श्री राधिका सहस्रनामावली

श्री राधिका सहस्रनामावली में राधारानी के एक हजार दिव्य और पवित्र नामों का वर्णन है। यह सहस्रनामावली उनके अलौकिक प्रेम, दिव्यता और भक्तों पर उनकी अनुकंपा का गुणगान करती है। राधारानी भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और प्रेम का सर्वोच्च रूप हैं। उनका यह सहस्रनाम स्तोत्र हर उस भक्त के लिए है, जो सच्चे प्रेम, भक्ति…

देवी छिन्नमस्ता सहस्रनामावली

देवी छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में से एक हैं और उनका स्वरूप शक्ति, त्याग, और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। छिन्नमस्ता का अर्थ है “कटी हुई मस्तक वाली देवी”। यह स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि अहंकार का त्याग और आत्मबलिदान से व्यक्ति सच्ची सिद्धि प्राप्त करता है। देवी छिन्नमस्ता सहस्रनामावली में उनके एक हजार पवित्र…

भगवान विष्णु सहस्रनामावली

भगवान विष्णु सहस्रनामावली में भगवान विष्णु के एक हजार पवित्र नामों का वर्णन है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और समस्त ब्रह्मांड के संरक्षक हैं। उनका यह सहस्रनाम उनके दिव्य गुणों, स्वरूपों और महिमा का गुणगान करता है। विष्णु सहस्रनामावली का पाठ भक्तों को हर प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने, आत्मिक शांति प्राप्त करने,…

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप को समर्पित है। अर्धनारीश्वर का स्वरूप शिव और शक्ति का अद्वितीय संगम है, जो सृष्टि की संतुलित रचना और समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा के मूल रूप को दर्शाता है। सहस्रनामावली में अर्धनारीश्वर के हजार नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों…

दत्तात्रेय सहस्रनामावली

दत्तात्रेय सहस्रनामावली भगवान दत्तात्रेय को समर्पित एक अद्भुत स्तोत्र है। भगवान दत्तात्रेय त्रिमूर्ति के संयुक्त अवतार हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित हैं। वे गुरु तत्व के सर्वोच्च प्रतीक हैं और आत्मज्ञान, वैराग्य, और ज्ञान प्रदान करते हैं। इस सहस्रनामावली में भगवान दत्तात्रेय के हजार पवित्र नामों का वर्णन है, जो उनके…

श्री लक्ष्मी सहस्रनामावली

श्री लक्ष्मी सहस्रनामावली माता लक्ष्मी के हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी अद्भुत महिमा और दिव्य स्वरूप को प्रकट करती है। माता लक्ष्मी धन, वैभव, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी हैं। यह सहस्रनामावली उनके गुणों, स्वरूपों और कृपा के विभिन्न आयामों का विस्तार से वर्णन करती है। इसका पाठ न केवल आर्थिक समृद्धि…

बटुक भैरव सहस्रनामावली

बटुक भैरव सहस्रनामावली भगवान भैरव को समर्पित एक अद्भुत स्तोत्र है जिसमें उनके हजार नामों का वर्णन किया गया है। भगवान भैरव को शिव जी का उग्र और रक्षक स्वरूप माना जाता है। उनका यह स्वरूप भक्तों को बुरी शक्तियों, कष्टों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने वाला है। बटुक भैरव सहस्रनामावली में उनके प्रत्येक नाम…

श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र

।। श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः । भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।…

श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र

।। श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र ।। ।। अथ ध्यानम ।। कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्ष:स्थले कौस्तुभं नासाग्रे वरमौत्तिकं करतले वेणुं करे कंकणम । सर्वाड़्गे हरिचन्दनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलि – र्गोपस्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपालचूडामणि: ।। फुल्लेन्दीवरकान्तिमिन्दुवदनं बर्हावतंसप्रियं श्रीवत्साड़्कमुदारकौस्तुभधरं पीताम्बरं सुन्दरम । गोपीनां नयनोत्पलार्चिततनुं गोगोपसंघावृतं गोविन्दं कलवेणुवादनपरं दिव्याड़्गभूषं भजे ।। इति ध्यानम ऊँ क्लीं देव: कामदेव: कामबीजशिरोमणि: । श्रीगोपालको…

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम पाठ

।। श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः । भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।…

