भारत त्योहारों का देश है, और ‘प्रकाश पर्व’ दीपावली (Diwali) इनमें सबसे महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि खुशियों, समृद्धि और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हालांकि, उत्तर भारत (North India) में दीपावली मनाने का तरीका दक्षिण भारत (South India) से काफी अलग है। विशेष रूप से तमिलनाडु (Tamil Nadu) में, दीपावली कुछ ऐसे अनूठे रीति-रिवाजों और महत्व के साथ मनाई जाती है जो इसे सचमुच अनोखी (Unique) बनाते हैं। आइए, गहराई से जानते हैं कि दक्षिण भारत की यह दीपावली क्यों खास है और 2025 में इसके कौन से महत्वपूर्ण पहलू हैं।
तमिल दीपावली – क्यों है यह उत्तर भारत से अलग?
तमिलनाडु में दीपावली का त्योहार मुख्य रूप से नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन, यानी अमावस्या से एक दिन पहले, मनाया जाता है। यहीं पर इसकी सबसे बड़ी विशिष्टता (Specialty) निहित है।
- तिथि का अंतर (Difference in Tithi) – उत्तर भारत में लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja) कार्तिक मास की अमावस्या को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में की जाती है। इसके विपरीत, तमिल दीपावली तब मनाई जाती है जब चतुर्दशी तिथि ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurta) के दौरान प्रबल होती है। ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से ठीक पहले का शुभ समय होता है। इसी कारण तमिल दीपावली, उत्तर भारत की मुख्य दिवाली से एक दिन पहले या एक ही दिन सुबह मनाई जा सकती है। 2025 में भी तमिल दीपावली सोमवार, 20 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त में मनाई जाएगी।
- महत्व, कृष्ण और नरकासुर – उत्तर भारत में दीपावली मुख्य रूप से भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने और माता लक्ष्मी के पूजन से जुड़ी है। जबकि तमिलनाडु में, इस पर्व का मुख्य केंद्रबिंदु भगवान कृष्ण (Lord Krishna) द्वारा क्रूर नरकासुर (Narakasura) राक्षस का वध करना है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है, जिसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
तमिल दीपावली के अनूठे रीति-रिवाज (Unique Rituals)
तमिल दीपावली सिर्फ तिथि में ही नहीं, बल्कि अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं (Traditions) के कारण भी बेहद आकर्षक है।
‘गंगा स्नान’ या ‘दीपावली स्नानम्’ (The Holy Bath)
यह तमिल दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। त्योहार की शुरुआत सूर्योदय से पहले ‘गंगा स्नान’ (Ganga Snanam) से होती है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किए गए तेल से स्नान (Oil Bath) का महत्व गंगा नदी में डुबकी लगाने के समान होता है।
- विधि – परिवार का सबसे बड़ा सदस्य बच्चों और अन्य सदस्यों को सुगंधित तेल (जैसे तिल का तेल) और उबटन (Ubtan) लगाता है।
- उद्देश्य – यह स्नान शरीर और मन को शुद्ध करता है, और पूरे वर्ष की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। स्नान के बाद ही नए वस्त्र (New Clothes) धारण किए जाते हैं।
‘दीपावली मरुंधु’ (The Diwali Medicine)
यह एक और अनोखी परंपरा है जो इसे विशेष बनाती है। ‘मरुंधु’ (Marundhu) का अर्थ है दवा। सुबह के स्नान के बाद, परिवार के सदस्य ‘दीपावली मरुंधु’ नामक एक विशेष आयुर्वेदिक औषधि (Ayurvedic Medicine) का सेवन करते हैं।
- सामग्री – इसे कई तरह की जड़ी-बूटियों, मसालों (Spices) और गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है।
- महत्व – माना जाता है कि त्योहार के दौरान भारी और अलग-अलग पकवान खाने से पहले यह पाचक (Digestive) दवा लेने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और कोई बीमारी नहीं होती। यह स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए एक प्रतीकात्मक शुरुआत है।
‘कोलम’ और दीयों का प्रकाश (Kolam and Lighting)
घर की सजावट में, तमिलनाडु में रंगोली के स्थान पर कोलम (Kolam) बनाया जाता है। यह चावल के आटे (Rice Flour) से बनाई गई ज्यामितीय (Geometric) और सुंदर डिजाइन होती है, जो समृद्धि और स्वागत का प्रतीक है। इसके बाद घरों में मिट्टी के दीपक (Mud Diyas) जलाए जाते हैं। हालांकि, उत्तर भारत की तरह अमावस्या की रात लक्ष्मी पूजा की भव्यता यहाँ कम होती है, लेकिन सुबह-सुबह दीपों से घर को रोशन किया जाता है।
‘थलाई दीपावली’ (Thalai Deepavali)
नवविवाहित जोड़ों (Newly Married Couples) के लिए यह त्योहार बेहद खास होता है। नवविवाहित जोड़े की पहली दीपावली (First Deepavali) दुल्हन के माता-पिता के घर मनाई जाती है। इसे थलाई दीपावली कहा जाता है। इस दिन दूल्हा और दुल्हन को उपहार (Gifts) दिए जाते हैं, और वे एक साथ त्योहार की खुशियाँ मनाते हैं।
आतिशबाजी और पकवान (Crackers and Delicacies)
स्नान और पूजा के बाद, परिवार और पड़ोस के लोग मिलकर पटाखे (Crackers) फोड़ते हैं। इस दिन विशेष रूप से बूंदी (Boondi), ओमापोडी (Omapodi), जांगरी (Jangiri), पालकोवा (Palkova) जैसे पारंपरिक तमिल व्यंजन और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
तमिल दीपावली का महत्व (Significance)
तमिल दीपावली केवल नरकासुर वध का उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ज़ोर देती है:
- शुद्धिकरण – ‘गंगा स्नानम्’ आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की शुद्धता पर जोर देता है, जो किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए आवश्यक है।
- स्वास्थ्य – ‘दीपावली मरुंधु’ यह दर्शाता है कि तमिल संस्कृति में त्योहार के दौरान भी स्वास्थ्य (Health) और कल्याण (Wellness) को कितना महत्व दिया जाता है।
- पारिवारिक बंधन – ‘थलाई दीपावली’ और परिवार के साथ मिलकर अनुष्ठान करने की परंपराएं सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करती हैं।
- विजय – नरकासुर पर कृष्ण की विजय अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और अन्याय पर न्याय की सार्वभौमिक (Universal) जीत का प्रतीक है।
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