Download HinduNidhi App
Shri Vishnu

नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा

Narasimha Avatar Pauranik Katha Hindi

Shri VishnuVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

।।नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा।।

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन में मारा जा सके, न रात में, न जमींन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस वरदान के नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया।

जिसके बाद उसने इंद्र देव का राज्य छीन लिया और तीनों लोक में रहने वाले लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसने घोषणा कर दी कि मैं ही इस पूरे संसार का भगवान हूं और सभी मेरी पूजा करो। उधर, हिरण्कश्यप के स्वभाव से विपरीत उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था।

पिता के लाख मना करने और प्रताड़ित करने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। जब प्रहला ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो उसने अपने ही बेटे को पहाड़ से धकेल कर मारने की कोशिश कि, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की जान बचा ली। इसके बाद हिरण्कश्यप ने प्रहलाद को जिंदा जलाने की नाकाम कोशिश की।

अंत में क्रोधित हिरण्कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को दीवार में बांध कर आग लगा दी और बोला बता तेरा भगवान कहां है, प्रहलाद ने बताया कि भगवान यहीं हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्कश्यप अपने गदे से प्रह्लाद को मारना चाहा, वैसे ही भगवान विष्णु नरसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्कश्यप का वध कर दिया।

जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

Read in More Languages:

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा PDF

नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा PDF

Leave a Comment