श्री अजितनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। श्री आदिनाथ को शिश नवा कर, शारदे माँ को ध्याय । शुरू करूँ श्री अजितनाथ का, चालीसा स्वपर सुखदाय ।। जय श्री अजितनाथ जिनराज, पावन चिह्न धरे गजराज ।। नगर अयोध्या करते राज, जितराज नामक महाराज ।। विजयसेना उनकी महारानी, देखे सोलह स्वप्न ललामी ।। दिव्य विमान विजय से चयकर, जननी उदर…

श्री विमलनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। सिद्ध अनंतानंत नमन कर, सरस्वती को मन में ध्याय । विमल प्रभु की विमल भक्ति कर, चरण कमल में शीश नवाय ।। जय श्री विमलनाथ विमलेश, आठो कर्म किये निःशेष । कृत वर्मा के राज दुलारे, रानी जयश्यामा के प्यारे ।। मंगलिक शुभ सपने सारे, जगजननी ने देखे न्यारे । शुक्ल चतुर्थी…

श्री चन्द्रप्रभु चालीसा

।। दोहा ।। शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर। चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।। ।। चौपाई ।। जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।। वेष…

श्री नेमिनाथ चालीसा

।। दोहा ।। नेमिनाथ महाराज का, चालीसा सुखकार। मोक्ष प्राप्ति के लिए, कहूँ सुनो चितधार।। चालीसा चालीस दिन, तक कहो चालीस बार। बढ़े जगत सम्पत्ति सुमत, अनुपम शुद्ध विचार।। ।।चौपाई।। जय-जय नेमिनाथ हितकारी, नील वर्ण पूरण ब्रह्मचारी। तुम हो बाईसवें तीर्थंकर, शंख चिह्न सतधर्म दिवाकर।। स्वर्ग समान द्वारिका नगरी, शोभित हर्षित उत्तम सगरी। नही कही…

श्री अरहनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। श्री अरहनाथ जिनेन्द्र गुणाकर, ज्ञान-दरस-सुरव-बल रत्ऩाकर । कल्पवृक्ष सम सुख के सागर, पार हुए निज आत्म ध्याकर । अरहनाथ नाथ वसु अरि के नाशक, हुए हस्तिनापुर के शासक । माँ मित्रसेना पिता सुर्दशन, चक्रवर्ती बन किया दिग्दर्शन । सहस चौरासी आयु प्रभु की, अवगाहना थी तीस धनुष की । वर्ण सुवर्ण समान…

श्री सुपार्श्वनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। लोक शिखर के वासी हैं प्रभु, तीर्थंकर सुपार्श्व जिननाथ । नयन द्वार को खोल खड़े हैं, आओ! विराजो! हे जगनाथ ।। सुन्दर नगरी वाराणसी स्थित, राज्य करें राजा सुप्रतिष्टित । पृथ्वीसेना उनकी रानी, देखे स्वप्न सोलह अभिरामी ।। तीर्थंकर सूत गर्भ में आये, सुरगण आकर मोद मनाये । शुक्ल ज्येष्ठ द्वादशी शुभ…

श्री पुष्पदंत चालीसा

।। चालीसा ।। दुख से तप्त मरूस्थल भव में, सघन वृक्ष सम छायाकार ।। पुष्पदन्त पद – छत्र – छाँव में हम आश्रय पावे सुखकार ।। जम्बूद्विप के भरत क्षेत्र में, काकन्दी नामक नगरी में ।। राज्य करें सुग्रीव बलधारी, जयरामा रानी थी प्यारी ।। नवमी फाल्गुन कृष्ण बल्वानी, षोडश स्वप्न देखती रानी ।। सुत…

श्री अभिनन्दन नाथ चालीसा

।। चालीसा ।। ऋषभ–अजित–सम्भव अभिनन्दन, दया करे सब पर दुखभंजन जनम–मरन के टुटे बन्धन, मन मन्दिर तिष्ठें अभिनन्दन ।। अयोध्या नगरी अती सुंदर, करते राज्य भूपति संवर ।। सिद्धार्था उनकी महारानी, सूंदरता में थी लासानी ।। रानी ने देखे शुभ सपने, बरसे रतन महल के अंगने ।। मुख में देखा हस्ति समाता, कहलाई तीर्थंकर माता…

