बसौड़ा व्रत कथा (शीतला अष्टमी)

।। बसौड़ा (शीतला अष्टमी) व्रत कथा ।। एक बार शीतला माता ने सोचा कि चलो आज देखूं कि धरती पर मेरी पूजा कौन करता है, कौन मुझे मानता है। यही सोचकर शीतला माता धरती पर राजस्थान के डुंगरी गाँव में आईं और देखा कि इस गाँव में मेरा मंदिर नहीं है, और ना ही मेरी…

फुलेरा दूज व्रत कथा

|| फुलेरा दूज व्रत कथा || फाल्गुन मास में कई ऐसे त्यौहार आते हैं जो हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को एक बार फिर से ताज़ा करते हैं। उन्हीं में से एक पावन पर्व है ‘फुलेरा दूज’। ये त्यौहार वसंत पंचमी और होली के बीच आता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण…

टेसू झेंजी विवाह की पौराणिक कथा

।। टेसू झेंजी विवाह की पौराणिक कथा ।। एक वरदान के अनुसार, सबसे पहिले टेसू का विवाह होगा, फिर उसके बाद ही कोई विवाह उत्सव की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेगा। मान्यता के अनुसार, भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को महाभारत का युद्ध मे आते समय झेंजी से प्रेम हो गया। उन्होंने युद्ध से…

पंगुनी उथिराम कथा

।। पंगुनी उथिराम कथा ।। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब उथिराम नक्षत्र पूर्णिमा के साथ आता है, तो तमिल भाषी हिंदूओं द्वारा यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार इन क्षेत्रों में काफी महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान मुरुगन (सुब्रमण्यम) के साथ भगवान इंद्र की बेटी देवसेना या देवनाई…

कुंभ संक्रांति कथा एवं पूजा विधि

|| कुंभ संक्रांति की पूजा विधि || कुंभ संक्रांति एक पवित्र और शुभ अवसर है, जो सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूजा विधि इस प्रकार है: कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें। स्नान…

जगन्नाथ जी व्रत कथा

|| जगन्नाथ पूजा विधि || पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ का पूजन करें। भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें। उनको चन्दन लगायें , विभिन्न भोग प्रसाद और तुलसीदल अर्पित करें। उनको फूलों से सजाएँ और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें,…

ललिता पंचमी व्रत कथा

|| ललिता पंचमी व्रत कथा || शारदीय नवरात्रि के समय, आश्विन शुक्ल पंचमी को ललिता पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व देवी ललिता को समर्पित है, जो माता सती पार्वती का ही एक रूप मानी जाती हैं। इस दिन भक्त ललिता पंचमी व्रत रखते हैं। देवी ललिता को ‘त्रिपुर सुंदरी’ भी कहा जाता…

सूर्य देव व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| सूर्य देव पूजा विधि || रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ व हल्के रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य देव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत, शक्कर, लाल चंदन या रोली मिलाकर सूर्य…

ज्वाला माता की कथा एवं पूजा विधि

|| श्री ज्वाला देवी की पूजा के विधान || माता श्री ज्वाला देवी की पूजा तीन तरह से होती है- पंचोपचार विधि– पंचोपचार विधि से पूजन करने के लिए गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि मां की सेवा में प्रस्तुत करें और निवेदन करें कि हे माता! मैं अज्ञानी मूर्ख प्राणी हूं। मुझे पूजा पाठ…

वामन अवतार कथा तथा पूजा विधि

वामन जयंती पूजा विधि इस दिन भगवान विष्णु को उनके वामन रूप में पूजा जाता है। इस दिन उपासक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। नित्यक्रिया के बाद स्नान और भगावन विष्णु का ध्यान कर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। इसके बाद दिन की शुरुआत में आप वामन देव की सोने या फिर मिट्टी से…

रवि प्रदोष व्रत कथा और पूजा विधि

॥ रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि ॥ रवि प्रदोष व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को प्रातः उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ हो जाना चाहिए। तत्पश्चात पूजा स्थल को स्वच्छ कर सूर्यदेव, भगवान शिव व देवी पार्वती का आवाहन करें। अब भगवान शिव को बेल पत्र तथा सूर्यदेव को अक्षत, फूल, धूप, दीप,…

थाईपुसम पौराणिक कथा

|| थाईपुसम पौराणिक कथा || थाईपूसम एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से तमिल समुदाय के लोग बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह त्योहार तमिल सौर मास थाई (जनवरी-फरवरी) में पूर्णिमा के दिन आता है। अन्य हिंदू कैलेंडर में इस माह को सौर मास मकर के नाम से जाना जाता…

