Download HinduNidhi App
Misc

श्री गणपति आरती

Ganpati Aarti Hindi

MiscAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
Share This

॥ आरती ॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं।
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं।
धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

गुड़ के मोदक भोग लगत हैं मूषक वाहन चढ्या सरैं।
सौम्य रूप को देख गणपति के विघ्न भाग जा दूर परैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थी दिन दोपारा दूर परैं।
लियो जन्म गणपति प्रभु जी दुर्गा मन आनन्द भरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का देव बंधु सब गान करैं।
श्री शंकर के आनन्द उपज्या नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।
देख वेद ब्रह्मा जी जाको विघ्न विनाशक नाम धरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

एकदन्त गजवदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरैं।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है देव चन्द्रमा हास्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

दे शराप श्री चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करैं।
चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

उठि प्रभात जप करैं ध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं।
पूजा काल आरती गावैं ताके शिर यश छत्र फिरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

गणपति की पूजा पहले करने से काम सभी निर्विघ्न सरैं।
सभी भक्त गणपति जी के हाथ जोड़कर स्तुति करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download श्री गणपति आरती PDF

श्री गणपति आरती PDF

Leave a Comment