णमोकार महामंत्र चालीसा

।।  दोहा  ।। वंदूँ श्री अरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार। सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार ।। इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र। अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र ।। णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार। चालीसा पढ़कर लहूँ, स्वात्मधाम साकार ।। ।। चौपाई ।। हो जैवन्त अनादिमंत्रम्, णमोकार अपराजित मंत्रम्…

श्री मल्लिनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। मोहमल्ल मद मर्दन करते, मन्मथ दुर्ध्दर का मद हरते । धैर्य खडग से कर्म निवारे, बाल्यती को नमन हमारे ।। बिहार प्रान्त की मिथिला नगरी, राज्य करे कुम्भ काश्यप गोत्री । प्रभावती महारानी उनकी, वर्षा होती थी रत्नो की ।। अपराजित विमान को तज कर, जननी उदार बसे प्रभु आकर । मंगसिर…

श्री शीतलनाथ आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी, स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी । घृत दीपक से करू आरती, घृत दीपक से करू आरती । तुम अंतरयामी, ॐ जय शीतलनाथ स्वामी ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी… भदिदलपुर में जनम लिया प्रभु, दृढरथ पितु नामी, स्वामी दृढरथ पितु नामी । मात सुनन्दा के नन्दा तुम-२, शिवपथ के स्वामी…

श्री सुविधिनाथ आरती

।। आरती ।। ॐ जय पुष्पदंत स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी। आरती तुमरी उतारू, आरती तुमरी उतारू, हो अन्तर्यामी । ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।। जयरामा है मात आपकी, पितु सुग्रीव कहाय। प्रभु पितु सुग्रीव कहाय, क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में। क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में, काश्यप गौत्र सुहाय। ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।। काकंदी नगरी में जन्में, वैभव…

श्री विमलनाथ आरती

।। आरती ।। आरती करो रे, तेरहवें जिनवर विमलनाथ की आरती करो रे।। कृतवर्मा पितु राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे। कम्पिलपुरि में जन्म लिया है, सुर नर वंदें सारे।। निर्मल त्रय ज्ञान सहित स्वामी की आरती करो रे।। आरती करो रे… शुभ ज्येष्ठ वदी दशमी प्रभु की, गर्भागम तिथि मानी जाती। है जन्म और दीक्षा कल्याणक,…

श्री बाहुबली स्वामी आरती

॥ आरती ॥ चंदा तू ला रे चंदनिया, सूरज तू ला रे किरणां… (2) तारा सू जड़ी रे थारी आरती रे बाबा नैना संवारूं… (2) चंदा तू ला रे चंदनिया… आदिनाथ का लाड़ला जी नंदा मां का जाया… (2) राजपाट ने ठोकर मारी, छोड़ी सारी माया… (2) बन ग्या अहिंसाधारी, बाहुबली अवतारी तारा सू जड़ी…

श्री सुमतिनाथ आरती

।। आरती ।। जय सुमतिनाथ देवा, स्वामी सुमतिनाथ देवा। करुँ तुम्हारी आरती स्वामी मेटो अघ मेरा। मात मंगला पिता मेघरथ, तिनके प्रभु जन्मे। स्वामी तिनके प्रभु जन्मे धन्य हुआ है नगर अयोध्या, देव जहाँ उतरे। जय सुमतिनाथ देवा सुमतिनाथ की प्रतिमा है यह अतिशय दिखलाती। स्वामी अतिशय दिखलाती भक्ति भाव से जो कोई पूजे, आतम…

श्री अजितनाथ आरती

॥ आरती ॥ जय श्री अजित प्रभु, स्वामी जय श्री अजित प्रभु । कष्ट निवारक जिनवर, तारनहार प्रभु ॥ पिता तुम्हारे जितशत्रू और, माँ विजया रानी । स्वामी माँ विजया रानी माघ शुक्ल दशमी को जन्मे, त्रिभुवन के स्वामी स्वामी जय श्री अजित प्रभु । उल्कापात देख कर प्रभु जी, धार वैराग्य लिया । स्वामी…

