बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || एक समय राक्षसराज रावण कैलास पर्वत पर भक्तिभावपूर्वक भगवान शिव की आराधना कर रहा था। बहुत दिनों तक आराधना करने के बाद भी जब भगवान शिव उस पर प्रसन्न नहीं हुए, तब वह दूसरी विधि से तप-साधना करने लगा। उसने हिमालय पर्वत से दक्षिण की ओर सघन वृक्षों…

विघ्नराज स्तोत्र

|| विघ्नराज स्तोत्र || कपिल उवाच – नमस्ते विघ्नराजाय भक्तानां विघ्नहारिणे। अभक्तानां विशेषेण विघ्नकर्त्रे नमो नमः।। आकाशाय च भूतानां मनसे चामरेषु ते। बुद्ध्यैरिन्द्रियवर्गेषु विविधाय नमो नमः।। देहानां बिन्दुरूपाय मोहरूपाय देहिनाम्। तयोरभेदभावेषु बोधाय ते नमो नमः।। साङ्ख्याय वै विदेहानां संयोगानां निजात्मने। चतुर्णां पञ्चमायैव सर्वत्र ते नमो नमः।। नामरूपात्मकानां वै शक्तिरूपाय ते नमः। आत्मनां रवये तुभ्यं हेरम्बाय…

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || शिव पुराण के अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना से सम्बंधित कथा इस प्रकार है: प्रजापति दक्ष ने अपनी सभी सत्ताइस पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया, जिससे वे बहुत प्रसन्न हुए। चन्द्रमा को पत्नी के रूप में दक्ष…

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त अनेक हिरण्यगर्भ शिवलिंग हैं, जिनका बड़ा अद्भुत महातम्य है। इनमें से कई शिवलिंग चमत्कारी हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं तथा सिद्धपीठों में स्थापित हैं। इन्हीं सिद्धपीठों में से एक है श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर, जहां स्वयंभू हिरण्यगर्भ दूधेश्वर…

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में भीम नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र था, परंतु उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृत्यु के बाद हुआ था। उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम…

ऋणहर गणेश स्तोत्र

|| ऋणहर गणेश स्तोत्र || ॐ सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्। ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्।। सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। हिरण्यकश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु…

अन्नपूर्णा माता व्रत कथा

|| अन्नपूर्णा माता व्रत कथा || एक समय की बात है, काशी निवासी धनंजय की पत्नी सुलक्षणा थी। उसे सभी सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का एकमात्र कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता रहता था। एक दिन सुलक्षणा ने अपने पति से कहा, “स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम…

आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने पूछा, “हे पुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को गणेश जी की पूजा कैसे करनी चाहिए? आषाढ़ मास के गणपति देवता का क्या नाम है? उनके पूजन का क्या विधान है? कृपया आप मुझे बताइए।” गणेश जी ने कहा, “आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन कृष्णपिङ्गल नामक…

ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || सतयुग में एक पृथु नामक राजा हुए जिन्होंने सौ यज्ञ किए। उनके राज्य में दयादेव नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, जिनके चार पुत्र थे। पिता ने वैदिक विधि से अपने पुत्रों का विवाह कर दिया। उन चार बहुओं में सबसे बड़ी बहू अपनी सास से कहने…

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकटा चतुर्थी का पूजन किस गणेश का और किस विधि से करना चाहिए, और उस दिन क्या भोजन करना चाहिए? गणेश जी ने उत्तर दिया – हे माता! वैशाख कृष्ण चतुर्थी के…

विघ्नेश अष्टक स्तोत्र

|| विघ्नेश अष्टक स्तोत्र || विघ्नेश्वरं चतुर्बाहुं देवपूज्यं परात्परम्| गणेशं त्वां प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| लम्बोदरं गजेशानं विशालाक्षं सनातनम्| एकदन्तं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| आखुवाहनमव्यक्तं सर्वशास्त्रविशारदम्| वरप्रदं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| अभयं वरदं दोर्भ्यां दधानं मोदकप्रियम्| शैलजाजं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| भक्तितुष्टं जगन्नाथं ध्यातृमोक्षप्रदं द्विपम्| शिवसूनुं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः|…

गजमुख स्तुति

|| गजमुख स्तुति || विचक्षणमपि द्विषां भयकरं विभुं शङ्करं विनीतमजमव्ययं विधिमधीतशास्त्राशयम्। विभावसुमकिङ्करं जगदधीशमाशाम्बरं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। अनुत्तममनामयं प्रथितसर्वदेवाश्रयं विविक्तमजमक्षरं कलिनिबर्हणं कीर्तिदम्। विराट्पुरुषमक्षयं गुणनिधिं मृडानीसुतं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। अलौकिकवरप्रदं परकृपं जनैः सेवितं हिमाद्रितनयापतिप्रियसुरोत्तमं पावनम्। सदैव सुखवर्धकं सकलदुःखसन्तारकं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। कलानिधिमनत्ययं मुनिगतायनं सत्तमं शिवं श्रुतिरसं सदा श्रवणकीर्तनात्सौख्यदम्। सनातनमजल्पनं सितसुधांशुभालं भृशं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। गणाधिपतिसंस्तुतिं निरपरां पठेद्यः…

