विश्वेश्वर व्रत कथा और व्रत की पूजा विधि

विश्वेश्वर व्रत की पूजा विधि इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल, दूध, मिठाई और फल अर्पित करें। भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और पूरे दिन उपवास…

वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त – जानिए व्रत कथा, पूजा विधि और आसान उपाय

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वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए परम मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है। वैकुण्ठ, भगवान विष्णु का निवास स्थान है, और यह दिन उन्हीं की कृपा से मोक्ष की…

वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा

।। वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा ।। पौराणिक मतानुसार एक बार भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव का पूजन करने के लिए काशी आए। वहाँ मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके उन्होंने एक हजार कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के पूजन का संकल्प किया। अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो शिवजी ने उनकी भक्ति की…

सामवेद सुभाषितावली (Samved Subhashitavali)

सामवेद सुभाषितावली (Samved Subhashitavali)

सामवेद सुभाषितावली डॉ. कपिलदेव द्विवेदी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथ सामवेद के गूढ़ अर्थों, संदेशों और शिक्षाओं का संकलन है। इस ग्रंथ में सामवेद के विभिन्न मंत्रों का संक्षिप्त, सरल और सहज व्याख्या की गई है। यह पुस्तक वेदों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए अत्यंत मूल्यवान…

उपनिषद रहस्य (एकादषोपनिषा) – Upanishad Rahasya (Ekadashopnisha)

उपनिषद रहस्य (एकादषोपनिषा) - Upanishad Rahasya (Ekadashopnisha)

उपनिषद रहस्य (एकादषोपनिषा) श्री नारायण स्वामी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय ज्ञान परंपरा के सबसे प्रमुख ग्रंथों – उपनिषदों की गूढ़ता को सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक विशेष रूप से उन 11 प्रमुख उपनिषदों का संकलन और विश्लेषण करती है, जिन्हें वेदांत का हृदय माना जाता है।…

ज्ञानमाला (Gyanmala)

ज्ञानमाला (Gyanmala)

ज्ञानमाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसे खेेमराज श्रीकृष्णदास ने लिखा है। यह ग्रंथ हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक सिद्धांतों, जीवन की गूढ़ रहस्यों, और आत्मज्ञान के मार्गदर्शन पर आधारित है। इस पुस्तक में संपूर्ण जीवन के उद्देश्यों, आध्यात्मिक प्रगति, और आत्म-साक्षात्कार के विभिन्न पहलुओं का विवरण मिलता है। ज्ञानमाला पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ…

लल्लु प्रकाश (Lallu Prakash)

लल्लु प्रकाश (Lallu Prakash)

पंडित प्रेम नाथ शास्त्री द्वारा रचित “लल्लु प्रकाश” एक गहन धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथ है जो भारतीय धर्म, संस्कृति, और विशेष रूप से कश्मीर के संतों और उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों पर केंद्रित है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को संत-महात्माओं के विचारों और उपदेशों के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति प्रदान करना है। लल्लु प्रकाश…

देवउठनी एकादशी कथा, पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम

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देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा (चतुर्मास) से जागते हैं और…

श्री हरि स्तोत्रम्

॥ श्री हरि स्तोत्र पाठ विधि ॥ पाठ शुरू करने से पहले सुबह उठकर नित्य क्रिया के बाद स्नान कर लें। श्री गणेश का नाम ले कर पूजा शुरू करें। पाठ को शुरू करने के बाद बीच में रुकना या उठना नहीं चाहिए। ॥ श्री हरि स्तोत्र एवं अर्थ ॥ जगज्जालपालं कचतकण्ठमालं, शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालम्। नभोनीलकायं…

मारुति स्तोत्रम्

|| मारुति स्तोत्र की जप की विधि || मारुति स्तोत्र का पाठ प्रातः के समय या फिर संध्या वंदन के समय करना चाहिए। इसके पाठ के लिए सबसे पहले स्वयं को शुद्ध कर लें। इसके बाद आसान हनुमान जी की प्रतिमा के आसन विछाकर बैठें। हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। उसके पश्चात पाठ प्रारंभ…

श्री वैष्णो देवी की सम्पूर्ण कहानी (Shri Vaishno Devi Ki Kahani)

श्री वैष्णो देवी की सम्पूर्ण कहानी (Shri Vaishno Devi Ki Kahani)

