श्री राम चालीसा हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लोकप्रिय प्रार्थना है जो भगवान श्री राम को समर्पित है। यह चालीस चौपाइयों का एक संग्रह है, जिसमें भगवान राम के गुणों, उनके जीवन चरित्र और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा न केवल भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करती है बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति भी देती है।
आजकल, श्री राम चालीसा को पढ़ने के लिए श्री राम चालीसा PDF प्रारूप में आसानी से उपलब्ध है। आप इसे अपने मोबाइल, लैपटॉप या किसी भी डिजिटल डिवाइस पर डाउनलोड करके कहीं भी और कभी भी पढ़ सकते हैं। पीडीएफ प्रारूप में होने से आप इसे आसानी से प्रिंट भी करवा सकते हैं।
|| श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa PDF) ||
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥
ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥
सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥
रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥
आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
|| श्री राम चालीसा पाठ की विधि ||
श्री राम चालीसा का पाठ करने के लिए एक निश्चित विधि का पालन करना शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ सरल चरण दिए गए हैं जिनका आप अनुसरण कर सकते हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले का समय) या सुबह के समय चालीसा का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करके एक आसन पर बैठें।
- भगवान श्री राम की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाकर सुगंधित वातावरण बनाएं।
- पाठ शुरू करने से पहले मन को शांत करें और भगवान राम का ध्यान करें।
- पाठ शुरू करने से पहले मन में अपनी मनोकामना का संकल्प लें।
- एकाग्र मन से और स्पष्ट उच्चारण के साथ चालीसा का पाठ करें। आप इसका पाठ एक बार, तीन बार, सात बार या ग्यारह बार कर सकते हैं।
- पाठ के बाद भगवान राम की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
|| श्री राम चालीसा के लाभ ||
श्री राम चालीसा का नियमित पाठ करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं:
- यह मन को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।
- इसका पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
- यह मन से हर तरह के भय को दूर करता है।
- यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि लाने में सहायक है।
- भगवान राम की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएं और मुश्किलें दूर होती हैं।
- यह भक्ति और आध्यात्मिकता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
- श्री राम चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
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