|| मेष संक्रांति व्रत कथा ||
एक समय की बात है, एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण था। वह बहुत ही धार्मिक और ईश्वर भक्त था। वह हर साल मेष संक्रान्ति के दिन व्रत रखता था और भगवान सूर्य की पूजा करता था।
एक बार, मेष संक्रान्ति के दिन, ब्राह्मण ने व्रत रखा और भगवान सूर्य की पूजा की। उसने भगवान से प्रार्थना की कि वह उसे गरीबी से मुक्ति दिलाएं। भगवान सूर्य उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे दर्शन दिए।
भगवान सूर्य ने ब्राह्मण से कहा, “हे ब्राह्मण, मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम जो भी वरदान मांगोगे, मैं तुम्हें दूंगा।”
ब्राह्मण ने भगवान सूर्य से कहा, “हे भगवान, मैं बहुत गरीब हूँ। मुझे धन और समृद्धि प्रदान करें।”
भगवान सूर्य ने ब्राह्मण को धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण बहुत खुश हुआ और उसने भगवान सूर्य का धन्यवाद किया।
उस दिन के बाद, ब्राह्मण कभी गरीब नहीं रहा। वह हमेशा धन और समृद्धि से परिपूर्ण रहा।
इसलिए, जो भी व्यक्ति मेष संक्रान्ति के दिन व्रत रखता है और भगवान सूर्य की पूजा करता है, उसे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह कथा हमें सिखाती है कि हमें हमेशा ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए और हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। यदि हम सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करते हैं, तो वह हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
Found a Mistake or Error? Report it Now