‘श्री वैष्णो देवी की सम्पूर्ण कहानी’ ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी द्वारा लिखित एक अद्वितीय पुस्तक है, जो मां वैष्णो देवी के दिव्य प्रकट होने की पौराणिक कथा, उनके चमत्कारी रूप और उनके उपासना स्थल के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। यह पुस्तक भक्तों के लिए वैष्णो देवी की महिमा को…

वैदिक गणपति (Vedic Ganapati)

वैदिक गणपति (Vedic Ganapati)

मदन रहेजा द्वारा लिखित “वैदिक गणपति” एक अद्भुत पुस्तक है जो भगवान गणपति के वैदिक स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों और उनसे जुड़ी वैदिक कथाओं पर केंद्रित है। यह पुस्तक उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है जो गणपति की उपासना के माध्यम से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करना चाहते…

तुलसी पूजा के नियम – इन चीजों को रखें तुलसी के पास, बढ़ेगी सुख-समृद्धि!

tulsi pooja

तुलसी हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। यहाँ तुलसी पूजा के कुछ महत्वपूर्ण नियम और बातें दी जा रही हैं जो आपको पालन करनी चाहिए। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय होने के कारण, तुलसी की पूजा करना…

क्या रविवार और एकादशी को तुलसी को पानी देना अशुभ है? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण!

tulsi

हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र माना जाता है। तुलसी की पूजा की जाती है और यह विश्वास है कि जिस घर में तुलसी होती है, वहाँ लक्ष्मी जी का वास होता है। ऐसे घर पर हमेशा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। तुलसी में अनेक औषधीय गुण होते हैं और यह स्वास्थ्य…

तुलसी आरती – महारानी नमो-नमो

|| तुलसी आरती – महारानी नमो-नमो || तुलसी महारानी नमो-नमो, हरि की पटरानी नमो-नमो । धन तुलसी पूरण तप कीनो, शालिग्राम बनी पटरानी । जाके पत्र मंजरी कोमल, श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥ धूप-दीप-नवैद्य आरती, पुष्पन की वर्षा बरसानी । छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन, बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥ सभी सखी मैया तेरो…

श्री तुलसी विवाह व्रत कथा एवं विवाह विधि

|| तुलसी विवाह विधि || सबसे पहले पूजा के स्थान पर गन्ने से मंडप सजाएं। गेरू और फूलों से तुलसी जी के गमले को भी सजाएं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह पूजा की शुरुआत करें। लकड़ी की साफ चौकी स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़क कर आसन बिछाएं। कलश में पवित्र…

तुलसी चालीसा

॥ दोहा ॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी । नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥ श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब । जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥ ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तलसी माता । महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥ हरि के प्राणहु से…

राक्षस कुल से देवी कैसे बनी तुलसी माता? जानें रहस्य

tulsi mata

तुलसी माता, जिन्हें वृंदा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा और देवी हैं। भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होने के कारण, उन्हें “विष्णुप्रिया” और “लक्ष्मीप्रिया” भी कहा जाता है। तुलसी माता का जन्म राक्षस कुल में हुआ था, लेकिन उनका जीवन सदैव भक्ति और पतिव्रता का रहा। भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं…

श्री तुलसी स्तोत्रम्

|| श्री तुलसी स्तोत्रम् || जगद्धात्रि! नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टि स्थित्यन्तकारिणः ॥ नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥ तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा । कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥ नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् । यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥ तुलस्या…

श्री तुलसी माता की आरती

|| तुलसी माता आरती || जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता । सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥ सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर । रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥ बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है…

श्री तुलसी स्तुति

॥ तुलसी स्तुति ॥ तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे । नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि । आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः । यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् । आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसि…

देवउठनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

देव प्रबोधिनी एकादशी

वर्ष 2024 में देव प्रबोधिनी / देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनायी जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 11 नवंबर 2024 को रात 06 बजकर 46 मिनट से आरंभ हो हो रही है, जो 12 नवंबर को रात 04 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि…

षटतिला एकादशी कैसे करें? जानिए व्रत के नियम, कथा और पूजा विधि

shattila ekadashi

षटतिला एकादशी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस एकादशी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। “षटतिला” का अर्थ है छह प्रकार के तिलों का उपयोग, जो इस व्रत…

