|| हरि कारुण्य स्तोत्र ||
या त्वरा जलसञ्चारे या त्वरा वेदरक्षणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा मन्दरोद्धारे या त्वराऽमृतरक्षणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा क्रोडवेषस्य विधृतौ भूसमृद्धृतौ।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा चान्द्रमालाया धारणे पोथरक्षणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा वटुवेषस्य धारणे बलिबन्धने।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा क्षत्रदलने या त्वरा मातृरक्षणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा कपिराजस्य पोषणे सेतुबन्धने।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा रक्षहनने या त्वरा भ्रातृरक्षणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा गोपकन्यानां रक्षणे कंसवारणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा भैष्मिहरणे या त्वरा रुक्मिबन्धने।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा बौद्धसिद्धान्तकथने बौद्धमोहने।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
या त्वरा तुरगारोहे या त्वरा म्लेच्छवारणे।
मय्यार्त्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।
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