Bhairava

काल भैरव चालीसा

Kaal Bhairav Chalisa Hindi Lyrics

BhairavaChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

श्री काल भैरव चालीसा भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित एक शक्तिशाली भक्ति पाठ है। यह चालीसा भक्तों को भय, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से मुक्ति दिलाती है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है, और उनकी पूजा से सभी संकट और बाधाएँ दूर होती हैं। चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है, स्वास्थ्य बेहतर होता है और आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। यह पाठ भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है।

|| काल भैरव चालीसा (Kaal Bhairav Chalisa PDF) ||

|| दोहा ||

श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥

|| चौपाई ||

जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी ।
जयति काल भैरव बलकारी ॥

जयति सर्व भैरव विख्याता ।
जयति नाथ भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥

भैरव रव सुन है भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥

जटाजूट सिर चन्द्र विराजत ।
बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥

जीवन दान दास को दीन्हो ।
कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥

बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥

त्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाई काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय ।
बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥

महाभीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥

निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥

करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥

देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥

श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो ।
सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥

सुन्दरदास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥
|| दोहा ||

जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥

|| इति श्री भैरव चालीसा समाप्त ||

|| श्री काल भैरव चालीसा पूजा विधि ||

श्री काल भैरव चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। इन नियमों का पालन करने से पूजा का फल अधिक मिलता है:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़-सुथरे कपड़े पहनें।
  • पूजा के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • उन्हें गुड़, सरसों का तेल, सिंदूर, नारियल और उड़द दाल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएँ।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और धूप, अगरबत्ती का इस्तेमाल करें।
  • अब श्रद्धा और भक्ति भाव से श्री काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के बाद अपनी मनोकामना भगवान के सामने रखें और उनसे आशीर्वाद माँगें।

|| श्री काल भैरव चालीसा पाठ के लाभ ||

श्री काल भैरव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को कई तरह के लाभ मिलते हैं। यह चालीसा भगवान काल भैरव की महिमा और शक्ति का बखान करती है और उनके भक्तों के लिए कल्याणकारी है।

  • जो भक्त सच्चे मन से यह चालीसा पढ़ते हैं, भगवान काल भैरव उनके सभी शत्रुओं को पराजित करते हैं और भय से मुक्ति दिलाते हैं।
  • चालीसा के नियमित पाठ से गंभीर बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • यह चालीसा नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा से रक्षा करती है।
  • जीवन की सभी बाधाएँ, मुश्किलें और परेशानियाँ दूर होती हैं।
  • पाठ से धन-संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Read in More Languages:

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download काल भैरव चालीसा PDF

काल भैरव चालीसा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App