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र

॥ श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ॥ ध्यानम् श्रीमच्चन्दनचर्चितोज्ज्वलवपुः शुक्लाम्बरा मल्लिका- मालालालित कुन्तला प्रविलसन्मुक्तावलीशोभना। सर्वज्ञाननिधानपुस्तकधरा रुद्राक्षमालाङ्किता वाग्देवी वदनाम्बुजे वसतु मे त्रैलोक्यमाता शुभा॥ श्रीनारद उवाच – भगवन्परमेशान सर्वलोकैकनायक। कथं सरस्वती साक्षात्प्रसन्ना परमेष्ठिनः॥ कथं देव्या महावाण्याः सतत्प्राप सुदुर्लभम्। एतन्मे वद तत्वेन महायोगीश्वरप्रभो॥ श्रीसनत्कुमार उवाच – साधु पृष्टं त्वया ब्रह्मन् गुह्याद्गुह्य मनुत्तमम्। भयानुगोपितं यत्नादिदानीं सत्प्रकाश्यते॥ पुरा पितामहं दृष्ट्वा जगत्स्थावरजङ्गमम्।…

श्री काली सहस्त्रनाम

।। श्री काली सहस्त्रनाम ।। श्मशान-कालिका काली भद्रकाली कपालिनी । गुह्य-काली महाकाली कुरु-कुल्ला विरोधिनी ।। कालिका काल-रात्रिश्च महा-काल-नितम्बिनी । काल-भैरव-भार्या च कुल-वत्र्म-प्रकाशिनी ।। कामदा कामिनीया कन्या कमनीय-स्वरूपिणी । कस्तूरी-रस-लिप्ताङ्गी कुञ्जरेश्वर-गामिनी ।। ककार-वर्ण-सर्वाङ्गी कामिनी काम-सुन्दरी । कामात्र्ता काम-रूपा च काम-धेनुु: कलावती ।। कान्ता काम-स्वरूपा च कामाख्या कुल-कामिनी । कुलीना कुल-वत्यम्बा दुर्गा दुर्गति-नाशिनी ।। कौमारी कुलजा कृष्णा…

ਸ਼੍ਰੀ ਸ਼ਿਵਸਹਸ੍ਰਨਾਮ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ੍

|| ਸ਼੍ਰੀ ਸ਼ਿਵਸਹਸ੍ਰਨਾਮ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ੍ || ਮਹਾਭਾਰਤਾਨ੍ਤਰ੍ਗਤਮ੍ ਤਤਃ ਸ ਪ੍ਰਯਤੋ ਭੂਤ੍ਵਾ ਮਮ ਤਾਤ ਯੁਧਿਸ਼਼੍ਠਿਰ । ਪ੍ਰਾਞ੍ਜਲਿਃ ਪ੍ਰਾਹ ਵਿਪ੍ਰਰ੍ਸ਼਼ਿਰ੍ਨਾਮਸਙ੍ਗ੍ਰਹਮਾਦਿਤਃ ॥ 1॥ ਉਪਮਨ੍ਯੁਰੁਵਾਚ ਬ੍ਰਹ੍ਮਪ੍ਰੋਕ੍ਤੈੱਰੁਸ਼਼ਿਪ੍ਰੋਕ੍ਤੈਰ੍ਵੇਦਵੇਦਾਙ੍ਗਸਮ੍ਭਵੈਃ । ਸਰ੍ਵਲੋਕੇਸ਼਼ੁ ਵਿਖ੍ਯਾਤੰ ਸ੍ਤੁਤ੍ਯੰ ਸ੍ਤੋਸ਼਼੍ਯਾਮਿ ਨਾਮਭਿਃ ॥ 2॥ ਮਹਦ੍ਭਿਰ੍ਵਿਹਿਤੈਃ ਸਤ੍ਯੈਃ ਸਿੱਧੈਃ ਸਰ੍ਵਾਰ੍ਥਸਾਧਕੈਃ । ਰੁਸ਼਼ਿਣਾ ਤਣ੍ਡਿਨਾ ਭਕ੍ਤ੍ਯਾ ਕ੍ਰੁਤੈਰ੍ਵੇਦਕ੍ਰੁਤਾਤ੍ਮਨਾ ॥ 3॥ ਯਥੋਕ੍ਤੈਃ ਸਾਧੁਭਿਃ ਖ੍ਯਾਤੈਰ੍ਮੁਨਿਭਿਸ੍ਤੱਤ੍ਵਦਰ੍ਸ਼ਿਭਿਃ । ਪ੍ਰਵਰੰ ਪ੍ਰਥਮੰ ਸ੍ਵਰ੍ਗ੍ਯੰ ਸਰ੍ਵਭੂਤਹਿਤੰ ਸ਼ੁਭਮ੍ ॥ 4॥ ਸ਼੍ਰੁਤੇਃ ਸਰ੍ਵਤ੍ਰ ਜਗਤਿ ਬ੍ਰਹ੍ਮਲੋਕਾਵਤਾਰਿਤੈਃ…

