पत्नी! मख दक्ष विनाशी!! सती! जया! कोहला-नग-वासी! ! सकलशब्दमयि!आनंदराशी!! हिंगलाज!भगवति! जयदाई ! असुरनिकंदनि! अभयप्रदाई! जपाकुसुम-कर! जय कौमारी! पूजित सुर हरि…

श्री राणी सती दादी जी आरती

|| आरती || ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता । अपने भक्त जनन की, दूर करन विपत्ती ॥ ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥ अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत, मंडितचहुँक कुंभा । दुर्जन दलन खडग की, विद्युतसम प्रतिभा ॥ ॐ जय श्री राणी सती माता,…

श्री राणी सती दादी चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार, राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार, काम क्रोध मद लोभ मै, भरम रह्यो संसार, शरण गहि करूणामई, सुख सम्पति संसार॥ ॥ चौपाई ॥ नमो नमो श्री सती भवानी। जग विख्यात सभी मन मानी ॥ नमो नमो संकट कू हरनी। मनवांछित पूरण सब…

श्री शारदे माँ की आरती

|| आरती || जय शारदे माता मईया जय शारदे माता, तेरा करूँ मैं वंदन पार हो भव बाधा जय शारदे माता तूं विद्या की दात्री, बुद्धि प्रखर कर दे…..मईया स्वर कोकिल सा कर दे राग रंग भर दे। ……ऊँ जय शारदे माता।। पद्मासन पे विराजे श्वेत वस्त्र धारे…..मईया मुख पर तेज तिहारे हस्त विणा राजे।…

श्री शारदा चालीसा

॥ दोहा ॥ मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज। माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी। रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता। दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारद जग जाना। मैहर नगर विश्व विख्याता, जहां बैठी शारद जग…

श्री शारदा माँ की आरती

|| आरती || भुवन विराजी शारदा महिमा अपरम्पार । भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार ॥ मैया शारदा तोरे दरबार, आरती नित गाऊँ । श्रद्धा का दीया प्रीत की बाती, असुअन तेल चढ़ाऊँ ॥ दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ । मन की माला आँख के मोती, भाव के फूल…

श्री चंद्र देव चालीसा

|| दोहा || शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर। चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।। ।। चौपाई ।। जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।। वेष…

श्री चंद्र देव आरती

|| आरती || ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा । दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी । रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी । दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी । जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे । सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि । योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें । ब्रह्मा…

श्री चित्रगुप्त आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥ विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी । भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै । मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी । सृष्टि…

श्री कुबेर आरती

॥आरती॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे । शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे । ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े । दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥ ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ स्वर्ण सिंहासन…

श्री पशुपतिनाथ जी की आरती

|| आरती || ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा । त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा ॥ || ॐ जय गंगाधर … || कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने । गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने ॥ || ॐ जय गंगाधर … || कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता । रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ || ॐ जय गंगाधर … ||…