॥ श्रीब्रह्मकवचम् पाठ ॥
ॐ श्रीब्रह्मणे नमः ।
कवचं शृणु चार्वङ्गि जगन्मङ्गलनामकम् ।
पठनाद्धारणाद्यस्य ब्रह्मज्ञो जायते ध्रुवम् ॥
परमात्मा शिरः पातु हृदयं परमेश्वरः ।
कण्ठं पातु जगत्त्राता वदनं सर्वदृग्विभुः ॥
करौ मे पातु विश्वात्मा पादौ रक्षतु चिन्मयः ।
सर्वाङ्गं सर्वदा पातु परब्रह्म सनातनम् ॥
श्रीजगन्मङ्गलस्यास्य कवचस्य सदाशिवः ।
ऋषिश्छन्दोऽनुष्टुबिति परब्रह्म च देवता ॥
चतुर्वर्गफलावाप्त्यै विनियोगः प्रकीर्तितः ।
यः पठेद्ब्रह्मकवचं ऋषिन्यासपुरःसरम् ॥
स ब्रह्मज्ञानमासाद्य साक्षाद्ब्रह्ममयो भवेत् ।
भूर्जे विलिख्य गुटिकां स्वर्णस्थां धारायेद्यदि ॥
कण्ठे वा दक्षिणे बाहौ सर्वसिद्धीश्वरो भवेत् ।
इत्येतत् परमं ब्रह्मकवचं ते प्रकाशितम् ॥
दद्यात् प्रियाय शिष्याय गुरुभक्ताय धीमते ।
पठित्वा स्तोत्रकवचं प्रणमेत्साधकाग्रणीः ॥
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्म नमस्ते परमात्मने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सद्रूपाय नमो नमः ॥
॥ इति श्रीब्रह्मकवचं सम्पूर्णम् ॥
|| श्री ब्रह्म कवचम् पाठ के लाभ ||
श्री ब्रह्म कवचम् एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान ब्रह्माजी की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए पढ़ा जाता है। इस कवच का पाठ करने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
- इसका नित्य पाठ करने से मन को शांति मिलती है, तनाव कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भगवान ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। अतः इस कवच का नियमित पाठ करने से स्मरण शक्ति, एकाग्रता और विद्या में वृद्धि होती है।
- यह कवच व्यक्ति को बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, नकारात्मक ऊर्जाओं और अज्ञात भय से सुरक्षा प्रदान करता है।
- यदि किसी कार्य में बार-बार बाधाएँ आ रही हों या सफलता नहीं मिल रही हो, तो श्री ब्रह्म कवचम् का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- इस स्तोत्र के नियमित जाप से साधक की आध्यात्मिक यात्रा सुगम होती है और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- अगर घर में वास्तु दोष, पितृ दोष या अन्य कोई समस्या हो, तो इस कवच का पाठ करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- श्री ब्रह्म कवचम् के नियमित पाठ से शरीर स्वस्थ रहता है, रोगों से बचाव होता है और आयु वृद्धि होती है।
Found a Mistake or Error? Report it Now