শ্রী শিবসহস্রনাম স্তোত্রম্

|| শ্রী শিবসহস্রনাম স্তোত্রম্ || মহাভারতান্তর্গতম্ ততঃ স প্রয়তো ভূত্বা মম তাত যুধিষ্ঠির । প্রাঞ্জলিঃ প্রাহ বিপ্রর্ষির্নামসঙ্গ্রহমাদিতঃ ॥ ১॥ উপমন্যুরুবাচ ব্রহ্মপ্রোক্তৈরৃষিপ্রোক্তৈর্বেদবেদাঙ্গসম্ভবৈঃ । সর্বলোকেষু বিখ্যাতং স্তুত্যং স্তোষ্যামি নামভিঃ ॥ ২॥ মহদ্ভির্বিহিতৈঃ সত্যৈঃ সিদ্ধৈঃ সর্বার্থসাধকৈঃ । ঋষিণা তণ্ডিনা ভক্ত্যা কৃতৈর্বেদকৃতাত্মনা ॥ ৩॥ যথোক্তৈঃ সাধুভিঃ খ্যাতৈর্মুনিভিস্তত্ত্বদর্শিভিঃ । প্রবরং প্রথমং স্বর্গ্যং সর্বভূতহিতং শুভম্ ॥ ৪॥ শ্রুতেঃ সর্বত্র জগতি ব্রহ্মলোকাবতারিতৈঃ…

শ্ৰী শিৱসহস্ৰনাম স্তোত্ৰম্

|| শ্ৰী শিৱসহস্ৰনাম স্তোত্ৰম্ || মহাভাৰতান্তৰ্গতম্ ততঃ স প্ৰয়তো ভূত্ৱা মম তাত যুধিষ্ঠিৰ । প্ৰাঞ্জলিঃ প্ৰাহ ৱিপ্ৰৰ্ষিৰ্নামসঙ্গ্ৰহমাদিতঃ ॥ ১॥ উপমন্যুৰুৱাচ ব্ৰহ্মপ্ৰোক্তৈৰৃষিপ্ৰোক্তৈৰ্ৱেদৱেদাঙ্গসম্ভৱৈঃ । সৰ্ৱলোকেষু ৱিখ্যাতং স্তুত্যং স্তোষ্যামি নামভিঃ ॥ ২॥ মহদ্ভিৰ্ৱিহিতৈঃ সত্যৈঃ সিদ্ধৈঃ সৰ্ৱাৰ্থসাধকৈঃ । ঋষিণা তণ্ডিনা ভক্ত্যা কৃতৈৰ্ৱেদকৃতাত্মনা ॥ ৩॥ যথোক্তৈঃ সাধুভিঃ খ্যাতৈৰ্মুনিভিস্তত্ত্ৱদৰ্শিভিঃ । প্ৰৱৰং প্ৰথমং স্ৱৰ্গ্যং সৰ্ৱভূতহিতং শুভম্ ॥ ৪॥ শ্ৰুতেঃ সৰ্ৱত্ৰ জগতি ব্ৰহ্মলোকাৱতাৰিতৈঃ…