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा

|| मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा || पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में असुर दंभ को महिषासुर नाम का एक पुत्र हुआ। महिषासुर में बचपन से ही अमर होने की प्रबल इच्छा थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या शुरू की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी…

भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा

|| भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा || पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा शांतनु की पत्नी देवी गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम देवव्रत रखा गया। पुत्र के जन्म के बाद, गंगा राजा शांतनु को छोड़कर चली गईं क्योंकि उन्होंने ऐसा वचन दिया था। इस वियोग से राजा शांतनु अत्यंत दुखी रहने लगे। कुछ…

भीष्म अष्टमी व्रत कथा

|| भीष्म अष्टमी व्रत कथा || भीष्म पितामह का वास्तविक नाम देवव्रत था। वे हस्तिनापुर के राजा शांतनु और उनकी पटरानी गंगा के पुत्र थे। एक बार राजा शांतनु शिकार करते हुए गंगा तट के पार चले गए। लौटते समय उनकी भेंट हरिदास केवट की पुत्री मत्स्यगंधा (सत्यवती) से हुई। सत्यवती असाधारण रूपवती थी, और…

श्री रोहिणी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| रोहिणी व्रत कथा || प्राचीन कथा के अनुसार चंपापुरी राज्य में राजा माधवा, और रानी लक्ष्मीपति का राज्य था। उनके सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार राजा ने बेटी रोहिणी के बारे में ज्योतिषी से जानकारी ली तो उसने बताया कि रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ होगा। इस…

जया एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ जया एकादशी की पूजा विधि ॥ इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और घर की पूरी साफ-सफाई करें। झाड़ू-पोंछा लगाने के बाद पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। इसके पश्चात शरीर पर तिल एवं मिट्टी का लेप लगाकर कुशा से स्नान करें। घर के पूजा स्थल या पूर्व दिशा में किसी स्वच्छ…

श्री नर्मदा व्रत कथा एवं पूजन विधि

|| नर्मदा जयंती की पूजा विधि || नर्मदा जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नर्मदा नदी में स्नान करना चाहिए। इसके बाद, नर्मदा नदी के तट पर फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से नर्मदा मां की पूजा करनी चाहिए। इस दिन नर्मदा नदी में दीप जलाकर दीपदान करना भी शुभ माना जाता है। ||…

रथ सप्तमी (अचला सप्तमी) व्रत कथा

|| रथ सप्तमी की व्रत कथा || रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव, जो आरोग्य के देवता हैं, की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने दुर्वासा ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन सूर्य देव की आराधना की थी। इस पर्व को अचला…

स्कन्द षष्ठी व्रत कथा व पूजा विधि

|| स्कन्द षष्ठी व्रत पूजा विधि || सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। ऐसा करने के बाद भगवान कार्तिकेय को चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। फिर उन्हें एक मिष्ठान का भोग लगाएं। आज के दिन माता…

भगवान परशुराम की कथा एवं पूजा विधि

|| भगवान परशुराम पूजा विधि || इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गंगाजल से मंदिर को शुद्ध करें और पूजा की तैयारी करें। इसके पश्चात पूजा स्थल पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर भगवान परशुराम एवं भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करें। इसके…

सरस्वती व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| सरस्वती पूजा विधि || मां सरस्वती की पूजा से पहले स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। अपने सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा करें, फिर नवग्रहों की पूजा करके मां सरस्वती…

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्रत्येक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के…

मनसा देवी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| मनसा देवी पूजा विधि || साधना सामग्री लाल चन्दन की लकड़ी के टुकड़े नीला और सफ़ेद धागा (लगभग 8-8 उंगल का) कलश के लिए नारियल सफ़ेद व लाल वस्त्र पूजन में फल, पुष्प, धूप, दीप, पाँच मेवा आदि स्थापना सबसे पहले पूजा स्थान में एक बाजोट पर सफ़ेद रंग का वस्त्र बिछा दें। उस…

श्री विजय पार्वती व्रत कथा और पूजन विधि

|| विजया-पार्वती व्रत का पूजन || आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। तत्पश्चात व्रत का संकल्प करके माता पार्वती का स्मरण करें। घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर शिव-पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल चढ़ाकर पूजा करें। नारियल,…

श्री सीता नवमी व्रत कथा और सीता नवमी पूजन विधि

|| सीता नवमी पूजन विधि || सीता नवमी के दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लें। एक लकड़ी के पटिये पर पीला वस्त्र बिछाकर माता सीता की श्रीराम सहित मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। राम-सीता की प्रतिमा पर श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। इस दिन दूध, पुष्प, धूप, दीप…

