विनय-पत्रिका, गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित, भक्ति साहित्य का एक अनुपम रत्न है। यह ग्रंथ, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, लाखों भक्तों के हृदय में बसा हुआ है। इसमें तुलसीदास जी ने भगवान राम के प्रति अपनी अनन्य भक्ति और दीनता को व्यक्त किया है। यह न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
विनय-पत्रिका, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, भक्ति साहित्य का एक अमूल्य धरोहर है। यह ग्रंथ न केवल भगवान राम के प्रति तुलसीदास जी की अनन्य भक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह हमें जीवन के मूल्यों और आदर्शों का भी मार्गदर्शन करता है।
विनय-पत्रिका मुख्य विशेषताएँ
- भक्ति रस का प्रवाह: विनय-पत्रिका में भक्ति रस की गहरी अनुभूति होती है। तुलसीदास जी ने भगवान राम के प्रति अपनी व्याकुलता, प्रेम और समर्पण को अत्यंत मार्मिक ढंग से चित्रित किया है।
- दीनता और शरणागति: इस ग्रंथ में तुलसीदास जी ने स्वयं को एक दीन सेवक के रूप में प्रस्तुत किया है, जो भगवान राम की शरण में आकर शांति और मुक्ति की कामना करता है।
- सामाजिक संदर्भ: विनय-पत्रिका में तत्कालीन समाज की समस्याओं और चुनौतियों का भी वर्णन मिलता है। तुलसीदास जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों के प्रति चिंता व्यक्त की है और भगवान राम से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना की है।
- सरल और सुबोध भाषा: तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं में जनसामान्य की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे यह ग्रंथ सभी के लिए सुलभ और बोधगम्य है।
- गीता प्रेस का योगदान: गीता प्रेस गोरखपुर ने विनय-पत्रिका को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके प्रकाशन ने इस ग्रंथ को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया है।