ଶ୍ରୀ ଶିବସହସ୍ରନାମ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍

ଶ୍ରୀ ଶିବସହସ୍ରନାମ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍ ମହାଭାରତାନ୍ତର୍ଗତମ୍ ତତଃ ସ ପ୍ରୟତୋ ଭୂତ୍ୱା ମମ ତାତ ଯୁଧିଷ୍ଠିର । ପ୍ରାଞ୍ଜଲିଃ ପ୍ରାହ ବିପ୍ରର୍ଷିର୍ନାମସଙ୍ଗ୍ରହମାଦିତଃ ॥ ୧॥ ଉପମନ୍ୟୁରୁବାଚ ବ୍ରହ୍ମପ୍ରୋକ୍ତୈରୃଷିପ୍ରୋକ୍ତୈର୍ୱେଦବେଦାଙ୍ଗସମ୍ଭବୈଃ । ସର୍ୱଲୋକେଷୁ ବିଖ୍ୟାତଂ ସ୍ତୁତ୍ୟଂ ସ୍ତୋଷ୍ୟାମି ନାମଭିଃ ॥ ୨॥ ମହଦ୍ଭିର୍ୱିହିତୈଃ ସତ୍ୟୈଃ ସିଦ୍ଧୈଃ ସର୍ୱାର୍ଥସାଧକୈଃ । ଋଷିଣା ତଣ୍ଡିନା ଭକ୍ତ୍ୟା କୃତୈର୍ୱେଦକୃତାତ୍ମନା ॥ ୩॥ ଯଥୋକ୍ତୈଃ ସାଧୁଭିଃ ଖ୍ୟାତୈର୍ମୁନିଭିସ୍ତତ୍ତ୍ୱଦର୍ଶିଭିଃ । ପ୍ରବରଂ ପ୍ରଥମଂ ସ୍ୱର୍ଗ୍ୟଂ ସର୍ୱଭୂତହିତଂ ଶୁଭମ୍ ॥ ୪॥ ଶ୍ରୁତେଃ ସର୍ୱତ୍ର ଜଗତି ବ୍ରହ୍ମଲୋକାବତାରିତୈଃ । ସତ୍ୟୈସ୍ତତ୍ପରମଂ…

శ్రీ శివసహస్రనామ స్తోత్రం

|| శ్రీ శివసహస్రనామ స్తోత్రం || మహాభారతాంతర్గతం తతః స ప్రయతో భూత్వా మమ తాత యుధిష్ఠిర . ప్రాంజలిః ప్రాహ విప్రర్షిర్నామసంగ్రహమాదితః .. 1.. ఉపమన్యురువాచ బ్రహ్మప్రోక్తైరృషిప్రోక్తైర్వేదవేదాంగసంభవైః . సర్వలోకేషు విఖ్యాతం స్తుత్యం స్తోష్యామి నామభిః .. 2.. మహద్భిర్విహితైః సత్యైః సిద్ధైః సర్వార్థసాధకైః . ఋషిణా తండినా భక్త్యా కృతైర్వేదకృతాత్మనా .. 3.. యథోక్తైః సాధుభిః ఖ్యాతైర్మునిభిస్తత్త్వదర్శిభిః . ప్రవరం ప్రథమం స్వర్గ్యం సర్వభూతహితం శుభం .. 4.. శ్రుతేః సర్వత్ర జగతి బ్రహ్మలోకావతారితైః…

ஶ்ரீ ஶிவஸஹஸ்ரநாம ஸ்தோத்ரம்

|| ஶ்ரீ ஶிவஸஹஸ்ரநாம ஸ்தோத்ரம் || மஹாபா⁴ரதாந்தர்க³தம் தத꞉ ஸ ப்ரயதோ பூ⁴த்வா மம தாத யுதி⁴ஷ்டி²ர . ப்ராஞ்ஜலி꞉ ப்ராஹ விப்ரர்ஷிர்நாமஸங்க்³ரஹமாதி³த꞉ .. 1.. உபமன்யுருவாச ப்³ரஹ்மப்ரோக்தைர்ருʼஷிப்ரோக்தைர்வேத³வேதா³ங்க³ஸம்ப⁴வை꞉ . ஸர்வலோகேஷு விக்²யாதம்ʼ ஸ்துத்யம்ʼ ஸ்தோஷ்யாமி நாமபி⁴꞉ .. 2.. மஹத்³பி⁴ர்விஹிதை꞉ ஸத்யை꞉ ஸித்³தை⁴꞉ ஸர்வார்த²ஸாத⁴கை꞉ . ருʼஷிணா தண்டி³னா ப⁴க்த்யா க்ருʼதைர்வேத³க்ருʼதாத்மனா .. 3.. யதோ²க்தை꞉ ஸாது⁴பி⁴꞉ க்²யாதைர்முனிபி⁴ஸ்தத்த்வத³ர்ஶிபி⁴꞉ . ப்ரவரம்ʼ ப்ரத²மம்ʼ ஸ்வர்க்³யம்ʼ ஸர்வபூ⁴தஹிதம்ʼ ஶுப⁴ம் .. 4.. ஶ்ருதே꞉ ஸர்வத்ர ஜக³தி ப்³ரஹ்மலோகாவதாரிதை꞉…