गणाधिप पंचरत्न स्तोत्र

|| गणाधिप पंचरत्न स्तोत्र || अशेषकर्मसाक्षिणं महागणेशमीश्वरं सुरूपमादिसेवितं त्रिलोकसृष्टिकारणम्। गजासुरस्य वैरिणं परापवर्गसाधनं गुणेश्वरं गणञ्जयं नमाम्यहं गणाधिपम्। यशोवितानमक्षरं पतङ्गकान्तिमक्षयं सुसिद्धिदं सुरेश्वरं मनोहरं हृदिस्थितम्। मनोमयं महेश्वरं निधिप्रियं वरप्रदं गणप्रियं गणेश्वरं नमाम्यहं गणाधिपम्। नतेश्वरं नरेश्वरं नृतीश्वरं नृपेश्वरं तपस्विनं घटोदरं दयान्वितं सुधीश्वरम्। बृहद्भुजं बलप्रदं समस्तपापनाशनं गजाननं गुणप्रभुं नमाम्यहं गणाधिपम्। उमासुतं दिगम्बरं निरामयं जगन्मयं निरङ्कुशं वशीकरं पवित्ररूपमादिमम्। प्रमोददं महोत्कटं विनायकं…

Agni Puran (अग्नि पुराण)

Agni Puran (अग्नि पुराण)

अग्नि पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। इसे वैदिक साहित्य के हिस्से के रूप में माना जाता है और यह अग्निदेव के नाम पर आधारित है। यह पुराण कई धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। अग्नि पुराण का पाठ हर हिंदू के लिए अत्यंत…

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

|| श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा || दारूका एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर अहंकार में डूबी रहती थी। उसका पति दरुका महान बलशाली राक्षस था। उसने अनेक राक्षसों को अपने साथ मिलाकर समाज में आतंक फैला रखा था। वह यज्ञ और शुभ कर्मों को नष्ट करता और संत-महात्माओं…

गणपति पंचक स्तोत्र

|| गणपति पंचक स्तोत्र || गणेशमजरामरं प्रखरतीक्ष्णदंष्ट्रं सुरं बृहत्तनुमनामयं विविधलोकराजं परम्। शिवस्य सुतसत्तमं विकटवक्रतुण्डं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। कुमारगुरुमन्नदं ननु कृपासुवर्षाम्बुदं विनायकमकल्मषं सुरजनाऽऽनताङ्घ्रिद्वयम्। सुरप्रमदकारणं बुधवरं च भीमं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। गणाधिपतिमव्ययं स्मितमुखं जयन्तं वरं विचित्रसुममालिनं जलधराभनादं प्रियम्। महोत्कटमभीप्रदं सुमुखमेकदन्तं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। जगत्त्रितयसम्मतं भुवनभूतपं सर्वदं सरोजकुसुमासनं विनतभक्तमुक्तिप्रदम्। विभावसुसमप्रभं विमलवक्रतुण्डं भृशं…

ऋण मोचन गणेश स्तुति

|| ऋण मोचन गणेश स्तुति || रक्ताङ्गं रक्तवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं रक्तगन्धैः क्षीराब्धौ रत्नपीठे सुरतरुविमले रत्नसिंहासनस्थम्। दोर्भिः पाशाङ्कुशेष्टा- भयधरमतुलं चन्द्रमौलिं त्रिणेत्रं ध्याये्छान्त्यर्थमीशं गणपतिममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्। स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्। षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये। एकाक्षरं ह्येकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च नमामि ऋणमुक्तये। महागणपतिं देवं महासत्त्वं महाबलम्। महाविघ्नहरं शम्भोर्नमामि ऋणमुक्तये। कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्। कृष्णसर्पोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये। रक्ताम्बरं…

पंचश्लोकी गणेश पुराण

|| पंचश्लोकी गणेश पुराण || श्रीविघ्नेशपुराणसारमुदितं व्यासाय धात्रा पुरा तत्खण्डं प्रथमं महागणपतेश्चोपासनाख्यं यथा। संहर्तुं त्रिपुरं शिवेन गणपस्यादौ कृतं पूजनं कर्तुं सृष्टिमिमां स्तुतः स विधिना व्यासेन बुद्ध्याप्तये। सङ्कष्ट्याश्च विनायकस्य च मनोः स्थानस्य तीर्थस्य वै दूर्वाणां महिमेति भक्तिचरितं तत्पार्थिवस्यार्चनम्। तेभ्यो यैर्यदभीप्सितं गणपतिस्तत्तत्प्रतुष्टो ददौ ताः सर्वा न समर्थ एव कथितुं ब्रह्मा कुतो मानवः। क्रीडाकाण्डमथो वदे कृतयुगे श्वेतच्छविः काश्यपः…

गोपेश्वर महादेव की लीला कथा

|| गोपेश्वर महादेव की कथा || एक बार शरद पूर्णिमा की उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर मन्मथनाथ की वंशी बज उठी। श्रीकृष्ण ने छ: मास की एक रात बनाकर मन्मथ का मानमर्दन करने के लिए महारास किया था। जब महारास की गूंज सारी त्रिलोकी में फैल गई, तो हमारे भोले बाबा…

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्राचीन काल में सतयुग में मकरध्वज नामक एक राजा थे। वे प्रजा के पालन में बहुत प्रेमी थे। उनके राज्य में कोई निर्धन नहीं था। चारों वर्ण अपने-अपने धर्मों का पालन करते थे। प्रजा को चोर-डाकू आदि का भय नहीं था। सभी लोग स्वस्थ रहते थे। लोग…

राजा नल दमयंती कथा

|| राजा नल दमयंती कथा || महाभारत महाकाव्य में एक प्रसंग के अनुसार, नल और दमयन्ती की कथा महाराज युधिष्ठिर को सुनाई गई थी। युधिष्ठिर को जुए में सब कुछ हारने के बाद अपने भाइयों के साथ 12 वर्षों का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास सहना पड़ा। वनवास के दौरान, धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह…