रविवार व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| रविवार व्रत पूजा विधि || रविवार का व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उत्तम माना गया है। इस व्रत को करने की विधि इस प्रकार है: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत मन से भगवान का ध्यान करें। इस व्रत में केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए। भोजन और फलाहार…

श्री सूर्य देव चालीसा

|| सूर्य देव चालीसा || ॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु पतंग मरीची भास्कर, सविता हंस सुनूर विभाकर॥ विवस्वान आदित्य विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि खग रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥…

ऋणमोचक मंगल स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ की विधि ॥ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के लिए शुक्ल पक्ष की कोई शुभ तिथि का चयन करें। शुभ तिथि मंगलवार होनी चाहिए। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के दिन में प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र को धारण कर लें। इसके बाद घर के पूजा…

सूर्य देव जी की आरती

|| सूर्य देव आरती || ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान । जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा । धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान ॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी । तुम चार भुजाधारी ॥ अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी…

रविवार आरती

|| रविवार आरती || कहूँ लगी आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत बिराजे || सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे || सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे || सकल जगत जाकी जोत बिराजे || कहूँ लगी आरती दास करेंगे|| कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा…

श्री नारायण कवच अर्थ सहित

॥ श्री नारायण कवच अर्थ सहित ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताड़् घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे…

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

‘सुवर्णद्वीपीय रामकथा’ राजेंद्र मिश्रा द्वारा रचित एक अनोखी पुस्तक है, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित कहानियों का एक विशिष्ट संग्रह प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें श्रीराम की कथा को दक्षिण-पूर्व एशिया के सुवर्णद्वीप, यानी आधुनिक इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और आस-पास के क्षेत्रों में प्रचलित कथाओं और…

पितर हमारे अदृश्य सहायक (Pitar Hamare Adrushya Sahayak)

पितर हमारे अदृश्य सहायक (Pitar Hamare Adrushya Sahayak)

पितर हमारे अदृश्य सहायक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखी गई एक अद्भुत पुस्तक है, जिसमें हमारे पूर्वजों या पितरों की भूमिका और उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक समझाती है कि पितर केवल हमारे अतीत का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में अदृश्य सहायक की भूमिका निभाते हैं। इस…

आंवला नवमी (अक्षय नवमी) की व्रत कथा व पूजा विधि

।। आंवला नवमी की पूजा विधि ।। अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। वृक्ष की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करके उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है। पूजा के…

श्री गोपाष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| गोपाष्टमी पूजन विधि || इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान है। इस दिन प्रातः काल उठ कर नित्य कर्म से निवृत हो कर स्नान करते है, प्रातः काल ही गौओं और उनके बछड़ों को भी स्नान कराया जाता है। गौ माता के अंगों में मेहंदी, रोली हल्दी आदि के थापे…

नागेश्वर मंदिर का इतिहास और तीर्थ स्थल – श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

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भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दसवें स्थान पर स्थित है और यह गुजरात राज्य के द्वारका जिले के गोमती नदी के किनारे स्थित है। यह अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान शिव का दिव्य रूप ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित है। इसे लेकर कुछ मत भिन्नताएँ हैं, जहाँ कुछ…

बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

|| बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् || त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् । त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १ ॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः । तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २ ॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् । सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ३ ॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् । नागकुण्डलसम्युक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ४ ॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् । चन्द्रशेखरमीशानं…

मल्लिकार्जुन मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी – श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कथा और मुख्य तीर्थ

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित है। यह पवित्र ज्योतिर्लिंग “दक्षिण के कैलाश” के रूप में प्रसिद्ध है, और श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, जिसे श्रद्धालु अत्यधिक पूजनीय मानते हैं। श्रीशैलम की यह भूमि सिर्फ भगवान शिव ही नहीं,…

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम्

।। काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र ।। ।। अथ श्रीविश्वनाथमङ्गलस्तोत्रम् ।। गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी- रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम् । भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या- दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये ॥ अर्थ :- गंगा एवं बाल चन्द्र को धारण करने वाले, त्रिलोक की रक्षा करने वाले,मस्तक पर चन्द्रमा एवं त्रिधार (गंगा) -को धारण करने वाले, भस्म का उद्धूलन करने वाले तथा पार्वती को…

