नवरात्रि का पांचवां दिन, जब प्रकृति में एक नया उल्लास छा जाता है, और भक्त देवी सरस्वती के आगमन की तैयारी करते हैं। इस विशेष दिन को ‘सरस्वती आवाहन’ के नाम से जाना जाता है। 2025 में, यह शुभ पर्व 28 सितंबर को मनाया जाएगा, और इस दिन ज्ञान, कला, और विद्या की देवी को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है।
यह ब्लॉग आपको सरस्वती आवाहन की पूरी विधि, उसके पीछे के नियमों, और इससे होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से बताएगा। यह जानकारी न केवल आपकी पूजा को सही दिशा देगी, बल्कि देवी के आशीर्वाद को पाने में भी आपकी मदद करेगी।
सरस्वती आवाहन 2025 का शुभ मुहूर्त
सरस्वती आवाहन का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर 2025 को सुबह 06:12 बजे से शुरू होगा और 29 सितंबर 2025 को सुबह 06:11 बजे तक रहेगा। यह समय देवी को आमंत्रित करने और उनकी पूजा करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
सरस्वती आवाहन की संपूर्ण विधि
सरस्वती आवाहन का दिन पूजा की शुरुआत करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इसलिए, इस दिन पूजा को पूरी श्रद्धा और सही विधि के साथ करना चाहिए।
- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें। गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से पूजा स्थल का छिड़काव करें। अपने मन को शांत और शुद्ध रखें।
- एक मिट्टी या धातु के कलश को स्थापित करें। कलश में पानी भरें और उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश के ऊपर एक लाल या पीले रंग का कपड़ा रखें। कलश के पास चावल की एक छोटी ढेरी बनाएं और उस पर देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- अपनी आँखें बंद करें और देवी सरस्वती का ध्यान करें। “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें। देवी को अपनी पूजा में आने के लिए आमंत्रित करें। “या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता” इस श्लोक का पाठ करें।
- देवी सरस्वती को स्नान कराएं। उन्हें नए वस्त्र (श्वेत या पीत) पहनाएं। उन्हें पीले फूल, चंदन, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें। उनकी मूर्ति या तस्वीर पर हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं। उन्हें फल, मिठाई, और विशेष रूप से खीर का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ होता है: “ॐ वागीश्वर्यै विद्महे वाग्वादीन्यै धीमहि तन्नो सरस्वती प्रचोदयात्।”, “सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।” मंत्रों का जाप करते समय, अपने मन में देवी से विद्या और ज्ञान की कामना करें।
- पूजा के अंत में, देवी सरस्वती की आरती करें। अपनी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें और देवी से आशीर्वाद मांगें। प्रसाद को सभी लोगों में वितरित करें।
सरस्वती आवाहन के नियम
- पूजा के दौरान शांत और सकारात्मक रहें। किसी भी प्रकार का विवाद या नकारात्मक विचार मन में न लाएं।
- पूजा के दौरान और उससे पहले, सात्विक भोजन करें। प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- देवी को श्वेत या पीले रंग के फूल, वस्त्र और भोग अर्पित करें। खुद भी सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनें।
- पूजा को पूरे ध्यान और श्रद्धा से करें। मंत्रों का सही उच्चारण करें।
सरस्वती आवाहन के लाभ
सरस्वती आवाहन का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके कई लाभ भी हैं:
- देवी सरस्वती की पूजा से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। छात्रों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इससे उनकी पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है।
- जो लोग कला, संगीत, या लेखन के क्षेत्र में हैं, उन्हें देवी सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है। उनकी रचनात्मकता और कलात्मक क्षमताओं में सुधार होता है।
- देवी सरस्वती को वाणी की देवी भी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से वाणी में मधुरता आती है और व्यक्ति की बोलने की क्षमता में सुधार होता है।
- यह पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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