ಶ್ರೀ ಶಿವಸಹಸ್ರನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ

|| ಶ್ರೀ ಶಿವಸಹಸ್ರನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ || ಮಹಾಭಾರತಾಂತರ್ಗತಂ ತತಃ ಸ ಪ್ರಯತೋ ಭೂತ್ವಾ ಮಮ ತಾತ ಯುಧಿಷ್ಠಿರ . ಪ್ರಾಂಜಲಿಃ ಪ್ರಾಹ ವಿಪ್ರರ್ಷಿರ್ನಾಮಸಂಗ್ರಹಮಾದಿತಃ .. ೧.. ಉಪಮನ್ಯುರುವಾಚ ಬ್ರಹ್ಮಪ್ರೋಕ್ತೈರೃಷಿಪ್ರೋಕ್ತೈರ್ವೇದವೇದಾಂಗಸಂಭವೈಃ . ಸರ್ವಲೋಕೇಷು ವಿಖ್ಯಾತಂ ಸ್ತುತ್ಯಂ ಸ್ತೋಷ್ಯಾಮಿ ನಾಮಭಿಃ .. ೨.. ಮಹದ್ಭಿರ್ವಿಹಿತೈಃ ಸತ್ಯೈಃ ಸಿದ್ಧೈಃ ಸರ್ವಾರ್ಥಸಾಧಕೈಃ . ಋಷಿಣಾ ತಂಡಿನಾ ಭಕ್ತ್ಯಾ ಕೃತೈರ್ವೇದಕೃತಾತ್ಮನಾ .. ೩.. ಯಥೋಕ್ತೈಃ ಸಾಧುಭಿಃ ಖ್ಯಾತೈರ್ಮುನಿಭಿಸ್ತತ್ತ್ವದರ್ಶಿಭಿಃ . ಪ್ರವರಂ ಪ್ರಥಮಂ ಸ್ವರ್ಗ್ಯಂ ಸರ್ವಭೂತಹಿತಂ ಶುಭಂ .. ೪.. ಶ್ರುತೇಃ ಸರ್ವತ್ರ ಜಗತಿ ಬ್ರಹ್ಮಲೋಕಾವತಾರಿತೈಃ…

શ્રી શિવસહસ્રનામ સ્તોત્રમ્

|| શ્રી શિવસહસ્રનામ સ્તોત્રમ્ || મહાભારતાન્તર્ગતમ્ તતઃ સ પ્રયતો ભૂત્વા મમ તાત યુધિષ્ઠિર . પ્રાઞ્જલિઃ પ્રાહ વિપ્રર્ષિર્નામસઙ્ગ્રહમાદિતઃ .. ૧.. ઉપમન્યુરુવાચ બ્રહ્મપ્રોક્તૈરૃષિપ્રોક્તૈર્વેદવેદાઙ્ગસમ્ભવૈઃ . સર્વલોકેષુ વિખ્યાતં સ્તુત્યં સ્તોષ્યામિ નામભિઃ .. ૨.. મહદ્ભિર્વિહિતૈઃ સત્યૈઃ સિદ્ધૈઃ સર્વાર્થસાધકૈઃ . ઋષિણા તણ્ડિના ભક્ત્યા કૃતૈર્વેદકૃતાત્મના .. ૩.. યથોક્તૈઃ સાધુભિઃ ખ્યાતૈર્મુનિભિસ્તત્ત્વદર્શિભિઃ . પ્રવરં પ્રથમં સ્વર્ગ્યં સર્વભૂતહિતં શુભમ્ .. ૪.. શ્રુતેઃ સર્વત્ર જગતિ બ્રહ્મલોકાવતારિતૈઃ…