श्री श्रेयांसनाथ आरती

।। आरती ।। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। स्वर्ण वर्णमय प्रभा निराली, मूर्ति तुम्हारी हैं मनहारी। सिंहपूरी में जब तुम जन्मे, सुरगण जन्म कल्याणक करते। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। विष्णु मित्र…

श्री सुपार्श्वनाथ आरती

।। आरती ।। आओ सभी मिल आरती करके, श्री सुपार्श्व गुणगान करें। मुक्ति रमापति की आरती, सब भव्यों का कल्याण करें।। धनपति ने आ नगर बनारस, में रत्नों की वर्षा की, गर्भ बसे भादों सुदि षष्ठी, पृथ्वीषेणा मां हरषीं, गर्भकल्याणक की वह तिथि भी, मंगलमय भगवान करें। मुक्ति रमापति की आरती, सब भव्यों का कल्याण…

श्री जिनवाणी माता आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय जिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता, तुमको निशदिन ध्यावे, सुरनर मुनि ज्ञानी ॥ श्री जिनगिरिथी निकसी, गुरु गौतम वाणी, जीवन भ्रम तम नाशन, दिपक दरशाणी ॥ ॐ जय जिनवाणी माता… कुमत कुलाचल चूरन, वज्र सम सरधानी। नव नियोग निक्षेपन, देखत दरपानी ॥ ॐ जय जिनवाणी माता… पातक पंक पखालन, पुन्य…

श्री अभिनन्दन नाथ आरती

।। आरती ।। अभिनंदन प्रभु जी की आज, हम सब आरती करें। बड़ा सांचा प्रभु का दरबार, सब मिल आरती करें ।। राजा स्वयंवर के घर जब थे जन्में, इन्द्रगण आ मेरू पे अभिषेक करते, नगरी अयोध्या में खुशियां अपार, प्रजाजन उत्सव करें।। अभिनंदन प्रभु जी की आज… माघ सुदी बारस की तिथि बनी न्यारी,…

श्री आचार्य विद्यासागर आरती

॥ आरती ॥ विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के। आज उतारूँ आरतिया….. मल्लप्पा श्री, श्रीमती के गर्भ विषैं गुरु आये। ग्राम सदलगा जन्म लिया है, सबजन मंगल गाये॥ न रागी की, द्वेषी की, शुभ मंगल दीप सजाय के। गुरु जी सब जन मंगल गाये, आज उतारूँ आरतिया….. गुरुवर पाँच महाव्रत धारी, आतम…

श्री अनंतनाथ आरती

।। आरती ।। करते हैं प्रभू की आरती, आतमज्योति जलेगी। प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी।। हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तर्यामी ।। करते हैं प्रभू की आरती, आतमज्योति जलेगी… हे सिंहसेन के राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे। साकेतपुरी के नाथ, अनंत गुणाकर तुम न्यारे।। तेरी भक्ती से हर प्राणी में शक्ति जगेगी, हे त्रिभुवन स्वामी,…

श्री मल्लिनाथ आरती

।। आरती ।। मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 मिथिला नगरी जन्मे स्वामी, प्रजावती माँ हैं जगनामी-2 मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 कुम्भराज पितु तुम सम शिशु पा, कहलाये सचमुच रत्नाकर-2 मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 मगशिर सुदी…

पशुपति व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पशुपति व्रत विधि || ⦿ आप पशुपति व्रत जिस सोमवार से करना प्रारंभ कर रहे हैं। उस सोमवार को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पांच सोमवार व्रत करने का संकल्प लें। ⦿ फिर आप अपने आस-पास के शिवालय (मंदिर) जाएं। ⦿ अपनी पूजा की थाली में (धूप, दीप, चंदन, लाल चंदन, विल्व पत्र,…

श्री नेमिनाथ आरती

।। आरती ।। जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी तुम हो भवदधि तारक प्रभु जी, तुम हो भवदधि तारक प्रभु जी। अन्तर के यामि स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी। जय नेमीनाथ स्वामी… समवशरण में आप विराजे, समवशरण में आप विराजे । खिरे मधुर वाणी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी।…

