प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर आता है और हर महीने दो बार मनाया जाता है – एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और उनके पूरे परिवार का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। इस दिन शनि देव की भी पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है, जबकि अन्य प्रदोष व्रत सुख, समृद्धि, धन-धान्य, पुण्य और आरोग्य प्रदान करने वाला माना जाता है।
माना जाता है कि यह व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव के साथ-साथ चंद्रदेव से भी है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था। श्राप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था, तब उन्होंने हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना शुरू किया, जिसके शुभ प्रभाव से उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली।
एक वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं, हर महीने में दो बार – एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस दिन भगवान शंकर और उनके परिवार की पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत कैलेंडर 2025
दिनांक | प्रदोष व्रत | समय |
---|---|---|
जनवरी 11, 2025, शनिवार | भौम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 08:21 ए एम, जनवरी 11
समाप्त – 06:33 ए एम, जनवरी 12 |
जनवरी 27, 2025, सोमवार | भौम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 08:54 पी एम, जनवरी 26
समाप्त – 08:34 पी एम, जनवरी 27 |
फरवरी 9, 2025, रविवार | बुध प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 07:25 पी एम, फरवरी 09
समाप्त – 06:57 पी एम, फरवरी 10 |
फरवरी 25, 2025, मंगलवार | बुध प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 12:47 पी एम, फरवरी 25
समाप्त – 11:08 ए एम, फरवरी 26 |
मार्च 11, 2025, मंगलवार | शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 08:13 ए एम, मार्च 11
समाप्त – 09:11 ए एम, मार्च 12 |
मार्च 27, 2025, बृहस्पतिवार | शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 01:42 ए एम, मार्च 27
समाप्त – 11:03 पी एम, मार्च 27 |
अप्रैल 10, 2025, बृहस्पतिवार | शनि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 10:55 पी एम, अप्रैल 09
समाप्त – 01:00 ए एम, अप्रैल 11 |
अप्रैल 25, 2025, शुक्रवार | रवि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 11:44 ए एम, अप्रैल 25
समाप्त – 08:27 ए एम, अप्रैल 26 |
मई 9, 2025, शुक्रवार | रवि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 02:56 पी एम, मई 09
समाप्त – 05:29 पी एम, मई 10 |
मई 24, 2025, शनिवार | सोम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 07:20 पी एम, मई 24
समाप्त – 03:51 पी एम, मई 25 |
जून 8, 2025, रविवार | भौम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 07:17 ए एम, जून 08
समाप्त – 09:35 ए एम, जून 09 |
जून 23, 2025, सोमवार | बुध प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 01:21 ए एम, जून 23
समाप्त – 10:09 पी एम, जून 23 |
जुलाई 8, 2025, मंगलवार | बुध प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 11:10 पी एम, जुलाई 07
समाप्त – 12:38 ए एम, जुलाई 09 |
जुलाई 22, 2025, मंगलवार | शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 07:05 ए एम, जुलाई 22
समाप्त – 04:39 ए एम, जुलाई 23 |
अगस्त 6, 2025, बुधवार | गुरु प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 02:08 पी एम, अगस्त 06
समाप्त – 02:27 पी एम, अगस्त 07 |
अगस्त 20, 2025, बुधवार | शनि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 01:58 पी एम, अगस्त 20
समाप्त – 12:44 पी एम, अगस्त 21 |
सितम्बर 5, 2025, शुक्रवार | शनि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 04:08 ए एम, सितम्बर 05
समाप्त – 03:12 ए एम, सितम्बर 06 |
सितम्बर 19, 2025, शुक्रवार | रवि प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 11:24 पी एम, सितम्बर 18
समाप्त – 11:36 पी एम, सितम्बर 19 |
अक्टूबर 4, 2025, शनिवार | सोम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 05:09 पी एम, अक्टूबर 04
समाप्त – 03:03 पी एम, अक्टूबर 05 |
अक्टूबर 18, 2025, शनिवार | भौम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 12:18 पी एम, अक्टूबर 18
समाप्त – 01:51 पी एम, अक्टूबर 19 |
नवम्बर 3, 2025, सोमवार | भौम प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 05:07 ए एम, नवम्बर 03
समाप्त – 02:05 ए एम, नवम्बर 04 |
नवम्बर 17, 2025, सोमवार | बुध प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 04:47 ए एम, नवम्बर 17
समाप्त – 07:12 ए एम, नवम्बर 18 |
दिसम्बर 2, 2025, मंगलवार | गुरु प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 03:57 पी एम, दिसम्बर 02
समाप्त – 12:25 पी एम, दिसम्बर 03 |
दिसम्बर 17, 2025, बुधवार | शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारम्भ – 11:57 पी एम, दिसम्बर 16
समाप्त – 02:32 ए एम, दिसम्बर 18 |
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव का अभिषेक करें और उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं।
- व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं।
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी गोधूली बेला में करना उचित माना गया है।
- प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए।
- इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
- इस दिन शिव चालीसा पढ़ना भी उत्तम माना गया है।
- विधि-विधान से पूजा करने के बाद शिव आरती करें और प्रसाद सभी में बांटकर खुद भी ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत रखने के लाभ
- रविवार को प्रदोष व्रत रखने से आयु में वृद्धि होती है।
- सोमवार को प्रदोष व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- बुधवार को प्रदोष व्रत रखने से इच्छाएं पूरी होती हैं।
- बृहस्पतिवार को प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है।
- शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
- शनिवार को प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
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