गणनाथ स्तोत्र

|| गणनाथ स्तोत्र || प्रातः स्मरामि गणनाथमुखारविन्दं नेत्रत्रयं मदसुगन्धितगण्डयुग्मम्। शुण्डञ्च रत्नघटमण्डितमेकदन्तं ध्यानेन चिन्तितफलं वितरन्नमीक्ष्णम्। प्रातः स्मरामि गणनाथभुजानशेषा- नब्जादिभिर्विलसितान् लसिताङ्गदैश्च। उद्दण्डविघ्नपरिखण्डन- चण्डदण्डान् वाञ्छाधिकं प्रतिदिनं वरदानदक्षान्। प्रातः स्मरामि गणनाथविशालदेहं सिन्दूरपुञ्जपरिरञ्जित- कान्तिकान्तम्। मुक्ताफलैर्मणि- गणैर्लसितं समन्तात् श्लिष्टं मुदा दयितया किल सिद्धलक्ष्म्या। प्रातः स्तुवे गणपतिं गणराजराजं मोदप्रमोदसुमुखादि- गणैश्च जुष्टम्। शक्त्यष्टभिर्विलसितं नतलोकपालं भक्तार्तिभञ्जनपरं वरदं वरेण्यम्। प्रातः स्मरामि गणनायकनामरूपं लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तम्। सिद्धिप्रदं…

गणेश अपराध क्षमापण स्तोत्र

|| गणेश अपराध क्षमापण स्तोत्र || कृता नैव पूजा मया भक्त्यभावात् प्रभो मन्दिरं नैव दृष्टं तवैकम्| क्षमाशील कारुण्यपूर्ण प्रसीद समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त| न पाद्यं प्रदत्तं न चार्घ्यं प्रदत्तं न वा पुष्पमेकं फलं नैव दत्तम्| गजेशान शम्भोस्तनूज प्रसीद समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त| न वा मोदकं लड्डुकं पायसं वा न शुद्धोदकं तेऽर्पितं जातु भक्त्या| सुर त्वं पराशक्तिपुत्र प्रसीद समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|…

एकदंत शरणागति स्तोत्र

|| एकदंत शरणागति स्तोत्र || सदात्मरूपं सकलादि- भूतममायिनं सोऽहमचिन्त्यबोधम्। अनादिमध्यान्तविहीनमेकं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः। अनन्तचिद्रूपमयं गणेशमभेदभेदादि- विहीनमाद्यम्। हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः। समाधिसंस्थं हृदि योगिनां यं प्रकाशरूपेण विभातमेतम्। सदा निरालम्बसमाधिगम्यं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः। स्वबिम्बभावेन विलासयुक्तां प्रत्यक्षमायां विविधस्वरूपाम्। स्ववीर्यकं तत्र ददाति यो वै तमेकदन्तं शरणं व्रजामः। त्वदीयवीर्येण समर्थभूतस्वमायया संरचितं च विश्वम्। तुरीयकं ह्यात्मप्रतीतिसंज्ञं तमेकदन्तं शरणं…

मोरेश्वर स्तोत्र

|| मोरेश्वर स्तोत्र || पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुदा। मायाविनं दुर्विभाग्यं मयूरेशं नमाम्यहम्। परात्परं चिदानन्दं निर्विकारं हृदिस्थितम्। गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्। सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया। सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्। नानादैत्यनिहन्तारं नानारूपाणि बिभ्रतम्। नानायुधधरं भक्त्या मयूरेशं नमाम्यहम्। इन्द्रादिदेवतावृन्दैर- भिष्टतमहर्निशम्। सदसद्वक्तमव्यक्तं मयूरेशं नमाम्यहम्। सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम्। सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्। पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्द- परिवर्धनम्। भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।…

अगस्त 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची

August 2024 Festivals

अगस्त का महीना हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण त्योहारों और व्रतों से भरा हुआ है। इस महीने में भगवान कृष्ण का जन्मदिन, बहनों और भाइयों का प्यार का त्योहार रक्षाबंधन और नागों की पूजा का पर्व नाग पंचमी जैसे कई पर्व मनाए जाते हैं। अगस्त 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की…

वल्लभेश हृदय स्तोत्र

|| वल्लभेश हृदय स्तोत्र || श्रीदेव्युवाच – वल्लभेशस्य हृदयं कृपया ब्रूहि शङ्कर। श्रीशिव उवाच – ऋष्यादिकं मूलमन्त्रवदेव परिकीर्तितम्। ॐ विघ्नेशः पूर्वतः पातु गणनाथस्तु दक्षिणे। पश्चिमे गजवक्त्रस्तु उत्तरे विघ्ननाशनः। आग्नेय्यां पितृभक्तस्तु नैरृत्यां स्कन्दपूर्वजः। वायव्यामाखुवाहस्तु ईशान्यां देवपूजितः। ऊर्ध्वतः पातु सुमुखो ह्यधरायां गजाननः। एवं दशदिशो रक्षेत् विकटः पापनाशनः। शिखायां कपिलः पातु मूर्धन्याकाशरूपधृक्। किरीटिः पातु नः फालं भ्रुवोर्मध्ये विनायकः।…

वक्रतुंड कवच

|| वक्रतुंड कवच || मौलिं महेशपुत्रोऽव्याद्भालं पातु विनायकः। त्रिनेत्रः पातु मे नेत्रे शूर्पकर्णोऽवतु श्रुती। हेरम्बो रक्षतु घ्राणं मुखं पातु गजाननः। जिह्वां पातु गणेशो मे कण्ठं श्रीकण्ठवल्लभः। स्कन्धौ महाबलः पातु विघ्नहा पातु मे भुजौ। करौ परशुभृत्पातु हृदयं स्कन्दपूर्वजः। मध्यं लम्बोदरः पातु नाभिं सिन्दूरभूषितः। जघनं पार्वतीपुत्रः सक्थिनी पातु पाशभृत्। जानुनी जगतां नाथो जङ्घे मूषकवाहनः। पादौ पद्मासनः पातु…