श्री नमिनाथ आरती

॥ आरती ॥ श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की, आरति है सुखकारी। भव दु:ख हरती, सब सुख भरती, सदा सौख्य करतारी॥ श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की.. मिथिला नगरी धन्य हो गई, तुम सम सूर्य को पाके। मात वप्पिला, विजय पिता, जन्मोत्सव खूब मनाते। इन्द्र जन्मकल्याण मनाने, स्वर्ग से आते भारी। श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की.. शुभ…

श्री अरहनाथ आरती

।। आरती ।। जय अरहनाथ देवा, स्वामी अरहनाथ देवा आरती तेरी आरत हारी, आरती तेरी आरत हारी करे करम छेवा, जय अरहनाथ देवा। जय अरहनाथ देवा… हस्तिनापुर में जन्म लियो है, जन जन सुखकारी स्वामी जन-जन सुखकारी, राय सुदर्शन मित्रा आंगन राय सुदर्शन मित्रा आंगन, रत्नवृष्टि भारी जय अरहनाथ देवा… त्रि पद धारी तुम त्रिपुरारी,…

श्री भरत भगवान आरती

।। आरती ।। जय जय श्री भरतजिन, तुम हो तारण तरन ॥ भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।। प्रभु तुम सर्वार्थसिद्धि से आये। माता सुनंदा के प्रिय सुत कहाये ॥ आदि नृप के नन्दन, तुमको शत शत वंदन, हों हमारे ।। इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे.. कर्मयुग में हुए तुम विधाता । लोकहित मार्ग…

श्री बाहुबली आरती

।। आरती ।। जय जय श्री बाहुजिन, तुम हो तारण तरन ॥ भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।। प्रभु तुम सर्वार्थसिद्धि से आये। माता सुनंदा के प्रिय सुत कहाये ॥ आदि नृप के नन्दन, तुमको शत शत वंदन, हों हमारे ।। इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे.. कर्मयुग में हुए तुम विधाता । लोकहित मार्ग…

श्री कुंथुनाथ आरती

॥ आरती ॥ श्री कुंथुनाथ प्रभु की, हम आरति करते हैं आरति करके जनम-जनम के पाप विनशते हैं सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं श्री कुंथुनाथ प्रभु की, हम आरति करते हैं॥ श्री कुंथुनाथ प्रभु की, हम आरति करते हैं जब गर्भ में प्रभु तुम आए-हां आए, पितु सूरसेन श्रीकांता माँ हरषाए।…

श्री सायिनाथ अष्टकम्

|| अष्टकम् || पत्रिग्राम समुद्भूतं द्वारकामायि वासिनं भक्ताभीष्टप्रदं देवं सायिनाथं नमाम्यहम् ॥ महोन्नत कुलेजातं क्षीराम्बुधि समे शुभे द्विजराजं तमोघ्नं तं सायिनाथं नमाम्यहम् ॥ जगदुद्धारणार्थं यो नररूपधरो विभुः योगिनं च महात्मानं सायिनाथं नमाम्यहम् ॥ साक्षात्कारे जये लाभे स्वात्मारामो गुरोर्मुखात् निर्मलं मम गात्रं च सायिनाथं नमाम्यहम् ॥ यस्य दर्शन मात्रेण नश्यन्ति व्याधि कोटयः सर्वे पापाः प्रणश्यन्ति सायिनाथं…

श्री खाटू श्याम अष्टक

|| दोहा || गुरु गणपति शारद शरण नौमि श्याम दिन रैन । अष्टक सत चित्त सुमिरण प्रदत सकल सुख चैन ॥ खाटू दर कलिमल हरण विपत विमुच मृदु वैन । विप्लव वन्दक प्रभु चरण सदय हरत हरि दैन ॥ || चौपाई || जय यक्षप कुल कोटि चौरासी, सूर्यवर्च अधिपति अविनासी जयति प्रताप प्रखर बलबंता, किस…

