मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ और श्रवण व्रती के जीवन में विशेष फलदायक होता है।
इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को धन, यश, और संतान सुख प्राप्त होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए शुभ माना गया है जो संतान की प्राप्ति की कामना करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
|| मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा ||
द्वापर युग में जब पृथ्वी पर पाप और अत्याचार बढ़ने लगे, तब वह गाय का रूप धारण कर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पास पहुंची। पृथ्वी ने अपनी व्यथा सुनाई, जिसे सुनकर ब्रह्मा जी और अन्य देवता अत्यंत चिंतित हो गए। उन्होंने विचार किया कि इस समस्या का समाधान भगवान विष्णु ही कर सकते हैं। तब सभी देवता, ब्रह्मा जी और पृथ्वी को साथ लेकर शेषशायी विष्णु के पास पहुंचे।
शेषशैया पर लेटे हुए भगवान विष्णु की स्तुति की गई। देवताओं की प्रार्थना सुनकर विष्णु जी की निद्रा भंग हुई। उन्होंने देवताओं से उनके आने का कारण पूछा। तब पृथ्वी ने कहा, “हे प्रभु! मेरे ऊपर पाप और अत्याचार की अति हो गई है। कृपया इसका निवारण कीजिए।”
भगवान विष्णु ने उत्तर दिया, “मैं ब्रजभूमि में कंस की बहन देवकी के गर्भ से अवतार लूंगा। तुम सभी देवता ब्रज में विभिन्न कुलों में जन्म लो।” इतना कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए। देवताओं ने उनकी आज्ञा का पालन किया और ब्रज में यादव कुल में नंद-यशोदा और गोपियों के रूप में जन्म लिया।
कुछ समय बाद वासुदेव अपनी पत्नी देवकी और साले कंस के साथ यात्रा कर रहे थे। तभी आकाशवाणी हुई, “कंस, जिस बहन को तू साथ लिए जा रहा है, उसका आठवां पुत्र तेरे मृत्यु का कारण बनेगा।” यह सुनकर कंस क्रोधित हो गया और देवकी को मारने के लिए तलवार निकाल ली।
वासुदेव ने कंस से प्रार्थना की, “यह स्त्री निर्दोष है। इसे मारना उचित नहीं। मैं वचन देता हूं कि इसके हर संतान को तुम्हें सौंप दूंगा।” कंस ने यह बात मान ली और दोनों को कारागार में कैद कर दिया।
जैसे-जैसे देवकी के पुत्र जन्म लेते गए, वासुदेव ने उन्हें कंस को सौंप दिया, और पापी कंस ने सभी का वध कर दिया। सात पुत्रों को मारने के बाद, जब देवकी का आठवां पुत्र होने वाला था, कंस ने कारागार की सुरक्षा और कड़ी कर दी।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात भगवान विष्णु ने बालक के रूप में जन्म लिया। उन्होंने वासुदेव को आदेश दिया कि वे उन्हें गोकुल ले जाएं और वहां यशोदा की कन्या को लाकर कंस को सौंप दें। वासुदेव ने बालक कृष्ण को टोकरी में रखा। कारागार के दरवाजे अपने आप खुल गए और पहरेदार सो गए। वासुदेव यमुना पार कर गोकुल पहुंचे।
वहां उन्होंने सोई हुई यशोदा के पास बालक को सुला दिया और उनकी कन्या को लेकर वापस कारागार आ गए। कारागार के दरवाजे फिर से बंद हो गए। सिपाहियों ने कन्या के जन्म की सूचना कंस को दी। कंस ने कन्या को पत्थर पर पटकने का प्रयास किया, लेकिन वह आकाश में उड़ गई और देवी के रूप में प्रकट होकर बोली, “कंस, तुझे मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है।”
इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने धरती पर अवतार लिया। बड़े होकर उन्होंने बकासुर और कंस जैसे राक्षसों का वध किया और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्त्व
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
- भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
- व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि
- प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को पंचामृत से स्नान कराएं और नवीन वस्त्र पहनाएं।
- श्रीकृष्ण की आरती करें और माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ करें।
- दिनभर उपवास रखें और अगले दिन पारण करें।
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