श्री रामनवमी व्रत कथा

|| श्री रामनवमी की पौराणिक कथा || त्रेता युग में चैत्र मास की नवमी तिथि के दिन भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम का जन्म रावण के अंत के लिए हुआ था। श्रीराम को उनके सुशासन, मर्यादित व्यवहार और सदाचार युक्त शासन के…

श्री भैरवी व्रत कथा

|| माँ भैरवी की कथा || यह कथा भगवान शिव और उनकी पहली पत्नी माता सती से जुड़ी है। माता सती को ही उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म माना जाता है। भैरवी महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन…

શનિવાર વ્રત કથા ઔર વ્રત વિધિ

|| શનિવાર વ્રત વિધિ || શનિવાર વ્રત હિંદૂ ધર્મ મેં શનિદેવ કો સમર્પિત એક મહત્વપૂર્ણ વ્રત હૈ. યહ વ્રત શનિદેવ કે પ્રકોપ સે બચને ઔર ઉનકી કૃપા પ્રાપ્ત કરને કે લિએ કિયા જાતા હૈ. શનિવાર કે દિન પ્રાતઃ સ્નાન આદિ કરને કે બાદ કાલા તિલ ઔર લૌંગ મિશ્રિત જલ પશ્ચિમ દિશા કી ઓર મુખ કરકે…

శనివార వ్రత కథా ఔర వ్రత విధి

|| శనివార వ్రత విధి || శనివార వ్రత హిందూ ధర్మ మేం శనిదేవ కో సమర్పిత ఏక మహత్వపూర్ణ వ్రత హై. యహ వ్రత శనిదేవ కే ప్రకోప సే బచనే ఔర ఉనకీ కృపా ప్రాప్త కరనే కే లిఏ కియా జాతా హై. శనివార కే దిన ప్రాతః స్నాన ఆది కరనే కే బాద కాలా తిల ఔర లౌంగ మిశ్రిత జల పశ్చిమ దిశా కీ ఓర ముఖ కరకే…

शनिवार व्रत कथा और व्रत विधि

|| शनिवार व्रत विधि || शनिवार व्रत हिंदू धर्म में शनिदेव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत शनिदेव के प्रकोप से बचने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनिवार के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद काला तिल और लौंग मिश्रित जल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके…

गंगा अवतरण राजा भगीरथ की कथा

|| गंगा अवतरण राजा भगीरथ की कथा || अयोध्या के महाराजा सगर की दो पत्नियां थीं जिनका नाम था केशिनी और सुमति। जब वर्षों तक महाराज सगर के कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने हिमालय में भृगु ऋषि की सेवा की। भृगु ऋषि ने उनकी सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा। सगर…

तारा रानी की कथा

|| तारा रानी की कथा || माता के जागरण में माता तारा रानी देवी की कथा कहने सुनने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है बिना इस कथा के जागरण को संपूर्ण नहीं माना जाता है| कथा इस प्रकार है महाराजा दक्ष की दो पुत्रियां तारा देवी और रुक्मण भगवती दुर्गा देवी…

कोकिला व्रत कथा

|| कोकिला व्रत कथा || कोकिला व्रत से जुड़ी कथा का संबंध भगवान शिव एवं माता सती से जुड़ा है। माता सती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए लम्बे समय तक कठोर तपस्या को करके उन्हें पाया था। कोकिला व्रत कथा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। इस कथा के अनुसार देवी…

मंगळागौरीची कहाणी कथा

॥ मंगळागौरीची कहाणी कथा ॥ एक नगर होतं. तिथं एक वाणी होता. त्याला काही मुलगा नव्हता. त्याच्या घरी एक गोसावी येई, अल्लख म्हणून पुकारा करी. वाण्याची बायको भिक्षा आणी. निपुत्रिकाच्या हातची भिक्षा घेत नाही म्हणून चालता होई. ही गोष्ट तिनं नवर्‍याला सांगितली. त्यानं तिला एक युक्ति सांगि‍तली. दाराच्या आड लपून बस. अल्लख म्हणताच सुवर्णाची भिक्षा…

नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा

|| नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा || पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन में मारा जा सके, न रात में, न जमींन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस वरदान के नशे में…

अक्षय तृतीया श्रीकृष्ण का मुंडन कथा

|| अक्षय तृतीया श्रीकृष्ण का मुंडन कथा || प्राचीन काल में व्रज के लोगों का मुख्य व्यवसाय गौ-चारण ही था इसलिए मुख्य व्यवसाय से सम्बंधित कुछ वर्जनाएं भी थी। अब इसे वर्जनाएं कहें या सामाजिक नियम बालक का जब तक मुंडन नहीं हो जाता तब तक उसे जंगल में गाय चराने नहीं जाने दिया जाता…