गणपति मंगल अष्टक स्तोत्र

|| गणपति मंगल अष्टक स्तोत्र || गजाननाय गाङ्गेयसहजाय सदात्मने। गौरीप्रियतनूजाय गणेशायास्तु मङ्गलम्। नागयज्ञोपवीताय नतविघ्नविनाशिने। नन्द्यादिगणनाथाय नायकायास्तु मङ्गलम्। इभवक्त्राय चेन्द्रादिवन्दिताय चिदात्मने। ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मङ्गलम्। सुमुखाय सुशुण्डाग्रोक्षिप्तामृतघटाय च। सुरवृन्दनिषेव्याय चेष्टदायास्तु मङ्गलम्। चतुर्भुजाय चन्द्रार्धविलसन्मस्तकाय च। चरणावनतानर्थतारणायास्तु मङ्गलम्। वक्रतुण्डाय वटवे वन्याय वरदाय च। विरूपाक्षसुतायास्तु विघ्ननाशाय मङ्गलम्। प्रमोदमोदरूपाय सिद्धिविज्ञानरूपिणे। प्रकृष्टपापनाशाय फलदायास्तु मङ्गलम्। मङ्गलं गणनाथाय मङ्गलं हरसूनवे। मङ्गलं विघ्नराजाय विघहर्त्रेस्तु मङ्गलम्।…

महागणपति वेदपाद स्तोत्र

|| महागणपति वेदपाद स्तोत्र || श्रीकण्ठतनय श्रीश श्रीकर श्रीदलार्चित। श्रीविनायक सर्वेश श्रियं वासय मे कुले। गजानन गणाधीश द्विजराजविभूषित। भजे त्वां सच्चिदानन्द ब्रह्मणां ब्रह्मणास्पते। णषाष्ठवाच्यनाशाय रोगाटविकुठारिणे। घृणापालितलोकाय वनानां पतये नमः। धियं प्रयच्छते तुभ्यमीप्सितार्थप्रदायिने। दीप्तभूषणभूषाय दिशां च पतये नमः। पञ्चब्रह्मस्वरूपाय पञ्चपातकहारिणे। पञ्चतत्त्वात्मने तुभ्यं पशूनां पतये नमः। तटित्कोटिप्रतीकाश- तनवे विश्वसाक्षिणे। तपस्विध्यायिने तुभ्यं सेनानिभ्यश्च वो नमः। ये भजन्त्यक्षरं त्वां…

विघ्नराज स्तुति

|| विघ्नराज स्तुति || अद्रिराजज्येष्ठपुत्र हे गणेश विघ्नहन् पद्मयुग्मदन्तलड्डुपात्रमाल्यहस्तक। सिंहयुग्मवाहनस्थ भालनेत्रशोभित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्। एकदन्त वक्रतुण्ड नागयज्ञसूत्रक सोमसूर्यवह्निमेयमानमातृनेत्रक। रत्नजालचित्रमालभालचन्द्रशोभित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्। वह्निसूर्यसोमकोटिलक्षतेजसाधिक- द्योतमानविश्वहेतिवेचिवर्गभासक। विश्वकर्तृविश्वभर्तृविश्वहर्तृवन्दित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्। स्वप्रभावभूतभव्यभाविभावभासक कालजालबद्धवृद्धबाललोकपालक। ऋद्धिसिद्धिबुद्धिवृद्धिभुक्तिमुक्तिदायक कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्। मूषकस्थ विघ्नभक्ष्य रक्तवर्णमाल्यधृन्- मोदकादिमोदितास्यदेववृन्दवन्दित। स्वर्णदीसुपुत्र रौद्ररूप दैत्यमर्दन कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्। ब्रह्मशम्भुविष्णुजिष्णुसूर्यसोमचारण- देवदैत्यनागयक्षलोकपालसंस्तुत। ध्यानदानकर्मधर्मयुक्त शर्मदायक कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष…