श्री चन्द्रप्रभु आरती

॥ आरती ॥ जय चंद्रप्रभु देवा, स्वामी जय चंद्रप्रभु देवा । तुम हो विघ्न विनाशक स्वामी, तुम हो विघ्न विनाशक पार करो देवा, स्वामी पार करो देवा॥ जय चंद्रप्रभु देवा… मात सुलक्षणा पिता तुम्हारे महासेन देवा २। चन्द्र पूरी में जनम लियो हैं स्वामी देवों के देवा २॥ तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो…

श्री वासुपूज्य आरती

।। आरती ।। ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी। पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।। ॐ जय वासुपूज्य स्वामी… चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे। जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।। ॐ जय वासुपूज्य स्वामी… बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा। प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।। ॐ…

श्री मुनिसुव्रतनाथ आरती

|| आरती || ॐ जय मुनिसुव्रत स्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रत स्वामी भक्ति भाव से प्रणमूँ तुमको, जय अंतरयामी|| ॐ जय मुनिसुव्रत स्वामी… राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनंद भयो भारी सुर-नर-मुनि गुण गायें तिहारी, आरती कर थारी|| ॐ जय मुनिसुव्रत स्वामी… पिता तुम्हारे सुमित्र राजा, श्यामा के जाया श्यामवर्ण मूरत है तेरी, पैठन में अतिशय…

श्री धर्मनाथ आरती

।। आरती ।। आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की। माघ सुदी का दिन था उत्तम, सुभद्रा घर जन्म लिया प्रभु। राजा भानु अति हर्षाये, इन्द्रो ने रत्न बरसाये। आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की। युवावस्था में प्रभु आये, राज काज में मन न लगाये। झूठा सब संसार…

श्री सम्भवनाथ आरती

।। आरती ।। आरती सम्भवनाथ तुम्हारी, हम सब गाये महिमा तिहारी। चौदह वर्ष तपस्या ठानी, कर्मजयी तुम केवल ज्ञानी। शीश झुकाते भक्त पुजारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी। हम सब गाये महिमा तिहारी… तुमने आत्मज्योति प्रकटाई, कर्म शत्रुओ पर जय पाई। संकटहारी शिव भर्तारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी। हम सब गाये महिमा तिहारी… राजपाट क्षण भर में छोड़ा,…

श्री सिद्धचक्र आरती

|| आरती || जय सिद्धचक्र देवा, जय सिद्धचक्र देवा| करत तुम्हारी निश-दिन, मन से सुर-नर-मुनि सेवा| जय सिद्धचक्र देवा| ज्ञानावरणी दर्शनावरणी मोह अंतराया, नाम गोत्र वेदनीय आयु को नाशि मोक्ष पाया| जय सिद्धचक्र देवा || ज्ञान-अनंत अनंत-दर्श-सुख बल-अनंतधारी, अव्याबाध अमूर्ति अगुरुलघु अवगाहनधारी| जय सिद्धचक्र देवा || तुम अशरीर शुद्ध चिन्मूरति स्वात्मरस-भोगी, तुम्हें जपें आचार्योपाध्याय सर्व-साधु…

श्री आदिनाथ आरती

।। आरती ।। ॐ जय आदिनाथ देवा, स्वामी जय आदिनाथ देवा। तुम हो विघ्न विनाशक, तुम हो विघ्न विनाशक। पार करो खेवा। ॐ जय आदिनाथ देवा… नाभिराय जी पिता तुम्हारे, माता मरुदेवी। स्वामी माता मरुदेवी। रूप तुम्हारा महा मनोहर, रूप तुम्हारा महा मनोहर। सेव करें देवी। ॐ जय आदिनाथ देवा… नीलांजना के देख निधन को,…

श्री पद्म प्रभु आरती

।। आरती ।। जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । तुम बिन कौन जगत में मेरा २, पार करों देवा २ जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ॥ तुम बिन कौन जगत में मेरा… तुम हो अगम अगोचर स्वामी हम हैं अज्ञानी २। अपरम्पार तुम्हारी…

श्री ब्रह्माणी चालीसा

|| दोहा || कोटि कोटि नमन मेरे माता पिता को, जिसने दिया शरीर बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने, दिया हरि भजन में सीर ॥ || चौपाई || जय जय जग मात ब्रह्माणी । भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी ॥ वीणा पुस्तक कर में सोहे । शारदा सब जग सोहे ॥ हँस वाहिनी जय जग माता ।…