कालयवन वध कथा

|| कालयवन वध कथा || कालयवन वध की कथा का वर्णन विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईसवें अध्याय मे किया गया है। कालयवन ऋषि शेशिरायण का पुत्र था। गर्ग गोत्र के ऋषि शेशिरायण त्रिगत राज्य के कुलगुरु थे। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और एक अजेय पुत्र के लिए वार माँगा। भगवान शिव…

आशा दशमी पौराणिक व्रत कथा

|| आशा दशमी पौराणिक व्रत कथा || आशा दशमी की पौराणिक व्रत कथा, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी, इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में निषध देश में एक राजा राज्य करते थे, जिनका नाम नल था। उनके भाई पुष्कर ने युद्ध में जब उन्हें पराजित कर दिया, तब नल अपनी भार्या…

श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || यदु वंशी श्रीकृष्ण दुर्वासा ऋषि को अपना कुलगुरु मानते थे। जब श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह हुआ तो वे अशीर्वाद प्राप्ति के लिए दुर्वासा ऋषि से मिलने के लिए उनके आश्रम पधारे, जो द्वारका से दूरी पर स्थित था। श्री कृष्ण ने ऋषि दुर्वासा को महल आने…

मंगलवार व्रत कथा पूजा विधि

|| मंगलवार व्रत कथा || प्राचीन काल में एक नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत दुखी रहते थे। ब्राह्मण प्रतिदिन की तरह इस बार भी वन में पूजा करने गए। पूजा के उपरांत उन्होंने हनुमान जी से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। उधर, उनकी पत्नी भी…

गुप्त नवरात्रि व्रत (माघ नवरात्रि) कथा एवं पूजा विधि

|| गुप्त नवरात्रि (माघ नवरात्रि) पूजा विधि || गुप्त नवरात्रि में माँ काली और भगवान महादेव की विशेष पूजा की जाती है। प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात् शुद्ध स्थान पर कलश की स्थापना करें। कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलायची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें। आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को…

सीता अवतरण पौराणिक कथा

|| सीता अवतरण पौराणिक कथा || पौराणिक कथा के अनुसार मारवाड़ क्षेत्र में एक वेदवादी श्रेष्ठ धर्मधुरीण ब्राह्मण निवास करते थे। उनका नाम देवदत्त था। उन ब्राह्मण की बड़ी सुंदर रूपगर्विता पत्नी थी, उसका नाम शोभना था। ब्राह्मण देवता जीविका के लिए अपने ग्राम से अन्य किसी ग्राम में भिक्षाटन के लिए गए हुए थे।…

माघ अमावस्या व्रत कथा

|| माघ अमावस्या व्रत कथा || कांचीपुरी में एक ब्राह्मण देवस्वामी अपनी पत्नी धनवती, सात बेटों और बेटी गुणवती के साथ रहते थे। देवस्वामी के सातों बेटों की शादी हो चुकी थी, लेकिन गुणवती अब भी अविवाहित थी। उसने अपने बड़े बेटे को गुणवती के लिए वर खोजने का कार्य सौंपा। एक दिन एक पंडित…

षटतिला एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ षटतिला एकादशी व्रत पूजा विधि ॥ षटतिला एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन तिल का प्रयोग 6 तरीकों से किया जाता है। तिल स्नान, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का तर्पण, तिल का भोग और तिल का दान। पूजा के लिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में…

मेरु त्रयोदशी व्रत की कथा

|| मेरु त्रयोदशी व्रत की कथा || मेरु त्रयोदशी जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो पिंगल कुमार की याद में मनाया जाता है। यह पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आता है। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को निर्वाण भी प्राप्त हुआ था। जैन धर्म के प्राचीन…

बसंत पंचमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| बसंत पंचमी पूजा विधि || बसंत पंचमी के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ पीले या सफेद रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद माता सरस्वती की पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश, जो प्रथम पूज्य हैं, की पूजा…

भक्त श्रीधर की कथा

|| भक्त श्रीधर की कथा || माता से जुड़ी एक पौराणिक कथा काफी प्रसिद्ध है जो माता के एक भक्त श्रीधर से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार वर्तमान कटरा क़स्बे से 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित हंसाली गांव में मां वैष्णवी के परम भक्त श्रीधर रहते थे, जो कि नि:संतान थे। संतान ना होने का…

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