ಗಣೇಶ ಪಂಚಚಾಮರ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ಗಣೇಶ ಪಂಚಚಾಮರ ಸ್ತೋತ್ರ || ಲಲಾಟಪಟ್ಟಲುಂಠಿತಾಮಲೇಂದುರೋಚಿರುದ್ಭಟೇ ವೃತಾತಿವರ್ಚರಸ್ವರೋತ್ಸರರತ್ಕಿರೀಟತೇಜಸಿ. ಫಟಾಫಟತ್ಫಟತ್ಸ್ಫುರತ್ಫಣಾಭಯೇನ ಭೋಗಿನಾಂ ಶಿವಾಂಕತಃ ಶಿವಾಂಕಮಾಶ್ರಯಚ್ಛಿಶೌ ರತಿರ್ಮಮ. ಅದಭ್ರವಿಭ್ರಮಭ್ರಮದ್ಭುಜಾಭುಜಂಗಫೂತ್ಕೃತೀ- ರ್ನಿಜಾಂಕಮಾನಿನೀಷತೋ ನಿಶಮ್ಯ ನಂದಿನಃ ಪಿತುಃ. ತ್ರಸತ್ಸುಸಂಕುಚಂತಮಂಬಿಕಾಕುಚಾಂತರಂ ಯಥಾ ವಿಶಂತಮದ್ಯ ಬಾಲಚಂದ್ರಭಾಲಬಾಲಕಂ ಭಜೇ. ವಿನಾದಿನಂದಿನೇ ಸವಿಭ್ರಮಂ ಪರಾಭ್ರಮನ್ಮುಖ- ಸ್ವಮಾತೃವೇಣಿಮಾಗತಾಂ ಸ್ತನಂ ನಿರೀಕ್ಷ್ಯ ಸಂಭ್ರಮಾತ್. ಭುಜಂಗಶಂಕಯಾ ಪರೇತ್ಯಪಿತ್ರ್ಯಮಂಕಮಾಗತಂ ತತೋಽಪಿ ಶೇಷಫೂತ್ಕೃತೈಃ ಕೃತಾತಿಚೀತ್ಕೃತಂ ನಮಃ. ವಿಜೃಂಭಮಾಣನಂದಿಘೋರಘೋಣಘುರ್ಘುರಧ್ವನಿ- ಪ್ರಹಾಸಭಾಸಿತಾಶಮಂಬಿಕಾಸಮೃದ್ಧಿವರ್ಧಿನಂ. ಉದಿತ್ವರಪ್ರಸೃತ್ವರಕ್ಷರತ್ತರಪ್ರಭಾಭರ- ಪ್ರಭಾತಭಾನುಭಾಸ್ವರಂ ಭವಸ್ವಸಂಭವಂ ಭಜೇ. ಅಲಂಗೃಹೀತಚಾಮರಾಮರೀ ಜನಾತಿವೀಜನ- ಪ್ರವಾತಲೋಲಿತಾಲಕಂ ನವೇಂದುಭಾಲಬಾಲಕಂ. ವಿಲೋಲದುಲ್ಲಲಲ್ಲಲಾಮಶುಂಡದಂಡಮಂಡಿತಂ ಸತುಂಡಮುಂಡಮಾಲಿವಕ್ರತುಂಡಮೀಡ್ಯಮಾಶ್ರಯೇ. ಪ್ರಫುಲ್ಲಮೌಲಿಮಾಲ್ಯಮಲ್ಲಿಕಾಮರಂದಲೇಲಿಹಾ ಮಿಲನ್ ನಿಲಿಂದಮಂಡಲೀಚ್ಛಲೇನ ಯಂ ಸ್ತವೀತ್ಯಮಂ. ತ್ರಯೀಸಮಸ್ತವರ್ಣಮಾಲಿಕಾ ಶರೀರಿಣೀವ ತಂ…

गणेश पंचचामर स्तोत्र

|| गणेश पंचचामर स्तोत्र || ललाटपट्टलुण्ठितामलेन्दुरोचिरुद्भटे वृतातिवर्चरस्वरोत्सररत्किरीटतेजसि। फटाफटत्फटत्स्फुरत्फणाभयेन भोगिनां शिवाङ्कतः शिवाङ्कमाश्रयच्छिशौ रतिर्मम। अदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजाभुजङ्गफूत्कृती- र्निजाङ्कमानिनीषतो निशम्य नन्दिनः पितुः। त्रसत्सुसङ्कुचन्तमम्बिकाकुचान्तरं यथा विशन्तमद्य बालचन्द्रभालबालकं भजे। विनादिनन्दिने सविभ्रमं पराभ्रमन्मुख- स्वमातृवेणिमागतां स्तनं निरीक्ष्य सम्भ्रमात्। भुजङ्गशङ्कया परेत्यपित्र्यमङ्कमागतं ततोऽपि शेषफूत्कृतैः कृतातिचीत्कृतं नमः। विजृम्भमाणनन्दिघोरघोणघुर्घुरध्वनि- प्रहासभासिताशमम्बिकासमृद्धिवर्धिनम्। उदित्वरप्रसृत्वरक्षरत्तरप्रभाभर- प्रभातभानुभास्वरं भवस्वसम्भवं भजे। अलङ्गृहीतचामरामरी जनातिवीजन- प्रवातलोलितालकं नवेन्दुभालबालकम्। विलोलदुल्ललल्ललामशुण्डदण्डमण्डितं सतुण्डमुण्डमालिवक्रतुण्डमीड्यमाश्रये। प्रफुल्लमौलिमाल्यमल्लिकामरन्दलेलिहा मिलन् निलिन्दमण्डलीच्छलेन यं स्तवीत्यमम्। त्रयीसमस्तवर्णमालिका शरीरिणीव तं…

गणपति कवच

|| गणपति कवच || नमस्तस्मै गणेशाय सर्वविघ्नविनाशिने। कार्यारम्भेषु सर्वेषु पूजितो यः सुरैरपि। पार्वत्युवाच – भगवन् देवदेवेश लोकानुग्रहकारकः। इदानी श्रोतृमिच्छामि कवचं यत्प्रकाशितम्। एकाक्षरस्य मन्त्रस्य त्वया प्रीतेन चेतसा। वदैतद्विधिवद्देव यदि ते वल्लभास्म्यहम्। ईश्वर उवाच – श‍ृणु देवि प्रवक्ष्यामि नाख्येयमपि ते ध्रुवम्। एकाक्षरस्य मन्त्रस्य कवचं सर्वकामदम्। यस्य स्मरणमात्रेण न विघ्नाः प्रभवन्ति हि। त्रिकालमेककालं वा ये पठन्ति सदा नराः।…