ശ്രീ ശിവസഹസ്രനാമ സ്തോത്രം

|| ശ്രീ ശിവസഹസ്രനാമ സ്തോത്രം || മഹാഭാരതാന്തർഗതം തതഃ സ പ്രയതോ ഭൂത്വാ മമ താത യുധിഷ്ഠിര . പ്രാഞ്ജലിഃ പ്രാഹ വിപ്രർഷിർനാമസംഗ്രഹമാദിതഃ .. 1.. ഉപമന്യുരുവാച ബ്രഹ്മപ്രോക്തൈരൃഷിപ്രോക്തൈർവേദവേദാംഗസംഭവൈഃ . സർവലോകേഷു വിഖ്യാതം സ്തുത്യം സ്തോഷ്യാമി നാമഭിഃ .. 2.. മഹദ്ഭിർവിഹിതൈഃ സത്യൈഃ സിദ്ധൈഃ സർവാർഥസാധകൈഃ . ഋഷിണാ തണ്ഡിനാ ഭക്ത്യാ കൃതൈർവേദകൃതാത്മനാ .. 3.. യഥോക്തൈഃ സാധുഭിഃ ഖ്യാതൈർമുനിഭിസ്തത്ത്വദർശിഭിഃ . പ്രവരം പ്രഥമം സ്വർഗ്യം സർവഭൂതഹിതം ശുഭം .. 4.. ശ്രുതേഃ സർവത്ര ജഗതി ബ്രഹ്മലോകാവതാരിതൈഃ…

ଵାରାହୀ ସହସ୍ର ନାମାଵଳି

॥ ଵାରାହୀ ସହସ୍ର ନାମାଵଳି ॥ ଓଂ ଵାରାହ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵାମନ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵାମାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ବଗଳାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵାସଵ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵସଵେ ନମଃ । ଓଂ ଵୈଦେହ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵୀରସୁଵେ ନମଃ । ଓଂ ବାଲାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵରଦାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵିଷ୍ଣୁଵଲ୍ଲଭାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵଂଦିତାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଵସୁଦାୟୈ…

શ્રી લક્ષ્મી સહસ્રનામાવળિઃ

।। શ્રી લક્ષ્મી સહસ્રનામાવળિઃ ।। ઓં નિત્યાગતાયૈ નમઃ । ઓં અનંતનિત્યાયૈ નમઃ । ઓં નંદિન્યૈ નમઃ । ઓં જનરંજન્યૈ નમઃ । ઓં નિત્યપ્રકાશિન્યૈ નમઃ । ઓં સ્વપ્રકાશસ્વરૂપિણ્યૈ નમઃ । ઓં મહાલક્ષ્મ્યૈ નમઃ । ઓં મહાકાળ્યૈ નમઃ । ઓં મહાકન્યાયૈ નમઃ । ઓં સરસ્વત્યૈ નમઃ । ઓં ભોગવૈભવસંધાત્ર્યૈ નમઃ । ઓં ભક્તાનુગ્રહકારિણ્યૈ નમઃ । ઓં ઈશાવાસ્યાયૈ…

ଶ୍ରୀ ଲକ୍ଷ୍ମୀ ସହସ୍ରନାମାଵଳିଃ

।। ଶ୍ରୀ ଲକ୍ଷ୍ମୀ ସହସ୍ରନାମାଵଳିଃ ।। ଓଂ ନିତ୍ୟାଗତାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଅନଂତନିତ୍ୟାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ନଂଦିନ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଜନରଂଜନ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ନିତ୍ୟପ୍ରକାଶିନ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ସ୍ଵପ୍ରକାଶସ୍ଵରୂପିଣ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ମହାଲକ୍ଷ୍ମ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ମହାକାଳ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ମହାକନ୍ୟାୟୈ ନମଃ । ଓଂ ସରସ୍ଵତ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଭୋଗଵୈଭଵସଂଧାତ୍ର୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଭକ୍ତାନୁଗ୍ରହକାରିଣ୍ୟୈ ନମଃ । ଓଂ ଈଶାଵାସ୍ୟାୟୈ…

শ্রী সুব্রহ্মণ্য সহস্র নামাবলি

।। সুব্রহ্মণ্য সহস্র নামাবলি ।। ওং অচিংত্যশক্তযে নমঃ । ওং অনঘায নমঃ । ওং অক্ষোভ্যায নমঃ । ওং অপরাজিতায নমঃ । ওং অনাথবত্সলায নমঃ । ওং অমোঘায নমঃ । ওং অশোকায নমঃ । ওং অজরায নমঃ । ওং অভযায নমঃ । ওং অত্যুদারায নমঃ । ওং অঘহরায নমঃ । ওং অগ্রগণ্যায নমঃ । ওং অদ্রিজাসুতায…

