Shri Vishnu

कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि

Kurma Dwadashi Vrat Katha Puja Vidhi

Shri VishnuVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

|| कूर्म द्वादशी पौराणिक कथा ||

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने अहंकार में आकर दुर्वासा ऋषि द्वारा दी गई बहुमूल्य माला का अपमान कर दिया। इससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया कि वे अपनी सारी शक्तियां और बल खो देंगे। इस श्राप का प्रभाव समस्त देवताओं पर पड़ा, और सभी देवता शक्तिहीन हो गए।

इस स्थिति का लाभ उठाकर दैत्यराज बलि ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। इसके बाद, तीनों लोकों में दैत्यराज बलि का शासन हो गया।

सभी देवता परेशान होकर भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र मंथन कर अमृत प्राप्त करने का उपाय बताया, जिससे उनकी शक्तियां पुनः प्राप्त हो सकें।

परंतु देवताओं के लिए यह कार्य कठिन था क्योंकि वे शक्तिहीन थे। भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया कि असुरों को समुद्र मंथन में सहयोग करने के लिए मनाएं। देवताओं ने ऐसा ही किया।

असुरों ने पहले मना कर दिया, लेकिन अमृत के लोभ में अंततः वे मान गए। समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया। लेकिन मंथन शुरू होते ही मंदराचल पर्वत समुद्र में धंसने लगा।

तब भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार लिया और पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया। भगवान विष्णु के इस कूर्म अवतार की सहायता से समुद्र मंथन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और देवताओं को अमृत की प्राप्ति हुई।

पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान विष्णु के इसी कूर्म अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। इसे करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

|| कूर्म द्वादशी पूजा विधि ||

  • कूर्म द्वादशी का व्रत दशमी तिथि से ही आरंभ होता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और पूरे दिन सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए।
  • दूसरे दिन, एकादशी को निराहार रहकर व्रत किया जाता है।
  • द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
  • इस पूजा में भगवान विष्णु को चंदन, ताजे फल-फूल और मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है।
  • पूजा करते समय भगवान विष्णु के लिए समर्पित मंत्र “ॐ नमो नारायण” का उच्चारण करते हुए उनकी आरती की जाती है।
  • आरती के पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए घर में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

Read in More Languages:

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि PDF

Download कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि PDF

कूर्म द्वादशी की पौराणिक कथा और पूजा विधि PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App