गणेश मंगल मालिका स्तोत्र

|| गणेश मंगल मालिका स्तोत्र || श्रीकण्ठप्रेमपुत्राय गौरीवामाङ्कवासिने। द्वात्रिंशद्रूपयुक्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। आदिपूज्याय देवाय दन्तमोदकधारिणे। वल्लभाप्राणकान्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। लम्बोदराय शान्ताय चन्द्रगर्वापहारिणे। गजाननाय प्रभवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्। पञ्चहस्ताय वन्द्याय पाशाङ्कुशधराय च। श्रीमते गजकर्णाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। द्वैमातुराय बालाय हेरम्बाय महात्मने। विकटायाखुवाहाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। पृश्निशृङ्गायाजिताय क्षिप्राभीष्टार्थदायिने। सिद्धिबुद्धिप्रमोदाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। विलम्बियज्ञसूत्राय सर्वविघ्ननिवारिणे। दूर्वादलसुपूज्याय श्रीगणेशाय मङ्गलम्। महाकायाय भीमाय महासेनाग्रजन्मने। त्रिपुरारिवरोद्धात्रे श्रीगणेशाय मङ्गलम्।…

गणाधिप अष्टक स्तोत्र

|| गणाधिप अष्टक स्तोत्र || श्रियमनपायिनीं प्रदिशतु श्रितकल्पतरुः शिवतनयः शिरोविधृतशीतमयूखशिशुः। अविरतकर्णतालजमरुद्गमनागमनै- रनभिमतं धुनोति च मुदं वितनोति च यः। सकलसुरासुरादिशरणीकरणीयपदः करटिमुखः करोतु करुणाजलधिः कुशलम्। प्रबलतरान्तरायतिमिरौघनिराकरण- प्रसृमरचन्द्रिकायितनिरन्तरदन्तरुचिः। द्विरदमुखो धुनोतु दुरितानि दुरन्तमद- त्रिदशविरोधियूथकुमुदाकरतिग्मकरः। नतशतकोटिपाणिमकुटीतटवज्रमणि- प्रचुरमरीचिवीचिगुणिताङ्ग्रिनखांशुचयः। कलुषमपाकरोतु कृपया कलभेन्द्रमुखः कुलगिरिनन्दिनीकुतुकदोहनसंहननः। तुलितसुधाझरस्वकरशीकरशीतलता- शमितनताशयज्वलदशर्मकृशानुशिखः। गजवदनो धिनोतु धियमाधिपयोधिवल- त्सुजनमनःप्लवायितपदाम्बुरुहोऽविरतम्। करटकटाहनिर्गलदनर्गलदानझरी- परिमललोलुपभ्रमददभ्रमदभ्रमरः। दिशतु शतक्रतुप्रभृतिनिर्जरतर्जनकृ- द्दितिजचमूचमूरुमृगराडिभराजमुखः। प्रमदमदक्षिणाङ्घ्रिविनिवेशितजीवसमा- घनकुचकुम्भगाढपरिरम्भणकण्टकितः। अतुलबलोऽतिवेलमघवन्मतिदर्पहरः स्फुरदहितापकारिमहिमा वपुषीढविधुः। हरतु विनायकः स…

गणेश मणिमाला स्तोत्र

|| गणेश मणिमाला स्तोत्र || देवं गिरिवंश्यं गौरीवरपुत्रं लम्बोदरमेकं सर्वार्चितपत्रम्। संवन्दितरुद्रं गीर्वाणसुमित्रं रक्तं वसनं तं वन्दे गजवक्त्रम्। वीरं हि वरं तं धीरं च दयालुं सिद्धं सुरवन्द्यं गौरीहरसूनुम्। स्निग्धं गजमुख्यं शूरं शतभानुं शून्यं ज्वलमानं वन्दे नु सुरूपम्। सौम्यं श्रुतिमूलं दिव्यं दृढजालं शुद्धं बहुहस्तं सर्वं युतशूलम्। धन्यं जनपालं सम्मोदनशीलं बालं समकालं वन्दे मणिमालम्। दूर्वार्चितबिम्बं सिद्धिप्रदमीशं रम्यं रसनाग्रं…

कल्पक गणपति स्तोत्र

|| कल्पक गणपति स्तोत्र || श्रीमत्तिल्ववने सभेशसदनप्रत्यक्ककुब्गोपुरा- धोभागस्थितचारुसद्मवसतिर्भक्तेष्टकल्पद्रुमः । नृत्तानन्दमदोत्कटो गणपतिः संरक्षताद्वोऽनिशं दूर्वासःप्रमुखाखिलर्षिविनुतः सर्वेश्वरोऽग्र्योऽव्ययः ॥ श्रीमत्तिल्लवनाभिधं पुरवरं क्षुल्लावुकं प्राणिनां इत्याहुर्मुनयः किलेति नितरां ज्ञातुं च तत्सत्यताम् । आयान्तं निशि मस्करीन्द्रमपि यो दूर्वाससं प्रीणयन् नृत्तं दर्शयति स्म नो गणपतिः कल्पद्रुकल्पोऽवतात् ॥ देवान् नृत्तदिदृक्षया पशुपतेरभ्यागतान् कामिनः शक्रादीन् स्वयमुद्धृतं निजपदं वामेतरं दर्शयन् । दत्वा तत्तदभीष्टवर्गमनिशं स्वर्गादिलोकान्विभुः निन्ये यः शिवकामिनाथतनयः…

श्री संकट मोचन हनुमान अष्टक

|| श्री संकट मोचन हनुमान अष्टक || बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहूं लोक भयो अंधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी विनती तब छांडि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो। बालि की त्रास कपीस बसै…