अथार्गलास्तोत्रम्

॥ अथार्गला स्तोत्रम् ॥ ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥ मार्कण्डेय उवाच ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥ भावार्थ : ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है। मार्कण्डेय जी कहते हैं – जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री,…

गुरुपादुका स्तोत्रम् अर्थ सहित

।। गुरुपादुका स्तोत्रम् ।। अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्। वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।। जिसका कहीं अंत नहीं है, ऐसे इस संसार सागर से जो तारने वाली नौका के समान हैं, जो गुरु की भक्ति प्रदान करती हैं, जिनके पूजन से वैराग्य रूपी आधिपत्य प्राप्त होता है, [मेरे] उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को…

बृहस्पति स्तोत्रम् पाठ की विधि और लाभ

।। बृहस्पतिस्तोत्रम् ।। श्री गणेशाय नमः । अस्य श्रीबृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, छन्दः, बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः । गुरुर्बृहस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः । वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥ सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः । दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुङ्मलद्युतिः ॥ लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः । तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥ भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् । अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः…

रामेश्वरम मंदिर के अनसुने रहस्य – श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कथा और प्रमुख तीर्थ स्थल

Rameshwaram Jyotirlinga

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इसे केवल एक तीर्थस्थान के रूप में नहीं, बल्कि चार पवित्र धामों में से एक के रूप में भी अत्यधिक पूजनीय माना गया है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा पौराणिक है, जो भगवान…

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

|| श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् || नियोगः – ॐ अस्य श्री रामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः, श्री सीतारामचन्द्रोदेवता, अनुष्टुप् छन्दः, सीताशक्तिः, श्रीमद्हनुमान कीलकम् श्रीसीतरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।। अर्थ:- इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमान जी कीलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के…

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम्

॥ नवग्रहपीडाहर स्तोत्रम् ॥ ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः । विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे रविः ॥ रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः । विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे विधुः ॥ भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा । वृष्टिकृद्वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः ॥ उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः । सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः ॥ देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः ।…

स्कन्द षष्ठी व्रत कथा व पूजा विधि

।। स्कन्द षष्ठी व्रत पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। ऐसा करने के बाद भगवान कार्तिकेय को चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। फिर उन्हें एक मिष्ठान का भोग लगाएं। आज के दिन माता…

रामो राजमणि – श्लोक अर्थ सहित

॥ रामो राजमणि – श्लोक ॥ रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः । रामान्नास्ति परायणंपरतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयस्सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ हिंदी अर्थ: राम (श्रीराम) सभी राजाओं में श्रेष्ठ रत्न हैं, और वे सदैव विजय प्राप्त करते हैं। मैं उन लक्ष्मीपति राम का भजन करता हूँ,…

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र – श्लोक अर्थ सहित

॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्र – श्लोक ॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः । स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥ सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु । नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ हिंदी अर्थ: माता के रूप में भगवान राम हैं, पिता के रूप में भी भगवान रामचन्द्र हैं। स्वामी के रूप में भगवान राम हैं, सखा के…

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु – श्लोक अर्थ सहित

।। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु – श्लोक अर्थ सहित ।। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।। हिंदी अर्थ: यह श्लोक गुरु की महानता और उनके अद्वितीय स्थान को दर्शाता है। इस श्लोक का अर्थ इस प्रकार है: “गुरु अर्थात् शिक्षक ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही देव महेश्वर अर्थात् शिव हैं।…

श्री हनुमत् प्रार्थना श्लोक

।। श्री हनुमत् प्रार्थना श्लोक ।। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्दिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शिरसा नमामि।। अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्। कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्।। गोष्पदीकृतवाराशिं मशकीकृतराक्षसम्। रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्।। यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्। बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्।। वन्दे वानर-नारसिंह-खगराट्-क्रोडाश्ववक्त्राञ्चितं नानालङ्करणं त्रिपञ्चनयनं देदीप्यमानं रुचाम्। हस्ताभैरसिखेटपुस्तकसुधाभाण्डं कुशाद्रीन् हलं खट्वाङ्गं फणिवृक्षधृद्दशभुजं सर्वारिगर्वापहम्।। सर्वारिष्टनिवारकं शुभकरं पिङ्गाक्षमक्षापहं सीतान्वेषणतत्परं कपिवरं कोटीन्दुसूर्यप्रभम्। लङ्काद्वीपभयङ्करं…