श्री ब्राह्मणी माता की आरती

|| आरती || जय अम्बे गौरी, मइया जय आनन्द करनी । तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृग मद को । कमल सरीखे दाऊ नैना, चन्द्र बदन नीको ॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥ केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्पर धारी ।…

श्री ब्राह्मणी आरती

|| आरती || ॐ ब्रह्माणी मइया, जय ब्रह्माणी मइया। पल्लू धाम विराजत-2, सब जन कल्याणी ।। || ॐ जय माँ ब्रह्माणी || मंगल मोदमयी माँ, पीताम्बर धारी-2 मइया। स्वर्ण छत्र से शोभित-2, हंसन असवारी ।। || ॐ जय माँ ब्रह्माणी || कर में तेरे कमंड़ल, अक्ष माला सोहे-2 मइया। लाल ध्वजा फहराये-2, सबका मन मोहे…

श्री भवानी अष्टकम

|| अष्टकम || न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ भवाब्धावपारे महादुःखभीरु पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ न जानामि दानं न च ध्यानयोगं न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् न…

श्री कृष्णाष्टकम्

॥ श्री कृष्णाष्टकम् ॥ वसुदेव सुतं देवंकंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानन्दंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ अतसी पुष्प सङ्काशम्हार नूपुर शोभितम्। रत्न कङ्कण केयूरंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ कुटिलालक संयुक्तंपूर्णचन्द्र निभाननम्। विलसत् कुण्डलधरंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ मन्दार गन्ध संयुक्तंचारुहासं चतुर्भुजम्। बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षंनील जीमूत सन्निभम्। यादवानां शिरोरत्नंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ रुक्मिणी केलि संयुक्तंपीताम्बर सुशोभितम्। अवाप्त तुलसी गन्धंकृष्णं वन्दे…

श्री अच्युताष्टकम्

॥ अच्युताष्टकम् ॥ अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम्। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे॥ अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम्। इंदिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं देवकीनन्दनं नन्दजं संदधे॥ विष्णवे जिष्णवे शङ्खिने चक्रिणे रूक्मिणीरागिणे जानकीजानये। वल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने कंसविध्वंसिने वंशिने ते नम:॥ कृष्ण गोविन्दहे राम नारायण श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे। अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक॥ राक्षसक्षोभित: सीतया शोभितो दण्डकारण्यभूपुण्यताकारण:। लक्ष्मणेनान्वितो…

शंकराचार्य कृत शिवाष्टकम

॥ शिवाष्टकम् ॥ तस्मै नमः परमकारणकारणाय दीप्तोज्ज्वलज्ज्वलितपिङ्गललोचनाय। नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नमः शिवाय॥ श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय। कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय लोकत्रयार्तिहरणाय नमः शिवाय॥ पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय। भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय नीलाब्जकण्ठसदृशाय नमः शिवाय॥ लम्बत्सपिङ्गलजटामुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय। व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रैलोक्यनाथनमिताय नमः शिवाय॥ दक्षप्रजापतिमहामखनाशनाय क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय। ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगकरोटिनिकृन्तनाय योगाय योगनमिताय नमः शिवाय॥ संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय रक्षः पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय। सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय शार्दूलचर्मवसनाय नमः शिवाय॥ भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय। गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय गोक्षीरधारधवलाय नमः शिवाय॥ आदित्यसोमवरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय। ऋक्सामवेदमुनिभिः स्तुतिसंयुताय…

बृजेश्वरी देवी माता चालीसा

|| दोहा || शक्ति पीठ सूभ कांगड़ा बरिजेस्वरी सूभ धाम | ब्रह्ममा विष्णु ओर शिव करते तुम्हे प्रडम || धीयाँ भारू मा आपका ज्योति अखंध स्वरूप | टीन लोक के प्राडो को देते छाया धूप || || चौपाई || जय जय गौरी कांगदे वा;ओ | बरिजेस्वरी आमम्बा महाकाली || सती रूप का अंश लिया है…