मारुति स्तोत्र

|| मारुति स्तोत्र || ओं नमो वायुपुत्राय भीमरूपाय धीमते| नमस्ते रामदूताय कामरूपाय श्रीमते| मोहशोकविनाशाय सीताशोकविनाशिने| भग्नाशोकवनायास्तु दग्धलोकाय वाङ्मिने| गतिर्निर्जितवाताय लक्ष्मणप्राणदाय च| वनौकसां वरिष्ठाय वशिने वनवासिने| तत्त्वज्ञानसुधासिन्धुनिमग्नाय महीयसे| आञ्जनेयाय शूराय सुग्रीवसचिवाय ते| जन्ममृत्युभयघ्नाय सर्वक्लेशहराय च| नेदिष्ठाय प्रेतभूतपिशाचभयहारिणे| यातनानाशनायास्तु नमो मर्कटरूपिणे| यक्षराक्षसशार्दूलसर्पवृश्चिकभीहृते| महाबलाय वीराय चिरञ्जीविन उद्धते| हारिणे वज्रदेहाय चोल्लङ्घितमहाब्धये| बलिनामग्रगण्याय नमः पाहि च मारुते| लाभदोऽसि त्वमेवाशु हनुमन्…

रामदूत स्तोत्र

|| रामदूत स्तोत्र || वज्रदेहममरं विशारदं भक्तवत्सलवरं द्विजोत्तमम्। रामपादनिरतं कपिप्रियं रामदूतममरं सदा भजे। ज्ञानमुद्रितकरानिलात्मजं राक्षसेश्वरपुरीविभावसुम्। मर्त्यकल्पलतिकं शिवप्रदं रामदूतममरं सदा भजे। जानकीमुखविकासकारणं सर्वदुःखभयहारिणं प्रभुम्। व्यक्तरूपममलं धराधरं रामदूतममरं सदा भजे। विश्वसेव्यममरेन्द्रवन्दितं फल्गुणप्रियसुरं जनेश्वरम्। पूर्णसत्त्वमखिलं धरापतिं रामदूतममरं सदा भजे। आञ्जनेयमघमर्षणं वरं लोकमङ्गलदमेकमीश्वरम्। दुष्टमानुषभयङ्करं हरं रामदूतममरं सदा भजे। सत्यवादिनमुरं च खेचरं स्वप्रकाशसकलार्थमादिजम्। योगगम्यबहुरूपधारिणं रामदूतममरं सदा भजे। ब्रह्मचारिणमतीव शोभनं कर्मसाक्षिणमनामयं…

हनुमत् पंचरत्न स्तोत्र

|| हनुमत् पंचरत्न स्तोत्र || वीताखिलविषयच्छेदं जातानन्दाश्रु- पुलकमत्यच्छम्। सीतापतिदूताद्यं वातात्मजमद्य भावये हृद्यम्। तरुणारुणमुखकमलं करुणारसपूर- पूरितापाङ्गम्। सञ्जीवनमाशासे मञ्जुलमहिमान- मञ्जनाभाग्यम्। शम्बरवैरिशरातिग- मम्बुजदलविपुल- लोचनोदारम्। कम्बुगलमनिलदिष्टं बिम्बज्वलितोष्ठ- मेकमवलम्बे। दूरीकृतसीतार्तिः प्रकटीकृतराम- वैभवस्फूर्तिः। दारितदशमुखकीर्तिः पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्तिः। वानरनिकराध्यक्षं दानवकुलकुमुद- रविकरसदृक्षम्। दीनजनावनदीक्षं पवनतपःपाक- पुञ्जमद्राक्षम्। एतत्पवनसुतस्य स्तोत्रं यः पठति पञ्चरत्नाख्यम्। चिरमिह निखिलान् भोगान् भुङ्क्त्वा श्रीरामभक्तिभाग् भवति।

आञ्जनेय मंगल अष्टक स्तोत्र

|| आञ्जनेय मंगल अष्टक स्तोत्र || कपिश्रेष्ठाय शूराय सुग्रीवप्रियमन्त्रिणे । जानकीशोकनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।। मनोवेगाय उग्राय कालनेमिविदारिणे । लक्ष्मणप्राणदात्रे च आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।। महाबलाय शान्ताय दुर्दण्डीबन्धमोचन । मैरावणविनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।। पर्वतायुधहस्ताय रक्षःकुलविनाशिने । श्रीरामपादभक्ताय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।। विरक्ताय सुशीलाय रुद्रमूर्तिस्वरूपिणे । ऋषिभिः सेवितायास्तु आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।। दीर्घबालाय कालाय लङ्कापुरविदारिणे । लङ्कीणीदर्पनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ।।…

महामृत्युंजय मंत्र क्यों है इतना खास? जानिए इसकी शक्ति, लाभ और वास्तविक अर्थ

Lord Shiva Mantra

महा मृत्युंजय मंत्र, ऋग्वेद का एक प्राचीन श्लोक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र न केवल मृत्यु पर विजय का प्रतीक है बल्कि जीवन, मृत्यु और मोक्ष के गहन दर्शन को भी प्रतिबिंबित करता है। हिंदू धर्म में, इस मंत्र को अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है और इसे विभिन्न अनुष्ठानों में उपयोग…

वायुपुत्र स्तोत्र

|| वायुपुत्र स्तोत्र || उद्यन्मार्ताण्डकोटि- प्रकटरुचिकरं चारुवीरासनस्थं मौञ्जीयज्ञोपवीताभरण- मुरुशिखाशोभितं कुण्डलाङ्गम्। भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनादप्रमोदं ध्यायेद्देवं विधेयं प्लवगकुलपतिं गोष्पदीभूतवार्धिम्। श्रीहनुमान्महावीरो वीरभद्रवरोत्तमः। वीरः शक्तिमतां श्रेष्ठो वीरेश्वरवरप्रदः। यशस्करः प्रतापाढ्यः सर्वमङ्गलसिद्धिदः। सानन्दमूर्तिर्गहनो गम्भीरः सुरपूजितः। दिव्यकुण्डलभूषाय दिव्यालङ्कारशोभिने। पीताम्बरधरः प्राज्ञो नमस्ते ब्रह्मचारिणे। कौपीनवसनाक्रान्त- दिव्ययज्ञोपवीतिने । कुमाराय प्रसन्नाय नमस्ते मौञ्जिधारिणे। सुभद्रः शुभदाता च सुभगो रामसेवकः। यशःप्रदो महातेजा बलाढ्यो वायुनन्दनः। जितेन्द्रियो महाबाहुर्वज्रदेहो नखायुधः।…