ବିଷ୍ଣୁ ସାହସରାନାମ

॥ ବିଷ୍ଣୁ ସାହସରାନାମ ॥ ହରିଃ ଓମ୍ ଵିଶ୍ଵଂ ଵିଷ୍ଣୁର୍ଵଷଟ୍କାରୋ ଭୂତଭଵ୍ୟଭଵତ୍ପ୍ରଭୁଃ । ଭୂତକୃଦ୍ଭୂତଭୃଦ୍ଭାଵୋ ଭୂତାତ୍ମା ଭୂତଭାଵନଃ ॥ ପୂତାତ୍ମା ପରମାତ୍ମା ଚ ମୁକ୍ତାନାଂ ପରମାଗତିଃ । ଅଵ୍ୟୟଃ ପୁରୁଷଃ ସାକ୍ଷୀ କ୍ଷେତ୍ରଜ୍ଞୋଽକ୍ଷର ଏଵ ଚ ॥ ୟୋଗୋ ୟୋଗଵିଦାଂ ନେତା ପ୍ରଧାନ ପୁରୁଷେଶ୍ଵରଃ । ନାରସିଂହଵପୁଃ ଶ୍ରୀମାନ୍ କେଶଵଃ ପୁରୁଷୋତ୍ତମଃ ॥ ସର୍ଵଃ ଶର୍ଵଃ ଶିଵଃ ସ୍ଥାଣୁର୍ଭୂତାଦିର୍ନିଧିରଵ୍ୟୟଃ । ସଂଭଵୋ ଭାଵନୋ ଭର୍ତା ପ୍ରଭଵଃ ପ୍ରଭୁରୀଶ୍ଵରଃ ॥ ସ୍ଵୟଂଭୂଃ ଶଂଭୁରାଦିତ୍ୟଃ ପୁଷ୍କରାକ୍ଷୋ ମହାସ୍ଵନଃ । ଅନାଦିନିଧନୋ…

વિષ્ણુ સહસ્રનામ

|| વિષ્ણુ સહસ્રનામ || વિશ્વં વિષ્ણુર્વષટ્કારો: ભૂતભવ્યભવત્પ્રભુ: | ભૂતકૃદ્ભૂતભૃદ્ભાવો ભૂતાત્મા ભૂતભાવન: || પૂતાત્મા પરમાત્મા ચ મુક્તાનાં પરમાગતિ: | અવ્યય: પુરુષ: સાક્ષી ક્ષેત્રજ્ઞોક્ષર એવ ચ || યોગો યોગવિદાં નેતા પ્રધાન પુરુષેશ્વર: | નારસિંહવપુ: શ્રીમાન કેશવ: પુરુષોત્તમ: || સર્વ: શર્વ: શિવ: સ્થાણુર્ભૂતાદિર્નિધિરવ્યય: | સંભવો ભાવનો ભર્તા પ્રભવ: પ્રભુરીશ્વર: || સ્વયંભૂ: શંભુરાદિત્ય: પુષ્કરાક્ષો મહાસ્વન: | અનાદિનિધનો ધાતા વિધાતા…

વારાહી સહસ્ર નામાવળિ

॥ વારાહી સહસ્ર નામાવળિ ॥ ॥ ઓં ઐં ગ્લૌં ઐમ્ ॥ ઓં વારાહ્યૈ નમઃ । ઓં વામન્યૈ નમઃ । ઓં વામાયૈ નમઃ । ઓં બગળાયૈ નમઃ । ઓં વાસવ્યૈ નમઃ । ઓં વસવે નમઃ । ઓં વૈદેહ્યૈ નમઃ । ઓં વીરસુવે નમઃ । ઓં બાલાયૈ નમઃ । ઓં વરદાયૈ નમઃ । ઓં વિષ્ણુવલ્લભાયૈ નમઃ ।…

श्री वाराही सहस्त्रनाम

।।श्री वाराही सहस्त्रनाम।। ॐ ऐं ग्लौं वाराह्यै नमः । ॐ ऐं ग्लौं वामन्यै नमः । ॐ ऐं ग्लौं वामायै नमः । ॐ ऐं ग्लौं बगळायै नमः । ॐ ऐं ग्लौं वासव्यै नमः । ॐ ऐं ग्लौं वसवे नमः । ॐ ऐं ग्लौं वैदेह्यै नमः । ॐ ऐं ग्लौं विरसुवे नमः । ॐ ऐं ग्लौं बालायै…

श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ विधि व लाभ

।।श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ कैसे करे।। हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करके भगवान् श्री कृष्णा की तस्वीर या मूर्ति के सामने श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करे। सर्व प्रथम भगवान् श्री कृष्णा का आवाहन करें और भगवान् श्री कृष्णा को सर्व प्रथम आसन अर्पित करें। तत्पश्चात पैर धोने के…