हनुमान भुजंग स्तोत्र

|| हनुमान भुजंग स्तोत्र || प्रपन्नानुरागं प्रभाकाञ्चनाङ्गं जगद्भीतिशौर्यं तुषाराद्रिधैर्यम्। तृणीभूतहेतिं रणोद्यद्विभूतिं भजे वायुपुत्रं पवित्रात्पवित्रम्। भजे पावनं भावनानित्यवासं भजे बालभानुप्रभाचारुभासम्। भजे चन्द्रिकाकुन्दमन्दारहासं भजे सन्ततं रामभूपालदासम्। भजे लक्ष्मणप्राणरक्षातिदक्षं भजे तोषितानेकगीर्वाणपक्षम्। भजे घोरसङ्ग्रामसीमाहताक्षं भजे रामनामाति सम्प्राप्तरक्षम्। कृताभीलनादं क्षितिक्षिप्तपादं घनक्रान्तभृङ्गं कटिस्थोरुजङ्घम्। वियद्व्याप्तकेशं भुजाश्लेषिताश्मं जयश्रीसमेतं भजे रामदूतम्। चलद्वालघातं भ्रमच्चक्रवालं कठोराट्टहासं प्रभिन्नाब्जजाण्डम्। महासिंहनादाद्विशीर्णत्रिलोकं भजे चाञ्जनेयं प्रभुं वज्रकायम्। रणे भीषणे मेघनादे सनादे…

संकट मोचन हनुमान स्तुति

|| संकट मोचन हनुमान स्तुति || वीर! त्वमादिथ रविं तमसा त्रिलोकी व्याप्ता भयं तदिह कोऽपि न हर्त्तुमीशः। देवैः स्तुतस्तमवमुच्य निवारिता भी- र्जानाति को न भुवि सङ्कटमोचनं त्वाम्। भ्रातुर्भया- दवसदद्रिवरे कपीशः शापान्मुने रधुवरं प्रतिवीक्षमाणः। आनीय तं त्वमकरोः प्रभुमार्त्तिहीनं र्जानाति को न भुवि सङ्कटमोचनं त्वाम्। विज्ञापयञ्जनकजा- स्थितिमीशवर्यं सीताविमार्गण- परस्य कपेर्गणस्य। प्राणान् ररक्षिथ समुद्रतटस्थितस्य र्जानाति को न भुवि…

हनुमान स्तुति

|| हनुमान स्तुति || अरुणारुण- लोचनमग्रभवं वरदं जनवल्लभ- मद्रिसमम्। हरिभक्तमपार- समुद्रतरं हनुमन्तमजस्रमजं भज रे। वनवासिनमव्यय- रुद्रतनुं बलवर्द्धन- त्त्वमरेर्दहनम्। प्रणवेश्वरमुग्रमुरं हरिजं हनुमन्तमजस्रमजं भज रे। पवनात्मजमात्मविदां सकलं कपिलं कपितल्लजमार्तिहरम्। कविमम्बुज- नेत्रमृजुप्रहरं हनुमन्तमजस्रमजं भज रे। रविचन्द्र- सुलोचननित्यपदं चतुरं जितशत्रुगणं सहनम्। चपलं च यतीश्वरसौम्यमुखं हनुमन्तमजस्रमजं भज रे। भज सेवितवारिपतिं परमं भज सूर्यसम- प्रभमूर्ध्वगमम्। भज रावणराज्य- कृशानुतमं हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।…

पंचमुख हनुमान पंचरत्न स्तोत्र

|| पंचमुख हनुमान पंचरत्न स्तोत्र || श्रीरामपादसरसी- रुहभृङ्गराज- संसारवार्धि- पतितोद्धरणावतार। दोःसाध्यराज्यधन- योषिददभ्रबुद्धे पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। आप्रातरात्रिशकुनाथ- निकेतनालि- सञ्चारकृत्य पटुपादयुगस्य नित्यम्। मानाथसेविजन- सङ्गमनिष्कृतं नः पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। षड्वर्गवैरिसुख- कृद्भवदुर्गुहाया- मज्ञानगाढतिमिराति- भयप्रदायाम्। कर्मानिलेन विनिवेशितदेहधर्तुः पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। सच्छास्त्रवार्धिपरि- मज्जनशुद्धचित्ता- स्त्वत्पादपद्मपरि- चिन्तनमोदसान्द्राः। पश्यन्ति नो विषयदूषितमानसं मां पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। पञ्चेन्द्रियार्जित- महाखिलपापकर्मा शक्तो न भोक्तुमिव…

कौन थे पहले कांवरिया? जानें कांवड़ यात्रा का इतिहास, महत्व और रहस्य

kawad yatra

कांवड़ यात्रा भारत की सबसे प्रमुख और जीवंत हिंदू तीर्थयात्राओं में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिन्हें कांवरिया कहा जाता है। इस वार्षिक तीर्थयात्रा में गंगा नदी से पवित्र जल लेकर विभिन्न शिव मंदिरों तक पहुंचाया जाता है। लेकिन पहले कांवरिया कौन थे और इस प्राचीन परंपरा का इतिहास, महत्व और…